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Friday, 22 November, 2024
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जाति और 2022 को ध्यान में रखते हुए संतों, BJP नेताओं के नाम पर यूपी में मेडिकल काॅलेज खोलने की तैयारी

अगस्त माह में नौ मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन किया जाना है. इसके साथ ही राज्य में मेडिकल कॉलेजों की कुल संख्या बढ़कर 33 हो जाएगी.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले नौ नए मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन करने की तैयारी में है, जिनका नामकरण स्थानीय देवी-देवताओं, जनसंघ के नेताओं और भाजपा के लोगों के नाम पर किए जाने की संभावना है.

यूपी सरकार के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि इन कॉलेजों का उद्घाटन अगस्त के महीने में किया जाना है. इसके साथ ही राज्य में मेडिकल कॉलेजों की कुल संख्या बढ़कर 33 हो जाएगी.

सरकारी अधिकारियों के मुताबिक, चिकित्सा शिक्षा विभाग नौ में से सात कॉलेजों के नाम पहले ही प्रस्तावित कर चुका है. मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) के सूत्रों ने कहा कि यद्यपि इन नामों पर अंतिम निर्णय लिया जाना अभी बाकी है, लेकिन कमोबेश प्रस्तावित नाम ही बने रहेंगे.

यूपी के प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा विभाग) आलोक कुमार ने दिप्रिंट को बताया कि अभी केवल एक कॉलेज का नाम तय किया गया है, जो प्रतापगढ़ में है.

उन्होंने बताया, ‘अन्य सभी के लिए नाम प्रस्तावित किए गए हैं, लेकिन उन पर अंतिम फैसला होना बाकी है. ये नौ मेडिकल कॉलेज राज्य में बुनियादी स्वास्थ्य ढांचा बढ़ाने में मददगार होंगे, खासकर पूर्वांचल क्षेत्र में.’

हालांकि, आलोक कुमार ने इस पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि क्या कॉलेजों का नाम संतों, देवी-देवताओं और भाजपा नेताओं के नाम पर रखा जा रहा है.

दिप्रिंट ने फोन कॉल के जरिए चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनके स्टाफ ने कहा कि वह इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हैं.

प्रस्तावित नामों को लेकर खासी हलचल मची हुई है और विपक्ष ने भाजपा पर हर जगह राजनीतिक लाभ तलाशने का आरोप लगाया है, जबकि सत्ताधारी पार्टी ने इस आरोप का खंडन किया है.


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राजनीतिक और जातिगत आधार पर विचार

सीएमओ के सूत्रों के मुताबिक प्रतापगढ़ जिले में नए मेडिकल कॉलेज का नामकरण अपना दल के संस्थापक सोनेलाल पटेल के नाम पर किया जाना है.

अपना दल उत्तर प्रदेश में भाजपा की सहयोगी पार्टी है और कुर्मियों की अच्छी-खासी आबादी वाले प्रतापगढ़ में पार्टी का व्यापक जनाधार है.

अपना दल के एक स्थानीय नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘इसका लंबे समय से इंतजार हो रहा है. हम आभारी हैं कि सरकार ने स्थानीय भावनाओं को समझा है और हमारी पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय सोनेलाल पटेल का सम्मान करती है.’

सीएमओ के एक सूत्र ने कहा, ‘अब जबकि चुनाव में छह महीने से कम का समय बचा है, भाजपा अपना दल की मांग को ठुकराना नहीं चाहती है.’

सिद्धार्थनगर में मेडिकल कॉलेज का नाम भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के पहले अध्यक्ष माधव प्रसाद त्रिपाठी के नाम पर रखे जाने की उम्मीद है. त्रिपाठी 1970 के दशक में जनसंघ के कद्दावर नेताओं में एक थे.

यूपी भाजपा के एक पदाधिकारी के मुताबिक त्रिपाठी का जन्म सिद्धार्थनगर के तिवारीपुर गांव में हुआ था. भाजपा नेता ने कहा, ‘उनके पिता ने भारत की आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई थी. वह एक प्रमुख ब्राह्मण परिवार से थे, जिनकी आसपास के क्षेत्रों में काफी साख थी.’

सीएमओ के सूत्र के मुताबिक उनका नाम प्रस्तावित करने के पीछे एक अन्य वजह राज्य में ब्राह्मणों को रिझाना भी है.

एटा में मेडिकल कॉलेज का नाम अवंतीबाई लोधी के नाम पर किए जाने की उम्मीद है, जो ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ 1857 के गदर का हिस्सा थीं. ऊपर उद्धृत भाजपा पदाधिकारी ने कहा कि अवंतीबाई लोधी राजपूत समुदाय से आती थीं, जिसकी एटा बेल्ट की आबादी में आठ फीसदी हिस्सेदारी है.

