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Friday, 26 April, 2024
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‘बहन जी’ की फोटो से बड़ी तस्वीर लगाने पर हो सकते हैं बसपा से बाहर

हाल ही में बसपा प्रत्याशियों को निर्देश दिया गया है कोई भी प्रत्याशी या नेता होर्डिंग या बैनर में पार्टी सुप्रीमो मायावती के बराबर फोटो नहीं लगा सकेगा.

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लखनऊ: यूपी की राजनीति में बसपा सुप्रीमो मायावती की अलग पहचान है. अपने कड़े निर्देशों के लिए उन्हें जाना जाता है. इसका असर उनके संगठन पर भी दिखता है. चुनाव से पहले कई निर्देश दिए जाते हैं जिसे हर प्रत्याशी को मानना होता है.

हाल ही में बसपा प्रत्याशियों को निर्देश दिया गया है कोई भी प्रत्याशी या नेता होर्डिंग या बैनर में पार्टी सुप्रीमो मायावती के बराबर फोटो नहीं लगा सकेगा. उने अपनी तस्वीर का साइज़ छोटा रखना होगा. साथ ही अब होर्डिंग लगाने से पहले उसे बसपा प्रभारियों से पास भी कराना होगा.

दरअसल, यह निर्देश बसपा एमएलसी व नवनियुक्त मंडल-ज़ोन इंचार्ज भीमराव अंबेडकर ने संगठन की लखनऊ मंडल की बैठक में दिए हैं. मायावती के निर्देश पर केवल लखनऊ में ही नहीं बल्कि प्रदेश के सभी मंडलों में नवनियुक्त मंडल-ज़ोन इंचार्जों की मौजूदगी में हुई.

इसका कारण ये बताया जा रहा है कि पार्टी के पुराने नेताओं को तो बसपा की रीति-नीति, होर्डिंग-बैनर लगाने का तौर-तारीका पता है लेकिन चुनाव के आस-पास तमाम नए कार्यकर्ता व नेता जुड़ते हैं जो अपने हिसाब से होर्डिंग में महापुरुषों व बसपा अध्यक्ष के बराबर या उनसे भी बड़ी अपनी फोटो लगा देते हैं.

पार्टी ने इसे गंभीरता से लिया है और इसे अनुशासनहीनता की तरह माना है. इसी कारण पोस्टर-बैनरों को लेकर ये निर्देश दिए गए हैं. बसपा एमएलसी व नवनियुक्त मंडल-जोन इंचार्ज भीमराव अंबेडकर ने संगठन के लोगों को इसके पीछे का तर्क समझाते हुए कहा है कि ‘बहन जी’ पार्टी की सर्वोच्च नेता हैं. इसीलिए उन्हें बसपा सुप्रीमो मायावती कहा जाता है. ऐसे में उनके बराबर फोटो लगाना पार्टी के अनुशासन के लिहाज से ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि भविष्य में कोई भी होर्डिंग प्रभारियों से पास कराने के बाद ही लगाई जाए.

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सपाई भी होंगे बैठक में शामिल

8 मार्च से 13 मार्च के बीच बसपा की ज़िला स्तर की बैठक होंगी जिसमें सपा के जिला स्तरीय नेताओं को भी आमंत्रित किया जाएगा. सपा के जिला स्तरीय नेताओं से बात कर उनके फ्रंटल संगठनों के ज़िम्मेदार नेताओं को भी इन बैठकों में बुलाने की योजना है. इसका कारण गठबंधन में कार्यकर्ताओं के बीच एकजुटता लाना है जो कि दोनों ही दलों के किसी चैलेंज से कम नहीं हैं. बीजेपी नेता लगातार सवाल उठाते रहे हैं कि सपा-बसपा के नेता तो एकजुट हो गए लेकिन कार्यकर्ता नहीं होंगे.

हालांकि सपा-बसा के नेता इस बात से इंकार कर रहे हैं और इसी धारणा को गलत साबित करने के लिए दोनों दलों के कार्यकर्ताओं की एक साथ मीटिंग आयोजित की जाएंगी.

अखिलेश ने भी दिए निर्देश

सपा-बसपा कार्यकर्ताओं को एकजुट करने को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अपने पार्टी नेताओं को तमाम निर्देश दिए हैं. अखिलेश की ओर से बसपा प्रत्याशियों का पूरा सहयोग करने को कहा गया है. इसके अलावा अपने कार्यकर्ताओं को अखिलेश ने एक नारा भी दिया है- ‘एक भी वोट न घटने पाए, एक भी वोट न बंटने पाए’. इस नारे को हकीकत में बदलने के लिए पूरी ताकत लगाने, मतदान के दिन बूथ पर ज़्यादा से ज़्यादा मतदान कराने तथा समाजवादी सरकार के कामों को घर-घर तक पहुंचाने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा ‘समाजवादी बूथ रक्षक’ भी तैयार किए जा रहे हैं जो बीजेपी के बूथ प्रभारियों का मुकाबला करेंगे.

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