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Saturday, 2 November, 2024
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केंद्र और राज्य दोनों में चंद्रबाबू नायडू महत्वपूर्ण हैं, अब वे अपने आप में डबल इंजन हैं

1990 के दशक में किंगमेकर रहे एन चंद्रबाबू नायडू एक बार फिर वही भूमिका निभा रहे हैं. उनकी टीडीपी न केवल एनडीए में भाजपा की सबसे बड़ी गठबंधन सहयोगी है, बल्कि नरेंद्र मोदी 3.0 का भाग्य भी उसी पर निर्भर है. उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे आंध्र प्रदेश को दिवालिया होने के कगार से उबारेंगे.

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मुख्यमंत्री के रूप में ही विधानसभा में फिर से प्रवेश करने की कसम खाने के केवल ढाई साल बाद, नारा चंद्रबाबू नायडू ने बुधवार को चौथी बार आंध्र प्रदेश के सीएम के रूप में शपथ ली.

1990 के दशक में किंगमेकर रहे नायडू ने 1996 में एचडी देवेगौड़ा की सरकार बनवाई और टीडीपी ने इसमें शामिल होकर 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को बाहर से समर्थन दिया था. नायडू एक बार फिर वही भूमिका निभा रहे हैं. 16 लोकसभा सांसदों वाली उनकी टीडीपी एनडीए में भाजपा की सबसे बड़ी गठबंधन सहयोगी है और नरेंद्र मोदी 3.0 का भाग्य काफी हद तक नायडू की मर्जी पर निर्भर करता है.

कर्ज में डूबे राज्य को चलाने वाले नायडू, मुख्यमंत्री के रूप में अपने 14 वर्षों के अनुभव (जिसमें अविभाजित आंध्र प्रदेश के नौ वर्ष शामिल हैं) के साथ, उम्मीद है कि वे राज्य को दिवालिया होने के कगार से वापस लाएंगे.

इसके लिए, सीईओ सीएम को भारी निवेश आकर्षित करके राज्य के वित्त और विकास में सुधार करने की आवश्यकता है और साथ ही, आंध्र प्रदेश के विकास में सहायता के लिए धन और अनुदान का एक बड़ा हिस्सा निकालने में सफल होना पड़ेगा. वे अपनी खुद की ‘डबल इंजन’ सरकार हैं.

“बॉस इज बैक”, “किंग मेकर”, “गेम चेंजर” – विजयवाड़ा, अमरावती और मंगलागिरी में “बाबू” समर्थकों द्वारा लगाए गए सैकड़ों पीले रंग के बैनर और होर्डिंग ने आंध्र प्रदेश के मामलों को संभालने के लिए नायडू की शानदार वापसी की घोषणा की, ताकि उनकी क्षमता राज्य को विकास की तेज गति से वापस ला सके.

और यही कारण है कि एन चंद्रबाबू नायडू दि प्रिंट के न्यूज़मेकर ऑफ़ द वीक हैं.

धूम-धड़ाके के साथ केंद्र में वापसी

अर्थशास्त्र में एमए और राजनीति में लगभग पांच दशक के लंबे समय तक राजनीति में काम करने के बाद 74 वर्षीय नायडू ने विजयवाड़ा के पास गन्नावरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में सीएम के रूप में शपथ ली.

मंच पर दोनों का एक-दूसरे की पीठ थपथपाना और गले मिलना समारोह का मुख्य आकर्षण था.

टीडीपी के लाखों कार्यकर्ताओं की आंखों में अब जो खुशी और संतुष्टि का भाव है, वह पांच साल पहले असंभव लग रहा था, जब तत्कालीन सीएम नायडू की अपमानजनक हार के बाद उनकी पार्टी तब तक के सबसे कम सीटों पर सिमट गई थी.

जगन मोहन रेड्डी की लहर ने 2019 के चुनावों में जबरदस्त प्रदर्शन किया, जिसमें वाईएसआरसीपी ने 151 (175 में से) विधानसभा और 22 (25 में से) लोकसभा सीटें जीतीं. टीडीपी के पास केवल 23 विधायक और 3 सांसद रह गए.

कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने इस फैसले को नायडू के लिए मतदाताओं द्वारा दी गई एक अनौपचारिक विदाई के रूप में देखा, और कुछ वाईएसआरसीपी नेताओं और आलोचकों ने सुझाव दिया कि काम के प्रति जुनूनी नायडू को अपने इकलौते पोते के साथ खेलते हुए और अपने परिवार के साथ समय बिताते हुए आराम करना चाहिए.

हालांकि, एक बार फिर यह साबित करने वाले फैसले में कि राजनीति और लोगों के विचार परिस्थितियों के आधार पर हमेशा बदलते रहते हैं, क्षेत्रीय क्षत्रप ने इस साल चुनावों में शानदार वापसी की.

