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Thursday, 25 April, 2024
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कर्नाटक सीमा विवाद पर महाराष्ट्र के गठबंधनों में तनातनी बढ़ी, BJP कांग्रेस के लिए कम नहीं हैं चुनौतियां

कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं, ऐसे में दोनों ही राष्ट्रीय दल इस मामले में संतुलित रुख अपनाने की कोशिश में जुटे हैं. भाजपा जहां त्वरित कानूनी समाधान की बात कर रही है, वहीं कांग्रेस ने हिंसक विरोध प्रदर्शनों की आलोचना की है.

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मुंबई: महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद ने महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधनों के बीच तनातनी बढ़ा दी है. दोनों ही गठजोड़ यह दिखाने की होड़ में लगे हैं कि उन्हें दूसरे की तुलना में इस मामले की कितनी ज्यादा परवाह है, और इन सबके बीच गठबंधनों में शामिल दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के लिए चुनौतियां और बढ़ गई हैं.

महाराष्ट्र की सीमा और बेलगाम (बेलगावी) शहर के 814 गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने की मांग को लेकर एक लंबे समय में विवाद चलता आ रहा है. एक बड़ी मराठी भाषी आबादी वाले ये इलाके अभी कर्नाटक का हिस्सा हैं.

शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी)—जो दोनों दल कांग्रेस के साथ महाविकास अघाड़ी (एमवीए) का हिस्सा हैं—के सदस्यों ने बुधवार को पूरे महाराष्ट्र में आंदोलन किया, कर्नाटक से आने-जाने वाली बसों पर गुस्सा उतारा गया. उद्धव ठाकरे की शिवसेना और एनसीपी दोनों ही पार्टियों के सांसदों ने लोकसभा में भी यह मुद्दा उठाया.

दूसरी तरफ, महाराष्ट्र भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली बालासाहेबंची शिवसेना के नेताओं का दावा है कि उन्होंने बुधवार को इस मुद्दे को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के समक्ष उठाया और इस बात पर जोर दिया कि वे इसका समाधान चाहते हैं. न कि ‘विपक्ष की तरह इसका राजनीतिकरण करना.’

महाराष्ट्र के सत्तारूढ़ और विपक्षी गठबंधनों के बीच इस मामले में जहां तनातनी चल रही है, वहीं दोनों तरफ के राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस संतुलन साधने की कोशिश में जुटे, जिन्हें 2023 में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव का सामना करना है. भाजपा नेता सुप्रीम कोर्ट के जरिये एक त्वरित कानूनी समाधान की बात कर रहे हैं, जहां मामला विचारधीन है. वहीं. कांग्रेस ने दोनों राज्यों में इस मुद्दे को लेकर हिंसक विरोध प्रदर्शनों के लिए भाजपा को घेरा है.

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महाराष्ट्र में कांग्रेस 1999 से 2014 तक एनसीपी के साथ गठबंधन में सत्ता में थी. कांग्रेस-एनसीपी शासनकाल के दौरान ही 2004 में महाराष्ट्र ने सीमा विवाद सुलझाने के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था.

राजनीतिक विश्लेषक हेमंत देसाई ने दिप्रिंट को बताया, ‘भाजपा अब वही बातें कह रही है जो कांग्रेस महाराष्ट्र की सत्ता में रहने के दौरान कहा करती थी और सीमा का मुद्दा समय-समय पर भड़कता रहता था.’

उन्होंने कहा, ‘जब कांग्रेस सत्ता में थी और सीमा विवाद को लेकर कभी-कभी तनाव होता था, तो भाजपा कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पूछती थी कि केंद्र में अपनी सरकार होने के बावजूद वह इस मुद्दे का समाधान क्यों नहीं निकाल रही है. लेकिन अब स्थिति उलट गई है.’


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शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी का प्रदर्शन, कांग्रेस सतर्क

कर्नाटक सीमा पर कथित तौर पर कर्नाटक रक्षण वेदिके नामक संगठन के सदस्यों की तरफ से महाराष्ट्र के वाहनों पर हमला किए जाने के एक दिन बाद शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी के सदस्यों ने बुधवार को महाराष्ट्र के मुंबई, पुणे और नासिक जैसे शहरों में विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान कथित तौर पर कर्नाटक के वाहनों को निशाना बनाया गया.

दोनों दलों के सांसदों ने कर्नाटक सीमा पर महाराष्ट्र के वाहनों पर हमले का मुद्दा संसद में भी उठाया. शिवसेना (यूबीटी) की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मुद्दे पर सदन को स्थगित करने की मांग की, जबकि एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले ने बुधवार को लोकसभा में यह मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार के हस्तक्षेप की मांग की.

