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Tuesday, 5 November, 2024
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1857 के स्वतंत्रता सेनानी की जीत के जश्न से टूटेगा पाकिस्तान का रिकॉर्ड, BJP के आयोजन से JD(U) नाराज

पाकिस्तान के 56,618 झंडों के विश्व रिकॉर्ड को तोड़ने के लिए कुंवर सिंह के सम्मान में 23 अप्रैल को प्रस्तावित कार्यक्रम में भीड़ द्वारा कम से कम 75,000 राष्ट्र ध्वज लहराने की योजना है. भाजपा के एक आइकन का इस तरह ‘इस्तेमाल करने’ को लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ गया है.

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पटना: 1857 में प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान बिहार में अंग्रेजों के खिलाफ जंग का मोर्चा संभालने वाले महान स्वतंत्रता सेनानी कुंवर सिंह अब राज्य में एक राजनीतिक टकराव का विषय बन गए हैं, और वो भी उस दिन की याद में होने वाले जश्न की वजह से, जब उन्होंने जगदीशपुर किले को अंग्रेजों से मुक्त करा लिया था.

पारंपरिक तौर पर इस मौके पर यानी 23 अप्रैल को राज्य सरकार की तरफ से जश्न मनाया जाता रहा है, लेकिन इस वर्ष केंद्र की भाजपा सरकार ने भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में जारी ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम की एक कड़ी के तहत ही भव्य आयोजन की तैयारी की है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय के मुताबिक, इसके पीछे भाजपा का इरादा यह भी है कि बिहार के भोजपुर जिले में कुंवर सिंह के गृह क्षेत्र जगदीशपुर में होने वाले इस कार्यक्रम के साथ पाकिस्तान का एक रिकॉर्ड तोड़ दिया जाए. दरअसल, किसी कार्यक्रम में भीड़ की तरफ से सबसे ज्यादा राष्ट्र ध्वज लहराने का रिकॉर्ड मौजूदा समय में पाकिस्तान के पास है.

पाकिस्तान के नाम मार्च 2004 में लाहौर में पंजाब यूथ फेस्टिवल के दौरान 56,618 झंडों का रिकॉर्ड है. भाजपा यह सुनिश्चित करने का हरसंभव प्रयास कर रही है कि शनिवार के कार्यक्रम में भारतीय राष्ट्र ध्वज तिरंगा लेकर शामिल होने वाले लोगों की संख्या 75,000 तक पहुंच जाए.

बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दिप्रिंट को बताया, ‘गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की एक टीम इस अवसर पर गिनती के लिए पहले से ही जगदीशपुर पहुंच चुकी है.’

हालांकि, भाजपा की तरफ से कुंवर सिंह की जीत की सालगिरह का ‘इस्तेमाल’ करने को लेकर न केवल विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद), बल्कि गठबंधन सहयोगी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) की भौंहे भी तन गई है. गठबंधन सहयोगी भाजपा और जदयू के बीच मतभेद पहले से ही कायम हैं.’

सूत्रों ने बताया कि जदयू पारंपरिक रूप से हर साल पार्टी कार्यालय में होने वाले समारोह का आयोजन नहीं कर रहा है, वहीं, नीतीश ने इस अवसर पर जगदीशपुर की अपनी वार्षिक यात्रा को भी रद्द कर दिया है.

बिहार विधान परिषद में जदयू के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘इस आयोजन में सभी पार्टियों की भागीदारी होनी चाहिए थी लेकिन इसके बजाये भाजपा ने इसे विशेष तौर पर एक पार्टी समारोह बना दिया है.’

इस बीच, राजद विधायक रामानुज प्रसाद ने दिप्रिंट से कहा कि ‘संघ परिवार ने अतीत में राष्ट्रीय ध्वज के लिए बहुत ही कम सम्मान दिखाया है और स्वतंत्रता आंदोलन से उनका अपना कोई नायक नहीं रहा है.’

उन्होंने कहा, ‘आरएसएस ने अपने मुख्यालय ने लंबे समय तक राष्ट्रीय ध्वज नहीं फहराया था. इस कार्यक्रम के जरिये वे अपने पिछले पापों को धोने और कुंवर सिंह की विरासत कब्जाने की कोशिश कर रहे हैं. बिहार में हर जाति और समुदाय के लोग कुंवर सिंह का सम्मान करते हैं.’


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राजपूत गौरव का प्रतीक

जगदीशपुर में एक छोटी-सी रियासत के शासक कुंवर सिंह ने 1857 में भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के दौरान पश्चिमी बिहार और पूर्वी यूपी के बड़े हिस्से को सफलतापूर्वक अंग्रेजों के कब्जे से मुक्त कराया था. यही नहीं, 1858 में अपनी मृत्यु से पहले वह इस क्षेत्र को करीब एक साल तक ब्रिटिश शासन से मुक्त रखने में कामयाब भी रहे थे.

राजपूत समुदाय से आने वाले कुंवर सिंह तबसे बिहार में अपने समुदाय के लिए गौरव का प्रतीक रहे हैं, और राज्य की सरकारें हमेशा ही उनकी विरासत के जश्न के नाम पर काफी कुछ करती रही हैं. बिहार में चुनावी राजनीति के लिहाज से काफी अहम माने जाने वाले इस समुदाय को खुश करने के उनकी प्रतिमाएं लगाने, या उनके नाम पर संस्थानों का नामकरण जैसे कदम उठाए जाते रहे हैं.

भाजपा सदस्यों का एक वर्ग ये संकेत देता है कि कुंवर सिंह का भव्य उत्सव राज्य में राजपूत वोटबैंक को मजबूत करने की पार्टी की कोशिश का हिस्सा है. खासकर यह देखते हुए कि इसी महीने बोचाहा उपचुनाव में उच्च जाति वाले भूमिहार समुदाय के साथ न देने से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा है.

हालांकि, पार्टी में बहुमत की राय इस तर्क के खिलाफ है. भाजपा प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने दिप्रिंट को बताया, ‘कुंवर सिंह के नाम पर किसी भी अन्य राजनीतिक दल ने इतना बड़ा शो आयोजित नहीं किया है.’

झंडे का रिकॉर्ड

पटेल ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह कुंवर सिंह की जीत की सालगिरह पर जगदीशपुर में राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे और 200 से अधिक स्टॉल इस कार्यक्रम में शामिल होने वालों को भारतीय ध्वज देंगे.

बहरहाल, भाजपा के इस भव्य जश्न ने राज्य में पार्टी के अपने ही सदस्यों के लिए मुश्किलें भी खड़ी कर दी हैं. भोजपुर और उसके आसपास के हर भाजपा विधायक और सांसद को कार्यक्रम के लिए 1,000 लोगों को जुटाने के लिए कहा गया है.

भाजपा के एक विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘यह एक कठिन कार्य है, खासकर इस तथ्य को देखते हुए कि यह कार्यक्रम गर्मी के दिनों में दोपहर 12 बजे आयोजित किया जा रहा है.’

भाजपा की कोशिश भोजपुर के आसपास के 10 जिलों से भीड़ जुटाने की है.

पटेल ने कहा, ‘जहां यह कार्यक्रम हो रहा है वहां भाजपा का झंडा नहीं होगा. केवल राष्ट्र ध्वज होंगे. संख्या एक लाख से ऊपर हो सकती है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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