नायडू के नेतृत्व वाले कूटमी (टीडीपी-जन सेना-बीजेपी गठबंधन) ने 164 विधानसभा सीटों और 21 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करते हुए भारी जनादेश हासिल किया. टीडीपी के प्रभुत्व की सीमा स्पष्ट थी: इसने 144 विधानसभा सीटों में से 135 और 17 लोकसभा सीटों में से 16 सीटें जीतीं.

मोदी 3.0 के लिए नायडू का समर्थन महत्वपूर्ण होगा, इस बार सभी खींचतान, धक्का-मुक्की और उथल-पुथल के साथ वास्तविक रूप से गठबंधन का शासन होने की उम्मीद है.

खोई शान पाने की कठिन यात्रा

टीडीपी नेताओं का कहना है कि गौरवशाली बनने की राह चुनौतीपूर्ण थी और पिछले पांच साल नायडू के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण और परेशान करने वाले रहे हैं.

सत्ता से बाहर और संख्याबल में सबसे निचले स्तर पर, नायडू को विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह ताना मारा गया, कथित तौर पर वाईएसआरसीपी के कुछ विधायकों ने अपशब्दों का भी इस्तेमाल किया.

शायद जिस बात ने नायडू को सबसे ज़्यादा आहत किया, वह यह था कि जगन ने अमरावती को मेगा विश्व स्तरीय ग्रीनफील्ड कैपिटल बनाने की परियोजना के उनके सपने को त्याग दिया. सिंगापुर की फर्मों के सहयोग से किए जा रहे सभी काम 2019 में ठप्प हो गए, क्योंकि जगन ने अपनी विवादास्पद तीन-राजधानी योजना की घोषणा की. एक इनोवेटिव एप्रोच में, नायडू ने अमरावती क्षेत्र के लगभग 30 गांवों के किसानों से 33,000 एकड़ जमीन ली थी, और उन्हें बदले में विकसित भूखंड, फसल वार्षिकी और अन्य लाभ देने का वादा किया था.

नायडू हैदराबाद-साइबराबाद को भव्यता में पीछे छोड़ने के लिए एक राजधानी बनाना चाहते थे, और छोटे किसानों को बड़े पैमाने पर विकास और कई रोजगार के अवसरों की उम्मीद थी. दोनों ही निराश हो गए.

उनके कुछ विधायकों ने जगन का साथ दिया, क्योंकि टीडीपी नेताओं के दावों के अनुसार वाईएसआरसीपी ने राजनीतिक प्रतिशोध का सहारा लिया, उनके व्यवसायों को निशाना बनाया या विभिन्न मामलों में नेताओं को गिरफ्तार किया.

एक समय, नवंबर 2021 में, नायडू ने जगन के सत्ता में रहते हुए विधानसभा में वापस नहीं लौटने की कसम खाई थी. लाइव टीवी पर आंध्र प्रदेश की जनता को निराश करने वाले दृश्यों में एक था जिसमें नायडू एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान रो पड़े थे, उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पत्नी भुवनेश्वरी को भी अमानवीय तरीके से निशाना बनाया गया था.

हालांकि, टीडीपी के लिए महत्वपूर्ण मोड़ पिछले साल सितंबर में जगन द्वारा नियंत्रित आंध्र प्रदेश सीआईडी के ​​द्वारा, जब नायडू 2014 से 2019 तक सीएम थे, उस वक्त कथित कौशल विकास परियोजना घोटाले में नायडू की गिरफ्तारी थी.

राजमुंदरी सेंट्रल जेल में बंद होने के पांच दिनों के भीतर, अभिनेता से नेता बने बेहद लोकप्रिय पवन कल्याण ने उनसे बातचीत की, बाहर आए और जगन को हराने के एक मात्र एजेंडे के साथ 2024 के चुनावों के लिए टीडीपी-जेएसपी गठबंधन की घोषणा की.

सीटों के आवंटन को लेकर उथल-पुथल के बावजूद नायडू और पवन ने अपने नेताओं, कार्यकर्ताओं को यह कड़ा संदेश दिया कि “जगन विरोधी वोट किसी भी कीमत पर विभाजित नहीं होने चाहिए.”

2019 में जब उनकी पार्टी ने एक सीट जीती और खुद दो सीटों से हार गए और टीडीपी को करारी हार का सामना करना पड़ा, तो अकेले चुनाव लड़ने की गलती को महसूस करते हुए पवन ने नायडू के साथ समझौता किया और यहां तक ​​कि एनडीए में टीडीपी की फिर से एंट्री के लिए भी मध्यस्थता की.

उल्लेखनीय बदलाव यह था कि, जब उनके पिता 52 दिनों तक जेल में थे, टीडीपी महासचिव नारा लोकेश ने पार्टी की अगुआई की और भाजपा नेताओं का समर्थन हासिल करने के लिए दिल्ली में डेरा डाला. उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और मोदी के करीबी माने जाने वाले जगन पर राजनीतिक जादू-टोना करने का आरोप लगाया. लोकेश ने युवा-गलम नाम से राज्यव्यापी पदयात्रा भी की, जिसमें मतदाताओं से संपर्क किया और लोगों की आकांक्षाओं को समझा.

