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Friday, 22 November, 2024
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चाचा पशुपति पारस को सदन में पार्टी नेता चुने जाने के खिलाफ चिराग पासवान की अर्जी खारिज

याचिका में लोकसभा अध्यक्ष के 14 जून के परिपत्र को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें चिराग के चाचा पारस का नाम लोकसभा में लोजपा के नेता के तौर पर दर्शाया गया था.

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नई दिल्लीः दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के एक धड़े के नेता चिराग पासवान की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा पशुपति कुमार पारस को सदन में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता देने को चुनौती दी थी.

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा, ‘मुझे इस याचिका में कोई दम नजर नहीं आ रहा.’ अदालत इस मामले में चिराग पर जुर्माना लगाना चाहती थी लेकिन उनके वकील के अनुरोध करने के बाद उसने ऐसा नहीं किया.

याचिका में लोकसभा अध्यक्ष के 14 जून के परिपत्र को रद्द करने की मांग की गई थी, जिसमें चिराग के चाचा पारस का नाम लोकसभा में लोजपा के नेता के तौर पर दर्शाया गया था.

मंत्रिमंडल फेरबदल सह विस्तार के दौरान सात जुलाई को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले पारस ने अपने सियासी सफर का एक खासा हिस्सा अपने दिवंगत बड़े भाई राम विलास पासवान की छत्रछाया में बिताया है.

बता दें कि पिछले महीने लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद और चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस के गुट ने उन्हें पार्टी निर्विरोध पार्टी का प्रेसिडेंट घोषित कर दिया था.

पारस ने चिराग पासवान पर एक नेता-एक पद के सिद्धांत के उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता दिए जाने के बाद चिराग पासवान ने इसका विरोध किया था और लोकसभा अध्यक्ष से पुनर्विचार का आग्रह भी किया था.


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