लखनऊ: पार्टी निश्चित रूप से सरकार से बड़ी है- उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नियुक्त होने के कुछ ही दिन बाद, बाद भूपेंद्र सिंह चौधरी उन्हीं शब्दों को आवाज़ दे रहे थे, जिन्हें पहले उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था.
26 अगस्त को चौधरी की नियुक्ति से कुछ ही दिन पहले कहे गए मौर्य के शब्दों को, उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए छिपी हुई चुनौती के रूप में देखा जा रहा था. मौर्य कथित रूप से उस पद की दावेदारी में थे, जो अब चौधरी के पास है.
दिप्रिंट से बात करते हुए चौधरी ने ये भी कहा, कि केंद्र और राज्य की सरकारें बीजेपी के चुनावी घोषणापत्र पर काम कर रही हैं.
चौधरी ने कहा, ‘बीजेपी के सभी कार्यकर्त्ता जो लंबे समय से काम कर रहे हैं, उन्होंने हमेशा घोषणापत्र या संकल्प पत्र के एजेंडा के आधार पर चुनाव लड़े हैं. केंद्र और राज्य सरकारें इन्हीं वादों को पूरा करने की दिशा में काम कर रही हैं’.
ये पूछने पर कि पार्टी सरकार से बड़ी है इस बयान से उनका क्या तात्पर्य है, उन्होंने कहा कि पार्टियां ही सरकारें बनाती हैं.
उन्होंने कहा, ‘सरकार हमारे कार्यकर्त्ताओं के काम और उनके बलिदान का नतीजा होती है. देखिए 1951 में जब हमने पहली बार अपनी विचारधारा के आधार पर एक राजनीतिक पार्टी (जन संघ) का गठन किया, तो हमारे मन में कुछ विषय थे’.
इसमें एक प्रमुख एजेंडा था भारतीय संविधान की धारा 370 को रद्द करना – अब एक अनावश्यक प्रावधान जिसमें जम्मू-कश्मीर को एक विशेष दर्जा दिया गया था- और यूनिफॉर्म सिविल कोड का मुद्दा. राम मंदिर मुद्दे को इस सूची में बाद में शामिल किया गया.
उन्होंने कहा, ‘उस समय हमारी सरकार (सत्ता में) नहीं थी’.
उन्होंने कहा कि ये वही एजेंडा है जिसे बीजेपी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में- जो पहली बार 2014 में चुनकर सत्ता में आए- पहले धारा 370 को हटाकर और फिर उसके बाद राम मंदिर बनाकर पूरा किया.
‘मोदी और योगी के नेतृत्व में हमें काम करने का अवसर मिला, और हम निश्चित रूप से अपने एजेंडा को पूरा करने की दिशा में आगे बढ़े हैं. हमने एजेंडा की अधिकतर चीज़ों को पूरा कर लिया है, और जो बची हैं उन्हें भी पूरा कर लिया जाएगा’.
क्या इसका मतलब ये है कि उत्तर प्रदेश सरकार भी यूनिफॉर्म सिविल कोड तैयार करने के लिए एक कमेटी का गठन करेगी, जैसा उसके पड़ोसी उत्तराखंड ने किया है?
चौधरी ने सीधा जवाब देने से इनकार करते हुए कहा, कि पार्टी अपने ‘एजेंडा में शामिल सभी वादों को पूरा करेगी’.
तो बीजेपी उत्तर प्रदेश में 2024 के आम चुनावों के लिए किस तरह तैयारियां करेगी, जिस राज्य में 80 संसदीय सीटें हैं? चौधरी ने कहा कि इसके लिए उन 14 संसदीय सीटों पर फोकस किया जाएगा, जिनपर पार्टी 2014 में हार गई थी.
उन्होंने कहा, ‘उनके लिए पार्टी एक विशेष रणनीति बनाएगी और केंद्रीय नेतृत्व भी इसके प्रति गंभीर है. केंद्रीय मंत्रियों के दौरे भी शुरू हो गए हैं’.
लक्ष्य 2024
चौधरी ने दिप्रिंट को बताया कि 2024 के आम चुनावों में बीजेपी सभी 80 सीटों को लक्ष्य बनाने की तैयारी कर रही है. इसका मतलब है उन 14 सीटों पर भी जीत हासिल करना, जो अभी भी पार्टी की पकड़ से बाहर हैं.
इसके लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने उन चुनाव क्षेत्रों के दौरे शुरू कर दिए हैं, जहां बीजेपी 2019 में हारी थी.
उन्होंने कहा, ‘2019 के चुनावों में, हमने 64 सीटें जीती थीं, और 16 सीटों पर हम हारे थे. बाद में इस साल हुए उप-चुनावों में हमने दो और सीटें (आज़मगढ़ और रामपुर) जीत लीं थीं. इसलिए हमारी हारी गई सीटों की संख्या 14 रह गई है’.
