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Friday, 22 November, 2024
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उन्नाव गैंगरेप पीड़िता की मोदी, योगी से अपील के बाद BJP ने ‘सेंगर के सहयोगी’ का टिकट काटा

भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई ने अरुण सिंह को उन्नाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर कर दिया है, जिन पर पीड़िता ने कथित तौर पर अपने गैंगरेप और पिता की हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया है.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश भाजपा ने उन्नाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद की दौड़ में शामिल अरुण सिंह की उम्मीदवारी वापस ले ली है, यह कदम उन्नाव गैंगरेप पीड़िता के बयान वाला एक वीडियो जारी होने के कुछ ही घंटों बाद उठाया गया जिसमें उसने उन्हें अपने हमलावरों में से एक बताया है.

उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री राघवेंद्र प्रताप सिंह के रिश्तेदार अरुण सिंह उन्नाव के औरस वार्ड से जिला पंचायत सदस्य हैं. वह इसी साल अप्रैल में हुए चुनाव में पंचायत सदस्य चुने गए थे.

भाजपा के उन्नाव जिलाध्यक्ष राज किशोर रावत ने दिप्रिंट से बातचीत में पुष्टि की कि अरुण सिंह की उम्मीदवारी वापस ले ली गई है.

रावत ने कहा, ‘इस मामले पर विचार करने के बाद हमने उनकी उम्मीदवारी वापस ले ली. अब शकुन सिंह हमारे प्रत्याशी होंगे. वह अभी उन्नाव के वार्ड नंबर 22, फतेहपुर चौरासी से जिला पंचायत सदस्य हैं.

यह घटनाक्रम ऐसे समय पर सामने आया है जबकि कुछ घंटों पहले ही उन्नाव गैंगरेप पीड़िता, जिस मामले में भाजपा के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर को दोषी ठहराया गया था, ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अरुण सिंह का समर्थन न करने की अपील की.

एक वीडियो के जरिये जारी बयान में उसने आरोप लगाया कि अरुण सिंह उसके गैंगरेप और उसके पिता की हत्या में शामिल थे.

यद्यपि अरुण सिंह पर गैंगरेप या युवती के पिता की हत्या के सिलसिले में कोई मामला दर्ज नहीं किया गया था लेकिन जुलाई 2019 में जब रेप पीड़िता एक हादसे का शिकार हुई थी तब कुलदीप सेंगर के साथ प्राथमिकी में उनका नाम भी लिखाया गया था. अरुण सिंह को बाद में इस मामले में बरी कर दिया गया था.

उन्नाव गैंगरेप पीड़िता, जो अब वयस्क हो चुकी है, जून 2017 में तब 16 साल की थी जब सेंगर और अन्य लोगों ने उसका यौन उत्पीड़न किया था. लड़की ने आरोप लगाया था कि जब वह 11 साल की थी तभी से कई मौकों पर सेंगर ने उसका उत्पीड़न किया, उसे मारा पीटा, उसे अपने घर में कैद रखा और पढ़ाई छोड़ने के लिए मजबूर किया. यही नहीं आवाज उठाने पर गंभीर नतीजे भुगतने की धमकी तक दी.

अरुण सिंह इस मामले से जुड़ने के कारण चुनाव से बाहर होने वाले दूसरे भाजपा नेता हैं. इससे पहले 11 अप्रैल को पंचायत चुनाव के पहले चरण में भाजपा ने सेंगर की पत्नी संगीता का टिकट रद्द कर दिया था, जिन्हें उन्नाव के फतेहपुर चौरासी के वार्ड नंबर 22 से पार्टी प्रत्याशी बनाया गया था. संगीता सेंगर उन्नाव जिला पंचायत की निवर्तमान अध्यक्ष हैं.


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‘सेंगर के सहयोगी’

इससे पहले, दिन में वीडियो पर जारी अपने बयान में पीड़िता ने आरोप लगाया कि अरुण सिंह सेंगर के करीबी सहयोगी हैं. पीड़िता ने कहा, ‘मैं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री से जानना चाहती हूं कि भाजपा सरकार मेरे साथ है या मेरे खिलाफ. मेरे गैंगरेप और मेरे पिता की हत्या के मामले में एक आरोपी अरुण सिंह को जिला पंचायत चुनाव में टिकट मिला है. अरुण सिंह सेंगर के करीबी सहयोगी रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘भाजपा सरकार इस तरह के आरोपियों को क्यों आगे बढ़ा रही है? एक तरफ वे इंसाफ की बात करते हैं और दूसरी तरफ ऐसे लोगों को टिकट बांटते हैं. मैं जानना चाहती हूं कि भाजपा सरकार मेरे साथ है या खिलाफ. मैं भाजपा आलाकमान से उनका टिकट रद्द करने का अनुरोध करती हूं.’

पूर्व में यूपी भाजपा के प्रवक्ता हरीश श्रीवास्तव ने दिप्रिंट से कहा था कि उम्मीदवारों के चयन से उनका कोई लेना-देना नहीं है.

उनका कहना था, ‘जिला पंचायत चुनावों में सभी टिकट जिलाध्यक्षों के परामर्श के बाद दिए जाते हैं. इन नामों की सिफारिश संबंधित जिला अध्यक्षों की तरफ से की जाती है.’

उन्नाव जिलाध्यक्ष राज किशोर रावत ने भी पहले अरुण सिंह को समर्थन के पार्टी के फैसले का बचाव किया था. उन्होंने कहा था, ‘हमारे उम्मीदवार अरुण सिंह निर्दोष हैं. आरोप गलत हैं. वह दोषी साबित नहीं हुए हैं. वह सेंगर के सहयोगी नहीं है. ये सब विपक्ष की साजिश है.

जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव 3 जुलाई को होना है.


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