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Friday, 3 May, 2024
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मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं, शेर का बेटा हूं, लड़ाई लंबी चलेगी : चिराग पासवान

चिराग ने कहा कि खबरों के मुताबिक मुझे पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. जैसा कि पार्टी संविधान है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को तभी हटाया जा सकता है जब वह उसकी मृत्यु हो गई हो या पद से इस्तीफा दे दिया हो.

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नई दिल्ली: चिराग पासवान ने लोजपा में मचे घमासान को लेकर बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया. उन्होंने कहा कि चाचा पशुपति के पारस पार्टी संविधान के खिलाफ गये हैं. वह पार्टी संविधान को फालो नहीं कर रहे हैं. साथ उन्होंने जदयू पर पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाया.

चिराग ने कहा, ‘मैं रामविलास पासवान का बेटा हूं, शेर का बेटा हूं, उन्हीं की सोच के साथ पार्टी आगे बढ़ेगी.

चिराग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा मेरी तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए आप लोगों से बात करना मुश्किल है.

एक प्रेस कॉन्फ्रेस सब कहना मुश्किल

चिराग ने कहा कि 8 अक्टूबर को मेरे पिता का निधन हुआ. उसके बाद तुरंत चुनाव में उतरने की बात आई. उस वक्त एक कठिन घड़ी थी. पापा की बॉडी भी घर पर नहीं आई थी और हम चुनाव में उलझे रहे थे. उन्होंने कहा कि सारी बात एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रखना मुश्किल है. लड़ाई लंबी है.

चुनाव में अपने सिद्धांत और मुद्दों से नहीं हटा

उन्होंने 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों पर कहा कि इसमें लोक जनशक्ति पार्टी को बड़ी जीत हासिल हुई है. लोग सोचते हैं कि कितने विधायक बने इसको लेकर यह कहूंगा कि हमने लगभग 6 प्रतिशत वोट पाए जबकि लोग मानते थे कि लोजपा 2-3% वोट ही हासिल करने वाली पार्टी है. 25 लाख से ज्यादा लोगों ने हमें वोट दिया और जनता का अपार समर्थन भी मिला.

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चिराग ने आगे कहा कि उससे भी बड़ी खुशी इस बात की हमे है कि किसी भी परिस्थिति में हमने, लोक जनशक्ति पार्टी ने अपने सिद्धांतों और मुद्दों से समझौता नहीं किया.

चिराग ने कहा कि सदन का नेता बनाया जाना यह पार्लियामंट्री कमेटी का फैसला है न कि वर्तमान सांसदों का. खबरों के मुताबिक मुझे पार्टी के अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है. जैसा कि पार्टी संविधान है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष को तभी हटाया जा सकता है अगर वह मर गया है या पद से इस्तीफा दे दिया हो.

चिराग ने कहा, ‘मेरे पिता रामविलास पासवान जब जीवित थे तब भी जद (यू) लोजपा को बांटने के काम में लगी थी, जब मैं बीमार था तब भी यह साजिश रची गई.

उन्होंने कहा कि जब मेरे पिता अस्पताल में भर्ती थे तब कुछ लोग पार्टी को तोड़ने की कोशिश कर रहे थे. मेरे पिता ने चाचा समेत पार्टी नेताओं से ठीक यही बात पूछी थी. कुछ लोग उस संघर्ष के लिए तैयार नहीं थे जिससे कि मुझे गुजरना पड़ा.
मैं चाचा को देख रहा था जब मेरे पिता और दूसरे चाचा कि निधन हुआ. जब मेरे पिता का निधन हुआ तो मैं अनाथ नहीं महसूस किया, लेकिन अब ऐसा मैनें महसूस किया, जब मेरे चाचा ने ये सब किया है.
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