सूत्रों ने कहा कि जौनपुर में मेडिकल कॉलेज का नाम भाजपा और जनसंघ के पूर्व नेता उमानाथ सिंह के नाम पर रखा जा सकता है. उमानाथ सिंह जौनपुर के बयालासी निर्वाचन क्षेत्र से चार बार विधायक रहे थे.


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संतों, स्थानीय देवी-देवताओं को देंगे सम्मान

कुछ नए मेडिकल कॉलेजों का नाम संतों और स्थानीय देवी-देवताओं के नाम पर रखा जा सकता है.

सूत्रों ने बताया कि देवरिया में मेडिकल कॉलेज का नाम देवराहा बाबा के नाम पर पर रखा जाएगा, जिसे दिवराहा बाबा भी कहा जाता है.

देवरिया के भाजपा नेता ने दिप्रिंट को बताया कि बाबा मथुरा में यमुना नदी के किनारे रहते थे. उन्होंने बताया, ‘मथुरा जाने से पहले बाबा ने कई साल देवरिया जिले में बिताए थे. वह कस्बे से 3 किमी दूर सरयू नदी के किनारे लकड़ी के लट्ठों से बने एक ऊंचे तख्त पर रहा करते थे. वह जिले के एक प्रसिद्ध योगी थे.’

उन्होंने कहा, ‘योगी सरकार उनके नाम पर एक मेडिकल कॉलेज शुरू करके उनकी विरासत को और ज्यादा प्रमुखता से आगे बढ़ाना सुनिश्चित कर रही है.’

मिर्जापुर में नए मेडिकल कॉलेज का नाम यूपी सरकार ने मां विंध्यवासिनी देवी के नाम पर रखने का प्रस्ताव दिया है. इन्हीं देवी का एक मंदिर मिर्जापुर क्षेत्र की पहचान बना हुआ है. गाजीपुर में मेडिकल कॉलेज का नाम प्राचीन भारत के एक पौराणिक संत विश्वामित्र के नाम पर रखे जाने की उम्मीद है.

फतेहपुर और हरदोई जिलों के मेडिकल कॉलेजों का नामकरण किया जाना अभी बाकी है, लेकिन सीएमओ के सूत्र ने कहा कि उनका नाम भी स्थानीय संतों या जनसंघ के नेताओं के नाम पर रखा जाएगा.

विपक्ष ने की सरकार की खिंचाई—‘भाजपा हर जगह राजनीतिक लाभ तलाश रही’

विपक्ष ने सरकार पर प्रतीकात्मकता की राजनीति में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए इस कदम की कड़ी आलोचना की है.

समाजवादी पार्टी के नेता और यूपी में कैबिनेट मंत्री रह चुके प्रोफेसर अभिषेक मिश्रा ने कहा, ‘भाजपा को नामों पर राजनीति करने की आदत है. वे अपनी राजनीति के अनुरूप किसी भी स्थान का नाम बदल देते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इनमें से अधिकतर मेडिकल कॉलेजों को सपा सरकार के शासन के दौरान मंजूरी दी गई थी. भाजपा जो चाहे नाम रख सकती है लेकिन जनता जानती है कि सिर्फ सपा सरकार ने ही बुनियादी स्वास्थ्य ढांचा मजबूत करने की दिशा में ठोस काम किया है.

यूपी कांग्रेस प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने भी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘वे जो चाहें नाम रख सकते हैं. लेकिन क्या इन मेडिकल कॉलेजों में उचित सुविधाएं मुहैया कराएंगे? हमने देखा है कि यूपी में दूसरी कोविड लहर के दौरान क्या हुआ था. अब चुनाव से ऐन पहले वो नौ मेडिकल कॉलेजों का उद्घाटन कर रहे हैं.

वहीं, यूपी भाजपा के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने दिप्रिंट को बताया कि कॉलेजों के नाम रखना सरकार का विशेषाधिकार है. उन्होंने कहा, ‘अब तक, कई इमारतों का नाम अंग्रेजों और मुगलों के नाम पर रहा है. हम स्थानीय भावनाओं को समझकर उनका फिर से नामकरण कर रहे हैं. इन संतों और नेताओं का स्थानीय संबंध रहा है. अगर हम ऐसे नाम दे रहे हैं तो इसमें गलत क्या है? हम कम से कम हर इमारत का नाम किसी एक राजनीतिक परिवार के नाम पर तो नहीं रख रहे हैं. ऐसे लोकप्रिय संतों और नेताओं की विरासत को आगे बढ़ाकर योगी सरकार उन्हें श्रद्धांजलि दे रही है. सभी को इसकी सराहना करनी चाहिए.’


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