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Wednesday, 20 November, 2024
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धामी के दिल्ली दौरे और देहरादून में बीएल संतोष की बैठकें, क्या उत्तराखंड को लेकर परेशान है BJP

पता चला है कि भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव संतोष का देहरादून का दौरा आलाकमान द्वारा इस बात का आकलन करने का प्रयास था कि क्या अंकिता भंडारी की हत्या के बाद उत्तराखंड में भाजपा की जमीन खिसक रही है.

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नई दिल्ली: भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी एल संतोष के राज्य के दौरे के चार दिन बाद, उत्तराखंड में राजनीतिक गलियारों में मंत्रियों और राज्य के नेताओं के साथ उनकी बातचीत को लेकर काफी हलचल मची हुई है. यह दौरा पिछले हफ्ते सीएम पुष्कर सिंह धामी की नई दिल्ली यात्रा से पहले हुआ था.

दिप्रिंट को मिली जानकारी के अनुसार धामी, जिन्होंने पिछले आठ दिनों में दो बार दिल्ली का दौरा किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह या भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा के साथ मुलाकात की उम्मीद करते हुए धामी को बुधवार की देर शाम संतोष से मिलने के लिए कहे जाने से पहले, 48 घंटे तक इंतजार करना पड़ा था. इस बैठक के बाद, संतोष शुक्रवार को धामी के नेतृत्व वाली सरकार और भाजपा राज्य इकाई के कामकाज के बारे में प्रतिक्रिया लेने के लिए को देहरादून पहुंचे.

जहां पार्टी ने धामी की दिल्ली यात्राओं और संतोष की देहरादून यात्रा को नियमित कामकाज के रूप में कम करके आंकने की कोशिश की है, वहीं भाजपा के राज्य महासचिव आदित्य कोठारी ने दिप्रिंट को बताया कि हालात का फिर से जायजा लेने के लिए संतोष के एक पखवाड़े के भीतर पुनः उत्तराखंड आने की उम्मीद है.

19 वर्षीया अंकिता भंडारी की हत्या के सिलसिले पूर्व मंत्री विनोद आर्य के बेटे पुलकित की गिरफ्तारी पर उपजे जनता के आक्रोश और राज्य भर्ती परीक्षाओं में हुई कथित अनियमितताओं के आरोपों के बीच उत्तराखंड की भाजपा सरकार फिलहाल भारी दबाव में है.

संतोष ने उत्तराखंड भाजपा के नवनियुक्त महासचिवों से करीब दो घंटे तक बातचीत की. लेकिन यह राज्य के कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, जो सेना के एक पूर्व कर्मी हैं, के साथ उनकी  हुई बातचीत ने अफवाहों का बाजार गर्म कर दिया है.

भाजपा के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, संतोष ने एक बैठक के दौरान मंत्रियों से एक जवान के गुणों को सूचीबद्ध करने के लिए कहा, जिस पर उन्हें ‘ईमानदारी’, ‘अनुशासन’, ‘देशभक्ति’, ‘कड़ी मेहनत’, ‘समर्पण’ और ‘वीरता’ जैसे जवाब मिले.

इन प्रतिक्रियाओं को सुनने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता ने जोशी की ओर रुख किया और उनसे पूछा: ‘इनमें से कौन सा गुण आप अभी भी अपने आप में पाते हैं?’

इस घटना के चश्मदीद गवाह रहे भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘उनसे [संतोष] यह सुनकर मंत्री और बैठक में मौजूद पार्टी के अन्य नेता अवाक रह गए.’

राज्य महासचिवों के साथ संतोष की बैठक के दौरान हुई एक और घटना को याद करते हुए, भाजपा के एक नेता ने कहा कि जोशी दिल्ली से आए भाजपा नेता को भेंट करने हेतु गुलदस्ता लाने में हो रही देरी को लेकर अपने ड्राइवर की खिंचाई कर रहे थे. उस पर, संतोष, जो भाजपा के 11 सदस्यीय संसदीय बोर्ड का हिस्सा हैं, ने जोशी से पूछा: ‘कौन अधिक शिथिल है, आपका प्रोटोकॉल या आप?’

हालांकि, जोशी ने दावा किया कि संतोष के साथ उनकी बातचीत हल्के-फुल्के अंदाज वाली थी. जोशी ने दिप्रिंट को बताया, ‘उन्होंने मुझसे यह जरूर पूछा कि क्या मुझमें सशस्त्र कर्मियों का कोई गुण बचा है. यह एक मजकिया माहौल में हुआ क्योंकि मैं एक पूर्व सैनिक हूं. उन्होंने मुझसे किसी भी राजनीतिक मामले पर चर्चा करने से परहेज किया. हमारी चर्चा कृषि और बागवानी तक ही सीमित थी क्योंकि वह यहां किसान मोर्चा के एक समारोह में हिस्सा लेने आए थे.’


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धामी के एक के बाद एक दिल्ली दौरे

मार्च 2022 में उत्तराखंड चुनाव के नतीजे आने के बाद, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने खटीमा से अपनी विधानसभा सीट हारने के बावजूद धामी को दुबारा राज्य की बागडोर सौंप दी थी. धामी ने मुख्यमंत्री के रूप में पदभार ग्रहण करने की तारीख से छह महीने के भीतर ही भाजपा के एक विधायक द्वारा खाली की गई चंपावत विधान सभा सीट से उपचुनाव जीतकर विधानसभा में उनकी वापसी सुनिश्चित की और इस पद पर बने रहे.

