नई दिल्ली: त्रिपुरा में भाजपा ने सत्ता परिवर्तन किया है. मौजूदा मुख्यमंत्री बिप्लव देव को हटाकर माणिक साहा को सीएम की कुर्सी सौंपी है. माणिक साहा को साफ छवि वाला और बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड के लिए जाना जाता है. हाल के चुनावों में बीजेपी की जीत में उनका अहम रोल रहा है.
शपथ समारोह के बाद साहा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए त्रिपुरा के लोगों के लिए काम करूंगा. कानून-व्यवस्था की स्थिति पर ध्यान दूंगा.’
विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के नेतृत्व में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘कोई चुनौती नहीं है.’
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य माणिक साहा ने रविवार सुबह त्रिपुरा के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली.
राज्यपाल एसएन आर्य ने यहां राजभवन में माणिक साहा को नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई.
पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब समारोह में भाजपा के विधायकों और राज्य के अन्य मंत्रियों के साथ उपस्थित थे. देव के शनिवार शाम अचानक इस्तीफे के बाद साहा शीर्ष पद पर पहुंचे हैं.
शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक भी शामिल हुईं.
उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा और मंत्री राम प्रसाद पॉल ने शनिवार को भाजपा विधायक दल की बैठक के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में साहा की नियुक्ति का विरोध किया था. दोनों शपथ ग्रहण समारोह समाप्त होने के कुछ समय बाद राजभवन पहुंचे.
विपक्षी दल मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायकों ने राज्य में भाजपा के शासन में ‘फासीवादी शैली में हिंसा’ होने का आरोप लगाते हुए समारोह का बहिष्कार किया.
कौन हैं माणिक साहा
लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज से स्नातक करने वाले साहा साल 2016 में भाजपा में शामिल होने से पहले विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्य थे. वह 2020 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने.
बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुके साहा त्रिपुरा क्रिकेट संगठन के अध्यक्ष भी हैं.
भाजपा में उनका कद उनकी स्वच्छ छवि और बेहतरीन ट्रैक रिकॉर्ड के कारण बढ़ा है, जिसमें नवंबर 2021 में हुए चुनावों में सभी 13 नगर निगमों में भाजपा को जीत दिलाना शामिल है.
2016 में कांग्रेस छोड़कर BJP में आए
राजनीति में आने से पहले वह हापनिया स्थित त्रिपुरा मेडिकल कॉलेज में माणिक साहा पढ़ाया करते थे. साहा 2016 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए थे. वह 2020 में पार्टी प्रमुख बनाये गए और इस साल मार्च में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया. साहा सीएम बनने के बाद कहा कि ‘मैं पार्टी का एक आम कार्यकर्ता हूं और आगे भी रहूंगा’
गुटबाजी से दूर रहे हैं साहा
एक रिपोर्ट के मुताबिक माणिक साहा किसी गुटबाजी का हिस्सा नहीं रहे हैं. उन्हें साफ छवि का और तटस्थ व्यक्ति माना जाता है. हाल ही में हुए चुनाव में माणिक साहा की भूमिका अहम मानी जाती है. जबकि वहीं पार्टी के अंदरखाने बिप्लव देव को लेकर असंतोष था.