ओबीसी नेता, अल्पेश ठाकोर पर गुजरात में प्रवासी कामगारों के खिलाफ हिंसा भड़काने का आरोप है. वे कहते है कि वे इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं है और ऐसी राजनीति ने उन्हें ‘गहरी चोट’ पहुंचाई है.
नई दिल्ली: गुजरात में उत्तर भारत से आए प्रवासी मज़दूरों के खिलाफ कथित रूप से हिंसा फैलाने के आरोपों पर घिरे, कांग्रेस नेता अल्पेश ठाकोर ने कहा कि ये भाजपा का उनका ‘राजनीतिक एन्काउंटर’ करवाने का ‘षड़यंत्र’ है.
ठाकोर ने दिप्रिंट को कहा कि वो “बहुत दुखी और आहत है” और “इस तरह की राजनीति” नहीं करना चाहते.
उत्तर गुजरात के राधनपुर के विधायक ठाकोर ने कहा, “मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूं राजनेता नहीं.”
उन्होंने साथ ही दावा किया कि उनको कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का “पूरा समर्थन” प्राप्त है.
राज्य में हिंसा, एक 14 महीने की बच्ची के, 28 सितम्बर को बिहार के एक प्रवासी कामगार द्वारा साबरकांठा ज़िले में बलात्कार के बाद भड़की थी.
‘राजनीतिक एनकाउंटर ’
ठाकोर ने कहा कि “मैं पूरी तरह से बेगुनाह हूं. मैनें हमेशा कहा है कि मैं गुजरात में हिंसा नहीं चाहता. जो कुछ हो रहा है उसे देख कर मैं स्तब्ध हूं.”
ठाकोर ने कहा कि “जब ये घटना हुई, हमने एक कैंडल मार्च निकाला और मांग की कि दोषी को सज़ा मिले. सरकार ने हमारी मांगे मानी और मैने फिर स्वयं कहा कि अब मामला समाप्त हो गया है.
ठाकोर ने दिप्रिंट को आगे कहा, “अचानक तीन चार दिन बाद, एक साजिश के तहत मामलें को फिर भड़काया गया. भारतीय जनता पार्टी ने लगभग तीस क्षेत्रों में प्रवासी मज़दूरों को धमकाने के लिए 10-15 आदमी भेजे.”
उन्होंने साथ ही दावा किया, “बीजेपी मेरा राजनीतिक एनकाउंटर करना चाहती है. वो देख रहे है कि मेरा संगठन मज़बूत हो रहा है और हमें गुजरात के बाहर मध्यप्रदेश, राजस्थान,महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि में भी समर्थन मिल रहा है.”
‘पुराना वीडियो’
सत्ताधारी बीजेपी ने ठाकोर की गुजरात ठाकोर क्षत्रीय सेना पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाया था, जिसके कारण प्रवासी मज़दूर गुजरात छोड़ कर भागने लगे.
बीजेपी ने अपने आरोप के सबूत के तौर पर एक वीडियो क्लिप दिखाई जिसमे ठाकोर उत्तरी गुजरात के लोगों को प्रवासियों के खिलाफ़ भड़काते हुए नज़र आते है. भाजपा ने कांग्रेस से ओबीसी नेता, अल्पेश ठाकोर को पार्टी से निकालने की मांग भी की.
ठाकोर का दावा है कि ये वीडियो “2-3 साल पुराना है”. हालांकि उन्होंने कहा कि वे हिंसा में विश्वास नहीं करते और वे प्रवासियों के खिलाफ भी नहीं है.
ठाकोर का कहना था कि “ये गरीब प्रवासी कामगार है जो खुद ही संधर्ष भरा जीवन जी रहे हैं. किसी को भी उनको सता कर, भगा कर क्या मिलेगा?”
उन्होंने साथ ही कहा, “ उन्होंने कुछ नहीं किया है. बलात्कार करने वाला किसी जात, वर्ग, धर्म, समुदाय का आदमी नहीं है. वो दिमागी रूप से बीमार है. राज्य का मैं इकलौता नेता हूं जिसने शांति बनाए रखने की मांग की है. किसी और नेता ने, भाजपा नेताओं ने भी शांति की अपील नहीं की.”
बाहरी विरोधी आंदोलन
ठाकोर ने कहा कि उनका हमेशा से मत रहा है “अगर दूसरे राज्यों के लोग गुजरात काम के लिए आते है, तो गुजराती भी देश के दूसरे भागों में और विदेश काम के लिए जाते है”.
उन्होंने कहा कि “मैं जिस सोसाइटी में रहता हूं वहां के चालीस में से तीस घर उन लोगों के है जो दूसरे राज्यों से आए है.”
ठाकोर और उनके संगठन ने कुछ महीने पहले प्रवासियों के खिलाफ आंदोलन छेड़ा था. उनका कहना था कि गुजरातियों की नौकरियां दूसरे ले जा रहे है और उनकी कोशिश थी कि इस मुद्दे पर अपनी राजनीति चमकाएं. राधनपुर के विधायक हालांकि कहते है कि उनकी “लड़ाई प्रवासियों के खिलाफ नहीं है बल्कि सरकारी नीतियों के खिलाफ है”.
ये मामला उनके लिए इसलिए भी पेचीदा हो गया है क्योंकि वे कांग्रेस के बिहार राज्य के सह प्रभारी भी है और इसलिए खुलकर प्रवासी विरोधी भी नहीं रह सकते.
साथ ही कांग्रेस के हलकों में फुसफुसाहट है कि ठाकोर जोकि 2015 में चमके थे और 2017 में गुजरात चुनाव के ठीक पहले वे कांग्रेस में शामिल हुए थे, अब पार्टी के लिए बोझ बनते जा रहे हैं.
ठाकोर ने कहा. “मुझे राहुल गांधी का पूरा समर्थन प्राप्त है. मैंने पार्टी को अपना पक्ष स्पष्ट किया है और मेरी भूमिका की अगर वो जांच करना चाहते है तो करें.”
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