मंगलवार दोपहर दिल्ली पहुंचने के तुरंत बाद, धामी ने अपने राजनीतिक गुरु और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से महाराष्ट्र भवन में मुलाकात की और उसके बाद केंद्रीय पर्यटन मंत्री जी. किशन रेड्डी से भी मिले.

दिप्रिंट को पता चला है कि पिछले सप्ताह दिल्ली में संतोष के साथ हुई धामी की घंटे भर की बैठक के दौरान कई सारे मुद्दों पर चर्चा हुई और उनमें अंकिता भंडारी की हत्या की जांच के लिए उनकी सरकार द्वारा उठाए गए कदम और कैबिनेट में शामिल मंत्रियों के फेरबदल या उनके विभागों के पुन: आवंटन की संभावना शामिल है.

भाजपा पदाधिकारियों ने कहा कि 19 सितंबर को अपनी पिछली दिल्ली यात्रा के दौरान, धामी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात कर उन्हें उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षा में हुई कथित अनियमितताओं और विधानसभा में संदिग्ध नियुक्तियों की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से अवगत कराया था.

सूत्रों ने कहा कि धामी पिछले हफ्ते भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट, जो मंगलवार शाम दिल्ली के लिए रवाना हुए थे, के साथ नड्डा से मिलने वाले थे. हालांकि, भट्ट ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे इस बात की कोई जानकारी नहीं थी कि मुख्यमंत्री को दिल्ली बुलाया गया था या वह खुद गए थे. मैं मंगलवार को उनके दिल्ली दौरे के बारे में तब तक अनजान था जब तक कि एक पार्टी कार्यकर्ता ने मुझे इसके बारे में नहीं बताया.’

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने सितंबर के दूसरे सप्ताह में राज्य के पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत और उत्तराखंड विधानसभा की अध्यक्ष रितु खंडूरी को भी दिल्ली तलब किया था. रावत ने जहां नड्डा और प्रधान मंत्री मोदी से मुलाकात की, वहीं सूत्रों का कहना है कि खंडूरी ने शाह को राज्य के घटनाक्रमों के बारे में जानकारी दी. राज्य में वापस लौटने पर खंडूरी ने राज्य विधानसभा में हुई नियुक्तियों के बारे में लगे भाई-भतीजावाद के आरोपों की जांच हेतु एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन का आदेश दिया.

इस बीच, रावत ने दिप्रिंट को बताया कि कुछ मौजूदा मुद्दे दिल्ली में चर्चा के लिए सामने आए थे. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘प्रधान मंत्री जी और भाजपा प्रमुख के साथ मेरी बैठक मुख्य रूप से राज्य में हो रही विकास की गतिविधियों पर केंद्रित थी. हालांकि विस्तार से तो नहीं, पर भर्ती घोटाले और अन्य मौजूदा मुद्दे भी पार्टी अध्यक्ष के साथ हुई बातचीत में कुछ समय के लिए उठे थे.’

‘जन भावनाओं को थाह ले रहे हैं संतोष’

उत्तराखंड भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि संतोष की यात्रा का उद्देश्य जनता की भावनाओं का ‘आकलन’ करना था. उन्होंने कहा, ‘वह दिल्ली में होने के बावजूद यहां पार्टी के भीतर क्या हो रहा है, इस बात की जानकारी रखते हैं. उनकी यह यात्रा केवल उन सूचनाओं की पुष्टि करने के लिए थी जो उन्हें मिल रही हैं.’

उधर, उत्तराखंड के एक कैबिनेट मंत्री ने दावा किया कि, ‘उत्तराखंड के लोगों और दिल्ली स्थित पार्टी आलाकमान की नजर में धामी सरकार को विफल बनाने लिए पार्टी के भीतर के ही विपक्षी खेमे की ओर से एक सम्मिलित प्रयास किया जा रहा है.’

माना जाता है कि धामी सरकार के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोपों के अलावा, संतोष ने उत्तराखंड के भाजपा नेताओं के साथ अंकिता भंडारी हत्या मामले पर भी चर्चा की.

कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत, जो भाजपा के उस वरिष्ठ नेताओं में शामिल थे जिन्होंने संतोष से मुलाकात की, ने कहा कि संतोष ने राज्य सरकार और भाजपा की राज्य इकाई के बीच के समन्वय के बारे में पूछताछ की. रावत ने दिप्रिंट को बताया कि, ‘वह [संतोष] इस दुखद घटना [अंकिता भंडारी हत्या] के संदर्भ में सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट दिखे और कहा कि राज्य सरकार को दोषियों की कड़ी से कड़ी सजा सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि भविष्य के अपराधियों हेतु यह एक डरावना सबक बन सके.’

संतोष के साथ हुई उनकी मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर भाजपा के प्रदेश महासचिव आदित्य कोठारी ने कहा: ‘वह चाहते हैं कि हम जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने के लिए योजनाओं और अभियानों के रूप में कुछ नए उपाय पेश करें. उन्होंने हमें नए अभियान शुरू करने और राज्य के हर हिस्से तक पहुंचने के लिए कहा है, चाहे वह शहरी क्षेत्र हो या ग्रामीण क्षेत्र.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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