नई दिल्ली: शनिवार को नागालैंड में एक असफल सुरक्षा अभियान के दौरान और उसके बाद 14 नागरिकों की हत्या के वजह से मचे जोरदार हंगामें की गूंज संसद में भी सुनाई दी और जहां ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) सांसद असदुद्दीन ओवैसी द्वारा सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (आर्म्ड फोर्स्ड स्पेशल एक्ट-अफ्स्पा) को पूरी तरह से निरस्त करने की मांग की गई, वहीँ कांग्रेस के प्रद्युत बोरदोलोई ने इस कानून में संशोधन की बात की.
विदित हो कि सेना और असम राइफल्स के जवानों की एक टीम ने प्रतिबंधित संगठन एनएससीएन (के) के उग्रवादियों की गतिविधि के बारे में खुफिया जानकारी के आधार पर की गई कार्र्रवाई में शनिवार शाम करीब साढ़े चार बजे आठ आम नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी. इसके बाद रात में सुरक्षा बलों पर एक गुस्साई भीड़ द्वारा हमला किया गया, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा कर्मियों द्वारा की गई ‘जवाबी गोलीबारी’ में एक सैनिक और कम-से-कम छह अन्य नागरिकों की मौत हो गई.
सोमवार को शून्यकाल की चर्चा में भाग लेते हुए, विपक्षी सांसदों ने इस घटना की जोरदार निंदा की और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस बारे में बयान की मांग भी की. उन्होंने इस घटना की त्वरित जांच कराये जाने और प्रभावित परिवारों को उचित मुआवजा देने की भी मांग उठाई.
एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने अफस्पा को खत्म करने की मांग करते हुए कहा कि दुनिया के किसी भी देश में इस तरह का बर्बर कानून नहीं है. ओवैसी ने सवाल किया कि क्या सरकार इन ‘हत्यारों’ पर मुकदमा चलाने की अनुमति देगी?और, क्या मुखबिर का संबंध चीन से था?’
बाद में सदन को संबोधित करते हुए, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस घटना पर खेद व्यक्त किया और कहा कि सुरक्षा कर्मियों ने आत्मरक्षा में गोलीबारी की थी. उन्होंने यह भी कहा कि सभी सुरक्षा एजेंसियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी घटना दोबारा न हो.
असम के नवगोंग निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के सांसद प्रद्युत बोरदोलोई ने अफस्पा में संशोधन की मांग की. उन्होंने कहा, ‘एक भारतीय के रूप में, मेर सिर शर्म से झुका जाता है जब हमारी सेना अपने ही नागरिकों के खिलाफ इस तरह की बर्बर हरकत करती है. नगालैंड में अफस्पा को फिर से बढ़ा दिया गया है… अफस्पा में संशोधन किया जाना चाहिए.’
कांग्रेस के ही एक और सांसद गौरव गोगोई ने इस घटना को राज्य के इतिहास में एक ‘काला दिन’ बताया. इस घटना के लिए गलत खुफिया जानकारी को जिम्मेदार ठहराते हुए गोगोई ने कहा, ‘हर किसी के मन में यह सवाल उठता है कि कैसे निहत्थे नागरिकों के एक समूह को कट्टर उग्रवादियों से अलग करके नहीं देखा जा सका.’
पूर्वोत्तर राज्यों में, अफ्स्पा फ़िलहाल असम, नागालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर क्षेत्र को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों (तिरप, चांगलांग और लोंगडिंग) और असम की सीमा से लगे जिलों में आठ पुलिस स्टेशनों के अधिकार क्षेत्र में आने वाले क्षेत्रों में लागु है.
गृह मंत्रालय ने 30 जून को नागालैंड में लगा अफ्स्पा छह महीने की अवधि के लिए इस आधार पर बढ़ा दिया था कि यह राज्य अभी भी इतनी अशांत और खतरनाक स्थिति में है कि नागरिक शक्तियों की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है.
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विपक्ष ने की जांच की मांग
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के बदरुद्दीन अजमल ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच कराने और इसमें जान गंवाने वालों के परिवारों हेतु पचास-पचास हजार रुपये के मुआवजे की मांग की है. उन्होंने कहा, ‘आज पूरा देश शर्मसार है.
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के रितेश पांडे और शिवसेना के विनायक राउत ने इस मामले की शीघ्र जांच और खुफिया एजेंसियों के कामकाज की समीक्षा की मांग की.
इस घटना पर अपनी चिंता व्यक्त करते हुए राउत ने कहा, ‘खुफिया एजेंसियों द्वारा सुरक्षा बलों को इस तरह की गलत सूचना कैसे पहुंचाई जाती है? उनके काम की समीक्षा अवश्य होनी चाहिए.’
नागालैंड के एकमात्र सांसद और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के सदस्य येप्थोमी ने मांग की कि इस घटना की तत्काल जांच शुरू की जाए और प्रभावित परिवारों को पर्याप्त मुआवजा दिया जाए. ज्ञात हो कि एनडीपीपी इस राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन में है.
शून्यकाल के दौरान इन हत्याओं की निंदा करने वाले अन्य सांसदों में डीएमके के टी.आर.बालू और तृणमूल कांग्रेस के सुदीप बंद्योपाध्याय भी शामिल थे. तृणमूल सांसद ने कहा कि नागालैंड को अनिश्चितता में नहीं डालना चाहिए.
बालू ने कहा कि यह निंदनीय बात है कि हमारे सुरक्षा बलों ने हमारे अपने ही लोगों को मारा है.
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की सुप्रिया सुले और वाईएसआर कांग्रेस के पी.वी. मिथुन रेड्डी ने भी इस घटना की निंदा की और शहीद हुए जवान सहित सभी मृतकों के लिए पर्याप्त मुआवजे की मांग की.
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