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Saturday, 16 November, 2024
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छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बघेल ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, कहा- सीएए को वापस लिया जाए

कांग्रेस शासित अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर उसके खिलाफ विधेयक पास करने की बजाय उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इसे वापस लेने को कहा है.

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रायपुर: नागरिकता संशोधन कानून की लगातार खिलाफत कर रहे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर इसे वापस लेने का अनुरोध किया है. कांग्रेस शासित अन्य राज्यों की तरह विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर उसके खिलाफ विधेयक पास करने की बजाय उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर इसे वापस लेने को कहा है. बघेल ने प्रधानमंत्री को यह पत्र 30 जनवरी को बाकायदा कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव पारित करवाकर लिखा है.

अपने पत्र में मुख्यमंत्री ने लिखा है कि जहां एक ओर इस अधिनियम का वर्तमान संशोधन धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों का विभेद करता प्रतीत होता है एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14 के विपरीत होने का संकेत दे रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत के पड़ोसी देशों, जैसे- श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल और भूटान इत्यादि देशों से आने वाले प्रवासियों के संबंध में इस अधिनियम में कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है.

मुख्यमंत्री ने तर्क दिया है कि नागरिकता संशोधन कानून एक ओर जहां ‘भारत के संविधान की धर्मनिरपेक्षता की मूलभावना के विपरीत’ है वहीं दूसरी ओर प्रदेश में बहुसंख्यक गरीब और साधन विहीन जनता हैं जो इस अधिनियम की औपचारिकता पूरी करने में ‘सक्षम’ नही होगी.

प्रधानमंत्री को लिखे इस पत्र में यह भी कहा गया है कि छत्तीसगढ़ राज्य में इस अधिनियम के विरुद्ध काफी विरोध प्रदर्शन देखे गये, जो कि शांतिपूर्ण रहे, अपितु इसमें इस प्रदेश के विभिन्न वर्गाें के लोग शामिल हुए.

बघेल के अनुसार ‘छत्तीसगढ़ में मूलतः अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़े वर्ग के निवासी हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में गरीब, अशिक्षित एवं साधनविहीन हैं, जिसे इस अधिनियम की औपचारिकता को पूर्ण करने में कठिनाइयों का निश्चित रूप से सामना करना पड़ सकता है.’

भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखा खत/ स्पेशल अरेंजमेंट

मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में यह भी लिखा है, ‘संविधान के समक्ष सभी सम्प्रदाय समान होते हैं, संसद के द्वारा पारित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) धर्म निरपेक्षता के इस संवैधानिक आधारभूत भावना को खंडित करता दृष्टिगत हो रहा है.’

‘संविधान का अनुच्छेद-14 देश के सभी वर्गाें के लिए समानता के अधिकार और कानून के अंतर्गत समानता की गारंटी को सुरक्षित रखने के लिये आवश्यक है. संविधान की इस मूल भावना के विपरीत कोई भी कानून नहीं बनाया जाये.’

बघेल द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है कि जनमानस में विरोध प्रदर्शन को देखते हुए, गरीब तबके एवं अशिक्षित लोगों को असुविधा न हो, देश में शांति बनी रहे एवं संविधान की मूल अवधारणा सुरक्षित रहे. इन सबके दृष्टिगत, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) में लाये गये संशोधन को वापस लिया जाय.

भूपेश बघेल के प्रधानमंत्री को लिखे पत्र पर भारतीय जनता पार्टी ने विरोध करते हुए छत्तीसगढ़ सरकार पर पलटवार किया है. और उसे संविधान और संघीय ढांचे के विपरीत बताया है. यही नहीं इस पत्र को झूठ के धरातल पर भ्रम फैलाने की एक और नाकाम कोशिश बताया गया है.

संविधान और संघीय ढांचे के विपरीत

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सांसद सुश्री सरोज पाण्डेय ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र को झूठ के धरातल पर भ्रम फैलाने की एक और नाकाम कोशिश बताया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का सीएए को लेकर जो रुख है, वह संविधान और संघीय ढांचे की एकदम विपरीत है.

भाजपा राष्ट्रीय महासचिव सुश्री पाण्डेय ने कहा, ‘प्रदेश के मुख्यमंत्री बघेल जबसे सत्ता में आए हैं, केंद्र से बिनावजह टकराव मोल लेकर संवैधानिक व संघीय ढांचे को चुनौती देने का अमर्यादित आचरण कर रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘प्रदेश सरकार को सीबीआई-एनआईए नहीं चाहिए, मोटर व्हीकल एक्ट और सीएए से दिक्कत है यानी केंद्र सरकार और संसद द्वारा अधिनियमित कानूनों को नहीं मानने का राजनीतिक हठ प्रदर्शित करने पर आमादा प्रदेश सरकार उन विषयों पर भी गैरजरूरी टीका-टिप्पणी कर रही है, जिन्हें नकारने का राज्य सरकारों को न तो अधिकार है और न ही राज्य सरकारें उसे अपने राज्यों में अमान्य कर सकती हैं. लेकिन प्रदेश सरकार शुरू से अपने फैसलों के जरिए केंद्र को चुनौती देने और टकराव मोल लेने का काम कर रही है.’

‘असहमति व्यक्त करने की भी अपनी मर्यादा होती है, इस बात की सामान्य समझ भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नहीं दिखा रहे हैं, यह कांग्रेस के वैचारिक भटकाव और नेतृत्व की दिशाहीनता का द्योतक है.’

सुश्री पाण्डेय तंज कसा कि हर मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नकल करने वाले मुख्यमंत्री बघेल छात्रों से चर्चा करने ‘पाठशाला’ लगाते हैं, ‘मन की बात’ के समानांतर ‘लोकवाणी’ सुनाते हैं. जब हर मामले में वे प्रधानमंत्री श्री मोदी की नकल करते हैं तो संविधान, संघ-राज्य के संबंध, अधिकार, विधायी मर्यादा, संसदीय शिष्टाचार और समझ के मामले में भी मुख्यमंत्री बघेल को प्रधानमंत्री से सीख लेनी चाहिए.

भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि अपने पत्र में मुख्यमंत्री बघेल ने एक बार फिर तथ्यों के साथ छेड़छाड़ कर भ्रम फैलाने के कांग्रेसी राजनीतिक चरित्र को उजागर किया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह कई अवसरों पर सीएए को लेकर यह स्पष्ट कर चुके हैं कि यह कानून पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों (हिन्दू, सिक्ख, जैन, बौध्द, पारसी व ईसाई) को, जो वर्षों से भारत में रह रहे हैं, नागरिकता देने के लिए लाया गया है.

इसमें कहीं भी और किसी भी समुदाय की नागरिकता छीनने या उन्हें अपनी नागरिकता प्रमाणित करने की बाध्यता की बात नहीं है. लेकिन विपक्ष लगातार भ्रम फैलाने की राजनीति करके देश में हिंसा और उन्माद की जमीन तैयार करने में रुचि ले रहा है.

बता दें कि इससे पहले चार राज्यों केरल, पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल नागरिकता संशोधन कानून को लागू नहीं करने का प्रस्ताव पारित कर चुके हैं. कांग्रेस के राजस्थान और पंजाब,  केरल की वाममोर्चा और पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की सरकार शामिल हैं.

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