इनके लिए पार्टी ने केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर एक योजना तैयार की है- वोटर आउटरीच, अपने संचार को मज़बूत करना, और सरकार के कार्यों के बारे में जानकारी फैलाना.
आगे बोलते हुए चौधरी ने कहा, ‘राज्य में अपराध और भ्रष्टाचार अपने सबसे निचले स्तर पर थे’. उन्होंने आगे कहा: ‘जनता ये सब जानती है’.
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‘नगरपालिका चुनावों में कोई वंशवाद की राजनीति नहीं’
चौधरी ने कहा, ‘बीजेपी, जिसने बार बार समाजवादी पार्टी और कांग्रेस की आलोचना की है, हमेशा ‘परिवारवाद’ के खिलाफ खड़ी रही है और इस साल राज्य में होने वाले नगरपालिका चुनावों में भी इसी पर अमल किया जाएगा’.
क्या वो सुनिश्चित करेंगे कि पार्टी जो कहती है उसपर अमल भी करेगी?
उन्होंने कहा, ‘हमारे यहां किसी के लिए आरक्षण नहीं है, किसी परिवार के लिए तो निश्चित रूप से नहीं. हमारे यहां कार्यकर्त्ताओं के लिए आरक्षण ज़रूर है लेकिन उससे बहुत से लोगों को लाभ हुआ है, जिनमें मैं भी शामिल हूं. यही कारण है कि हम इतनी दूर तक आ गए हैं’.
चौधरी ने कहा कि बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इन शब्दों का ध्यान रखेगी, कि यूपी में आगामी नगरपालिका चुनावों में वंशवाद की राजनीति का अंत हो जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संकल्प है कि वंशों को खत्म कर दिया जाना चाहिए, परिवारवाद को समाप्त कर देना चाहिए. जो बेहतर प्रदर्शन करेगा वही आगे बढ़ेगा’.
ये पूछे जाने पर कि पार्टी को 2021 के पंचायत चुनावों में जो हार का मुंह देखना पड़ा, क्या उसके लिए यही नीति ज़िम्मेवार थी, चौधरी ने कहा: ‘कोई हार नहीं हुई है. बीजेपी पंचायत चुनावों में कामयाब रही. मेरे विचार में ज़िला परिषद, ब्लॉक प्रमुखों, और ग्राम पंचायतों में 90 प्रतिशत लोग बीजेपी का समर्थन कर रहे थे. लेकिन मेरी पार्टी को निश्चित रूप से लगा, कि वंशवाद की राजनीतिक को बढ़ावा नहीं देना चाहिए. पार्टी की मंशा उस पर रोक लगाना है, और मैं उसी के हिसाब से काम करूंगा’.
‘कई एसपी विधायक हमारे संपर्क में’
चौधरी ने दावा किया कि समाजवादी पार्टी के कई विधायक बीजेपी के साथ संपर्क बनाए हुए हैं.
उन्होंने कहा, ‘एसपी ने राष्ट्रीय लोक दल, एसबीएसपी, और महान दल जैसी छोटी पार्टियों के साथ गठबंधन करके 2022 का चुनाव लड़ा. उनके (एसपी प्रमुख अखिलेश यादव) के रवैये पर आपत्ति जताते हुए, और उनके बेअसर होने की वजह से, उन सभी ने गठबंधन को छोड़ दिया है’.
चौधरी बुधवार को किए गए अपने एक दावे के बारे में, पूछे गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे- कि समाजवादी पार्टी नेता बीजेपी के साथ संपर्क में थे. उन्होंने ये दावा तब किया जब यादव ने कथित रूप से केशव प्रसाद मौर्य के समर्थन देने की पेशकश की, यदि वो बीजेपी से टूटकर आ जाएं. यादव की ये कथित पेशकश मौर्य के ‘पार्टी सरकार से बड़ी है’ बयान की पृष्ठभूमि में आई, जिससे पार्टी के भीतर मनमुटाव की अटकलें लगने लगीं थीं.
चौधरी ने कहा कि केशव प्रसाद मौर्य ‘पार्टी के एक निष्ठावान और समर्पित कार्यकर्त्ता हैं’.
उन्होंने कहा, ‘उन्होंने लंबे समय तक एक कार्यकर्त्ता की तरह पार्टी विचारधारा पर काम किया है, और वो अपनी जगह मज़बूत हैं. अखिलेश जी को अपने परिवार और गठबंधन सहयोगियों की चिंता करनी चाहिए. बड़ी संख्या में एसपी विधायक हमारे संपर्क में हैं’.
लेकिन जब ये पूछा गया कि कितने एसपी विधायक उनके संपर्क में थे, तो उन्होंने उसका जवाब देने से मना कर दिया, और सिर्फ ये कहा कि बीजेपी तय करेगी कि क्या करना है.
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