आशंकाओं के विपरीत, नायडू की भाभी दग्गुबाती पुरंदेश्वरी के नेतृत्व में टीडीपी, जेएसपी और एपी भाजपा ने चुनाव की तारीख नजदीक आने पर उल्लेखनीय सौहार्द दिखाया. तीनों दलों के बीच वोटों का हस्तांतरण सहज रहा, लेकिन सत्ता विरोधी लहर के चलते जगन को अपना बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ा.

जगन के अलावा, वाईएसआरसीपी के केवल एक मंत्री ही अपनी सीट बचा पाए.

भाजपा ने 10 में से आठ सीटें जीतीं, जन सेना ने अपनी सभी 21 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की, और अपने सर्वश्रेष्ठ चुनावी प्रदर्शन में नायडू ने अपनी पार्टी के 144 में से 135 सीटों पर जीत हासिल की.

क्या नायडू अपना हक पा सकेंगे?

टीडीपी रविवार को मोदी कैबिनेट में शामिल हो गई, जैसा कि उसने 2014 में किया था, और उसे नागरिक उड्डयन कैबिनेट मंत्री और एक राज्य मंत्री का पद मिला.

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या नायडू आंध्र प्रदेश के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे पर जोर देंगे, जो यूपीए द्वारा विभाजन के समय दिया गया आश्वासन था और जिसकी मांग पर टीडीपी मार्च 2018 में एनडीए एक कड़वाहट के साथ अलग हो गई थी.

नायडू ने भाजपा के लिए अपना ठोस समर्थन देने का वादा किया है और रविवार को मोदी के तीसरी बार पीएम के रूप में शपथ लेने के बाद उन्हें बधाई दी, और उन्हें “विकसित भारत के अपने दृष्टिकोण के लिए समर्पित एक सफल और पूर्ण कार्यकाल” की शुभकामनाएं दीं.

दर्जा देने में जटिलताओं और जेडीयू जैसे अन्य लोगों द्वारा बिहार के लिए दर्जा मांगे जाने के मद्देनजर, टीडीपी नेताओं का कहना है कि आंध्र प्रदेश के सीएम एक अच्छे वित्तीय पैकेज, पोलावरम परियोजना को पूरा करने के लिए धन, अमरावती के लिए सहायता और आंध्र प्रदेश को कुछ नई परियोजनाओं के आवंटन से संतुष्ट हो सकते हैं. विश्लेषकों का कहना है कि पिछले कार्यकाल के विपरीत, मोदी को नायडू की जरूरत है, इसलिए वह नायडू के अनुरोधों और आवश्यकताओं को पूरा करेंगे.

इस बीच, अपने पैतृक गांव नरवरिपल्ले से कुछ किलोमीटर दूर तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर स्वामी के पारंपरिक दर्शन और विजयवाड़ा कनकदुर्गा मंदिर में पूजा-अर्चना के बाद, नायडू ने गुरुवार को वेलागापुडी में राज्य सचिवालय में अपने पुराने कक्ष में सीएम के रूप में कार्यभार संभाला.

टीडीपी प्रमुख का अमरावती के किसानों और अन्य स्थानीय निवासियों द्वारा भव्य स्वागत किया गया, जिन्होंने राजधानी के बीज पहुंच मार्ग को पीले फूलों की पंखुड़ियों से ढक दिया.

इसके तुरंत बाद, नायडू ने अपने सर्वश्रेष्ठ सीईओ मोड में काम शुरू कर दिया और अपने चुनावी आश्वासनों को पूरा करने के लिए पांच फाइलों पर हस्ताक्षर किए.

फाइलों में राज्य में शिक्षकों के 16,347 पदों को भरने की अधिसूचना, रेड्डी सरकार द्वारा लाए गए विवादास्पद भूमि स्वामित्व अधिनियम को समाप्त करना, मासिक वृद्धावस्था और कल्याण पेंशन को 3,000 रुपये से बढ़ाकर 4,000 रुपये करना, नायडू के 20 लाख नौकरियों के वादे को पूरा करने के लिए कौशल जनगणना की शुरुआत और अन्ना कैंटीन को फिर से खोलना शामिल है, जो जगन के सत्ता में आने के बाद बंद होने से पहले मामूली कीमत पर भोजन दे रहे थे.

नायडू ने वरिष्ठ आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के साथ भी बैठक की और जगन के शासन में पिछले कुछ वर्षों में कथित तौर पर अनुचित और पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने वाले कुछ अधिकारियों पर नाराजगी व्यक्त की.

कथित तौर पर सीईओ सीएम ने अधिकारियों से कहा, “मैं पटरी से उतर चुकी व्यवस्था को वापस पटरी पर लाऊंगा.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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