शीत सत्र के पहले दिन लोकसभा में यह मुद्दा उठाते हुए सुप्रिया सुले ने कहा, ‘हमारे पड़ोसी राज्य कर्नाटक के सीएम बकवास कर रहे हैं. कल महाराष्ट्र के कुछ लोग कर्नाटक बॉर्डर पर जाना चाहते थे, लेकिन उनकी पिटाई कर दी गई. कर्नाटक के सीएम महाराष्ट्र को तोड़ने की बात कर रहे हैं, जबकि दोनों ही राज्य भाजपा शासित हैं.’

शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा नेता संजय राउत ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि महाराष्ट्र इतना कमजोर कभी नहीं था जितना अब है और यह तो अब ‘दिल्ली का डोरमैट’ बन गया है.

राउत ने पूछा, ‘जिन लोगों ने स्वाभिमान का हवाला देकर शिवसेना छोड़ी थे वे क्या अब मुंह पर ताला लगाकर बैठे हैं.’

हालांकि, एमवीए के तीसरे सहयोगी दल कांग्रेस ने मामले में एक नपी-तुली प्रतिक्रिया दी, और इसे लेकर भाजपा पर दबाव डालने का विकल्प चुना.

महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने बुधवार को एक बयान में कहा, ‘यह सीमा विवाद बढ़ाने और महाराष्ट्र को तोड़ने की भाजपा की साजिश है. कर्नाटक की भाजपा सरकार जानबूझकर माहौल खराब कर रही है और मराठी लोगों और उनके सामानों को निशाना बनाया जा रहा है.’

वहीं, कोल्हापुर के सीमावर्ती शहर से कांग्रेस एमएलसी सतेज पाटिल ने संवाददाताओं से कहा, ‘कर्नाटक विधानसभा चुनाव आ रहे हैं. यह स्पष्ट है कि भाजपा हारने वाली है, इसलिए वे (भाजपा नेता) नैरेटिव बदलने के लिए सीमा विवाद की बात कर रहे हैं.’

‘समाधान के लिए सभी दलों एकजुट हों’

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि उन्होंने पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ इस मुद्दे को उठाया है और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से भी बात की है, उनसे शांति की अपील की है.

शिंदे ने बताया, ‘मैंने उनसे (बोम्मई) कहा है कि उन्हें महाराष्ट्र की बसों में तोड़फोड़ करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. हम दोनों ने इस पर भी चर्चा की कि चूंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचारधीन है इसलिए कोई अप्रिय घटना नहीं होनी चाहिए.

शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि उन्होंने इस मुद्दे पर एनसीपी नेता अजीत पवार से भी बात की है और इस मुद्दे पर सभी पार्टियों के एकजुट होने की अपील की है.

शिंदे के नेतृत्व वाली बालासाहेबंची शिवसेना के सांसद राहुल शेवाले ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर शाह से मिलने की योजना बनाई है और महाराष्ट्र के विपक्षी सांसदों को भी इसमें शामिल होना चाहिए.

बालासाहेबंची शिवसेना के सांसद प्रतापराव जाधव ने दिप्रिंट से कहा, ‘विपक्ष का काम विरोध करना है. लेकिन हम सरकार में हैं और हमारी कुछ जिम्मेदारियां हैं.’

उन्होंने कहा, ‘हम इस मुद्दे पर बहुत आक्रामक हैं, और भाजपा के साथ गठबंधन से हमारे रुख में कोई बदलाव नहीं आया है. दरअसल भाजपा नेता भी इसी तरह की मांग कर रहे हैं. एमवीए को जवाब देना चाहिए कि कांग्रेस सीमा विवाद पर कोई स्टैंड क्यों नहीं लेना चाहती.’

हालांकि, महाराष्ट्र भाजपा अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि मसले को केवल अदालत में सुलझाया जा सकता है और वह शिंदे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र सरकार से अपील करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर शीघ्र सुनवाई और समाधान की मांग करे. उन्होंने कहा, ‘पूर्व सरकारों को इस मुद्दे पर वकीलों की फौज उतार देनी चाहिए थी और इसका समाधान निकालना चाहिए था, लेकिन वे विफल रहीं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘सरकार में काम करते समय संयम दिखाना पड़ता है. सीएम और डीसीएम (डिप्टी सीएम) पूरा संयम दिखा रहे हैं.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नी के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: रावी द्विवेदी)
(संपादन: अलमिना खातून)


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