नई दिल्ली: अपनी ‘गुजराती-राजस्थानी’ टिप्पणी के लिए माफी मांगने के लिए मजबूर, महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का विवादों से पुराना नाता रहा है. वह पहले भी अपने बयानों से विरोधियों और सहयोगियों को परेशान करते आए हैं.
कोश्यारी ने एक बार कांग्रेस नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को ‘अकेला बंदर’ कहा था. तो एक अन्य पूर्व-कांग्रेस मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को डीएनए टेस्ट से यह ‘साबित’ करने के लिए कहा कि वह अपने पिता के पुत्र हैं.
अस्सी साल से ऊपर के कोशेयारी को सितंबर 2019 में राज्यपाल बनाया गया था. उससे पहले से उनका नाम कई विवादों के साथ जुड़ता रहा है. पूर्ववर्ती महा विकास अघाड़ी सरकार ने तो उन्हें ‘भाजपा की कठपुतली’ करार दिया था.
शुक्रवार को मुंबई में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कोश्यारी ने कहा, ‘कभी-कभी मैं महाराष्ट्र में लोगों से कहता हूं कि अगर गुजराती और राजस्थानी लोगों को यहां से हटा दिया जाता है, तो आपके पास कोई पैसा नहीं बचेगा. आप मुंबई को आर्थिक राजधानी कहते हैं. लेकिन अगर दोनों राज्य के ये लोग यहां न हो , तो इसे आर्थिक राजधानी (एसआईसी) नहीं कहा जाएगा.’
यह उनकी एक ऐसी प्रतिक्रिया थी जिससे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता व उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी अपना पल्ला झाड़ लिया. उन्होंने कहा कि वे कोश्यारी के बयान से सहमत नहीं हैं.
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— Governor of Maharashtra (@maha_governor) August 1, 2022
उनके साथ काम करने वाले अधिकारी उन्हें एक ‘मजबूत व्यक्तित्व’, ‘आरएसएस के जीवन जीने के तरीके’ का पालन करने वाले ‘साधारण व्यक्ति’ के तौर पर सम्मान की नजर से देखते हैं. लेकिन कोश्यारी ने मराठी गौरव से नजदीकी से जुड़े व्यक्तित्वों- समाज सुधारक सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले, और छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर कई विवादास्पद टिप्पणी की है.
मार्च में, अपने एक बयान में कोश्यारी ने कहा था कि अपने गुरु समर्थ रामदास के बिना शिवाजी कुछ नहीं होते. उन्होंने औरंगाबाद में एक कार्यक्रम में बयान दिया, ‘कई महाराजा और चक्रवर्ती (सम्राट) इस भूमि में पैदा हुए हैं. चाणक्य न होते तो चंद्रगुप्त के बारे में कौन पूछता? छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में कौन पूछता अगर समर्थ (रामदास) नहीं होते.’
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उनके इस बयान की काफी आलोचना की गई थी. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की नेता सुप्रिया सुले से लेकर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले और शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत से लेकर शिवाजी के वंशज और भाजपा सांसद उदयनराजे भोसले तक, महाराष्ट्र के सभी राजनेताओं ने कोश्यारी की टिप्पणी का कड़ा विरोध किया था.
उसी महीने, कोश्यारी की फिर से कम उम्र में शादी करने के लिए सावित्रीबाई और ज्योतिराव फुले का मजाक उड़ाने के लिए आलोचना हुई. कोश्यारी ने कहा था, ‘सावित्रीबाई की शादी 10 साल की उम्र में हो गई थी और उनके पति (ज्योतिराव) की उम्र 13 साल थी. अब सोचिए, शादी के बाद लड़का और लड़की क्या कर रहे होंगे? वे क्या सोच रहे होंगे?’
अक्टूबर 2020 में, कोश्यारी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के मंदिरों को बंद करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि क्या वह अचानक ‘धर्मनिरपेक्ष’ हो गए हैं. शिवसेना प्रमुख ने पलटवार करते हुए कहा था कि उन्हें उनसे हिंदुत्व प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है.
उत्तराखंड में ज्यादा मुखर
अब उत्तराखंड की तरफ आते हैं. कोश्यारी अक्टूबर 2001 से मई 2002 तक अपने गृह राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री थे. इसके बाद उन्होंने 2002 से 2007 तक विपक्ष के नेता के रूप में काम किया.
2012 में, कोश्यारी ने देहरादून में एक कार्यक्रम में कथित तौर पर कहा था कि कांग्रेस नेता विजय बहुगुणा को यह साबित करने के लिए डीएनए टेस्ट की जरूरत हो सकती है कि वह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा के पुत्र हैं.
‘भगत दा’ के नाम में जाने जाने वाले, संघ के दिग्गज कोश्यारी ने भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के साथ-साथ पार्टी की उत्तराखंड इकाई के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया है.
कोश्यारी ने 2019 में हरीश रावत को ‘एकलवा वानर‘ (अकेला बंदर) बताया और कहा कि वह किसी और को कांग्रेस में बने रहने नहीं देते हैं. उन्होंने कहा ‘भगवान राम की सेना में बहुत सारे बंदर थे, लेकिन यहां रावत एक अकेला बंदर है. उसके सभी बंदर हमारे साथ हो गए हैं. उन्होंने सभी अच्छे कांग्रेसियों को बाहर कर दिया और अब उनकी नाव ज्यादा दिन तक टिकने वाली नहीं है.’
कोश्यारी ने तब अपनी ‘वनार’ टिप्पणी करते हुए कहा था कि लोकसभा चुनाव खत्म होने पर उनके कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी को बंदर नसबंदी केंद्र भेजा जाना चाहिए.
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