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Thursday, 9 May, 2024
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टिकट न मिलने से नाराज चल रहे थे चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर, अब थाम सकते हैं बीजेपी का दामन

नीरज शेखर बीते लोकसभा चुनाव में बलिया से टिकट मांग रहे थे. लेकिन सपा-बसपा गठबंधन की ओर से उन्हें टिकट नहीं मिला. इससे नीरज शेखर अखिलेश यादव और पार्टी नेतृत्व से नाराज़ चल रहे थे.

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लखनऊ : पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र व सपा के राज्यसभा सांसद नीरज शेखर ने इस्तीफ़ा दे दिया है. उन्होंने इस्तीफा न सिर्फ राज्यसभा की सदस्यता से दिया है, बल्कि समाजवादी पार्टी की सदस्यता से भी इस्‍तीफा दे दिया है. सूत्रों की मानें तो वह जल्द ही बीजेपी में शामिल होंगे.

टिकट न मिलने से थे नाराज

नीरज शेखर बीते लोकसभा चुनाव में बलिया से टिकट मांग रहे थे. लेकिन सपा-बसपा गठबंधन की ओर से उन्हें टिकट नहीं मिला. इससे नीरज शेखर अखिलेश यादव और पार्टी नेतृत्व से नाराज़ चल रहे थे. पिता चंद्रशेखर की मौत के बाद नीरज शेखर ने पहली बार चुनाव लड़ा था. साल 2007 में वे बलिया की सीट से चुनाव जीत कर संसद में पहुंचे थे. उन्होंने इस उपचुनाव में करीब तीन लाख वोटों से जीत हासिल की थी. इसके बाद 2009 के आम चुनावों में भी उन्होंने इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा था. हालांकि, साल 2014 में बीजेपी प्रत्याशी भरत सिंह ने नीरज शेखर को इस सीट से चुनाव में मात दे दी थी.

8 बार बलिया से सांसद रहे चंद्रशेखर के परिवार की उस क्षेत्र में पकड़ अच्छी मानी जाती है. ऐसे में नीरज शेखर अपने परिवार की पारंपरिक सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे. सपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो अखिलेश यादव इस बार टिकट देने के पक्ष में नहीं थे, जिससे नीरज शेखर आहत थे. कांग्रेस से भी टिकट लेने की कोशिश की गई. लेकिन उसमें भी सफलता नहीं मिली थी.

बीजेपी भेज सकती है राज्यसभा

बता दें कि नीरज शेखर का राज्यसभा कार्यकाल नवंबर 2020 तक था. कहा जा रहा है नीरज शेखर को बीजेपी 2020 में यूपी से राज्यसभा में भेज सकती है. बताया तो ये भी जा रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर लिखी राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश की पुस्तक ‘चंद्रशेखर- द लास्ट आइकन ऑफ आइडियोलॉजिकल पॉलिटिक्स’ का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विमोचन करेंगे. इससे पहले उनके बेटे नीरज शेखर बीजेपी में शामिल हो जाएंगे. हालांकि, अधिकतर सपाइयों को ऐसे पिछले काफी दिनों से लग रहा था. नाम न छापने की शर्त पर सपा के नेता बताते हैं कि पिछले कई महीनों से नीरज शेखर के पार्टी आलाकमान से संबंध अच्छे नहीं थे.

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