चंडीगढ़: कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपने जन्मदिन से तीन दिन पहले मंगलवार को अपने सिसवां स्थित फार्महाउस पर भव्य बर्थडे पार्टी रखी थी. पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री—जिनकी नवगठित पार्टी पंजाब लोक कांग्रेस ने इस विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन किया है—ने नतीजों को लेकर किसी तरह की कोई चिंता नहीं दिखाई और उन्होंने अपने दोस्तों की मेजबानी करते हुए जगजीत सिंह की उस गजल की पंक्तियां गुनगुनाईं, ‘बात निकलेगी तो फिर दूर तलाक जाएगी.’
पार्टी की कुछ झलक साझा करने के साथ अमरिंदर के करीबी सहयोगी प्रितपाल सिंह बलियावाल ने एक गोपनीय संदेश ट्वीट किया, ‘वे कौन थे जो सिसवान में पार्टी में शामिल हुए? कांग्रेस और आप (के बारे में) कोई अनुमान? सदमे के लिए तैयार रहो! 11 मार्च के दिन…’
अक्कड़ बक्कड़ बम्बे बो
रात जो Siswan आये थे कौन कौन थे वो ?
Any Guess @INCPunjab & @AAPPunjab
Be ready for the Shock !
11 March Day of ……………. ! #PunjabElections2022 pic.twitter.com/6s51rqdu8x
— Pritpal Singh Baliawal (@PritpalBaliawal) March 9, 2022
गुरुवार को अपने 80वें जन्मदिन के एक दिन पहले पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह—जो पटियाला शहरी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरे थे—को आम आदमी पार्टी (आप) के उम्मीदवार अजीत पाल सिंह कोहली के आगे हार का सामना करना पड़ा. अजीत पाल ने उन्हें करीब 10 हजार मतों से हरा दिया. वहीं, भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक, दोपहर तक जहां उनकी पार्टी किसी भी सीट पर आगे नहीं चल रही थी, वहीं उनकी सहयोगी भाजपा राज्य में केवल दो सीटों पर आगे चल रही थी.
शुरुआती रुझानों के साथ ही इस बात को लेकर पंजाब के राजनीतिक हलकों में अटकलों का दौर तेज हो गया था कि कैप्टन अमरिंदर यहां से आगे कहां जाएंगे और क्या यही वह मुकाम है जहां पर आकर राजनेता के तौर पर उनका करियर खत्म हो जाएगा.
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20 फरवरी को पंजाब में मतदान होने के बाद से अमरिंदर काफी व्यस्त रहे हैं. भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि पंजाब प्रभारी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दो बार पूर्व मुख्यमंत्री से मुलाकात की.
जन्मदिन की पार्टी देने से एक दिन पहले सोमवार को अमरिंदर ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जिसके बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि भाजपा-पंजाब लोक कांग्रेस गठबंधन ने चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया है.
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने दिप्रिंट को बताया, ‘कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में एक प्रमुख जाट चेहरा हैं. वह एक जन नेता हैं और इसमें कुछ बदला नहीं है. उनके साथ गठबंधन भाजपा के लिए एक निधि ही रहेगा.
कैप्टन का राजनीतिक भविष्य
हालांकि, ऐसी विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के बीच इस तरह की अटकलें चल रही हैं कि इस मुकाम पर पहुंचने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह के लिए कोई राजनीतिक भविष्य नहीं रह गया है.
कभी अमरिंदर के करीबी माने जाने वाले एक राजनेता ने नतीजों के रुझान आने से पहले ही नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘यह तो तय है कि पंजाब में भाजपा गठबंधन की सरकार नहीं बनने जा रही. अमरिंदर सिंह को पुरस्कृत भी किया जाएगा तो उन्हें राज्यपाल का पद या कुछ और दिया जा सकता है. लेकिन वह अब पंजाब के राजनीतिक परिदृश्य में उतने महत्वपूर्ण नहीं रहने वाले हैं,’
अमरिंदर एक समय कांग्रेस के सबसे चर्चित मुख्यमंत्रियों में से एक थे, जो कुल मिलाकर 9.5 वर्षों तक पंजाब के शीर्ष पद पर काबिज रहे. 1995 में बेअंत सिंह की हत्या के बाद मुख्यमंत्री बने शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के दिग्गज प्रकाश सिंह बादल—जो 15 सालों तक सत्ता में रहे—के बाद अमरिंदर दूसरे ऐसे सीएम हैं जिन्होंने इतने समय तक राज किया.
अमरिंदर को सितंबर 2021 में पार्टी आलाकमान की तरफ से इस्तीफे के लिए ‘बाध्य’ कर दिया गया, क्योंकि महीनों से जारी आंतरिक कलह के कारण पार्टी की पंजाब इकाई दो-फाड़ हो चुकी थी, जिसमें मंत्रियों और विधायकों का एक खेमा अमरिंदर का समर्थन कर रहा था और दूसरा राज्य पार्टी प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के साथ खड़ा था.
अपने इस्तीफे के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमरिंदर ने कहा था कि वह ‘अपमानित’ महसूस कर रहे हैं और हालांकि ‘फिलहाल’ उन्होंने पार्टी के साथ ही बने रहने की बात कही थी लेकिन अपने ‘राजनीतिक भविष्य’ के लिए ‘विकल्प खुले’ छोड़ दिए थे.
कुछ ही हफ्तों के भीतर, उन्होंने ऐलान कर दिया कि वह अपनी पार्टी लॉन्च करेंगे और भाजपा के साथ गठबंधन करेंगे. उन्होंने 2 नवंबर को औपचारिक रूप से कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और पंजाब लोक कांग्रेस की शुरुआत की.
चंडीगढ़ स्थित इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट एंड कम्युनिकेशन के निदेशक प्रमोद कुमार ने दिप्रिंट से कहा कि यह कैप्टन के राजनीतिक करियर का अंत है. उन्होंने कहा, ‘वह 2002-07 में सबसे मजबूत क्षेत्रीय नेताओं में से एक के तौर पर उभरे थे, लेकिन उन्होंने यह सब गंवा दिया. मौजूदा समय की बात करूं तो मैं तो यही कहूंगा, लोगों को शायद ही उनमें कोई जन नेता दिखाई दे. यह उनके राजनीतिक करियर का अंत है.’
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