नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को राजस्थान में राष्ट्रपति चुनाव की मांग करने में कोई दिलचस्पी नहीं है ताकि कांग्रेस में चल रही अंदरुनी कलह और भी उभरकर सामने आए. बल्कि इस बीच वो अपनी चुनावी संभावनाओं पर जोर दे रही है ताकि अगले साल सत्तारुढ़ पार्टी को चुनाव में हराया जा सके.
राज्य भाजपा के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बताया कि रणनीति स्पष्ट है कि स्थिति को सामने आने दिया जाए. उन्होंने कहा, ‘चुनाव की तैयारी कर रहे हैं क्योंकि अब ज्यादा समय नहीं रह गया है.’
राज्य भाजपा प्रमुख ने कहा कि पार्टी के पक्ष में जो चीज़ें हैं उसके बारे में हमें मालूम है. पूनिया ने कहा, ‘चाहे वो धारणा हो, एंटी-इनकम्बेंसी हो या संगठनात्मक कौशल. और अब एक और बात है जो हमारी सफलता में जुड़ गया है, वो है कांग्रेस के भीतर चल रही अंदरुनी लड़ाई. ये चार चीज़ें पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए काफी है.’
नई दिल्ली में दिप्रिंट से बात करते हुए पूनिया ने कहा कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले चार साल से अपनी कुर्सी बचाने में व्यस्त हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी फिर से अब सत्ता में नहीं आएगी.
पूनिया ने जोर देकर कहा, ‘शासन पर बल देने की कोई जरूरत नहीं है….हम पूरी तरह से चुनाव के लिए तैयार हैं और हमारी चुनाव संबंधी तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं.’
यह पूछे जाने पर कि गहलोत को खटकने वाले सचिन पायलट क्या भाजपा के संपर्क में थे या पार्टी ने कभी कोशिश की, पूनिया ने इस पर कहा, ‘अभी तक, यह सिर्फ एक काल्पनिक सवाल है और भविष्य की परिस्थितियों के अनुसार हम इन मुद्दों को देखेंगे. इस तरह के मुद्दों पर सिर्फ केंद्रीय नेतृत्व ही फैसला लेगा. लेकिन अभी तक इस पर कोई चर्चा नहीं हुई है.’
पूनिया ने अशोक गहलोत सरकार पर जनमत मिलने के बावजूद राजस्थान के लोगों के साथ धोखा करने का आरोप लगाया.
राज्य में चल रही स्थिति पर भाजपा नज़र बनाए हुए है और उसने ‘रूककर देखने’ की नीति को अपनाने का अभी फैसला लिया है.
एक वरिष्ठ भाजपा नेता के अनुसार, केंद्रीय नेतृत्व को ताजा घटनाक्रमों के बारे में अवगत करा दिया गया है और उनकी तरफ से चुनाव के मद्देनज़र पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने को कहा गया है.
एक और वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘अभी हमारा जोर 2023 के चुनाव पर है और हमारा फोकस बिल्कुल स्पष्ट है. अभी का राजनीतिक संकट गहलोत सरकार को लेकर एंटी-इनकम्बेंसी को बढ़ाएगा और हम निश्चिंत हैं कि जीत हमारी होगी.’
भाजपा के कई वरिष्ठ नेता और मंत्री आने वाले दिनों में कल्याणकारी योजनाओं के मद्देनज़र राज्य का दौरा करेंगे. क्योंकि पार्टी 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस चुकी है.
गहलोत-पायलट खेमों के बीच राज्य में राजनीतिक हंगामे ने कांग्रेस आलाकमान में चिंता बढ़ाई है. यह उम्मीद की जा रही थी कि अगर अशोक गहलोत ने पार्टी की ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस का राष्ट्रपति चुनाव लड़ा तो वह मुख्यमंत्री का पद छोड़ देंगे. लेकिन उनके वफादारों को इस बात की चिंता है कि आलाकमान सीएम की कुर्सी सचिन पायलट को सौंप सकता है, जिन्होंने 2020 में गहलोत सरकार के खिलाफ विद्रोह किया था.
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