नई दिल्ली: वक्फ (धर्मार्थ दान की इस्लामी प्रथा) की अवधारणा ने भारत में लंबे समय से राजनीतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक बहस को हवा दी है. हालिया विवाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर था, जिसे पिछले हफ्ते संसद के दोनों सदनों में पारित होने के बाद रविवार को भारत के राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली.
लोकसभा में विधेयक पर चर्चा के दौरान झारखंड के गोड्डा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद निशिकांत दुबे ने कहा कि रब्बी मुखैरिक, एक यहूदी विद्वान, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने 625 ई. में उहुद की लड़ाई में पैगंबर मुहम्मद के साथ लड़ाई लड़ी थी, वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने अपने बगीचे को पैगंबर को वक्फ के रूप में समर्पित किया था.
इस दावे ने वक्फ पर चल रहे विमर्श में एक अप्रत्याशित अंतरधार्मिक आयाम जोड़ दिया.
हरियाणा वक्फ बोर्ड के इस्लामिक विद्वान और कल्याण अधिकारी मुबारक हुसैन ने दिप्रिंट को बताया, “वक्फ एक ऐसी चीज़ है जिसका सदियों से पालन किया जाता रहा है और समय के साथ इसे अपने नियमों और विनियमों के साथ एक संस्था के रूप में औपचारिक रूप दिया गया है.”
उन्होंने आगे कहा, “रब्बी मुखैरिक का उल्लेख कहानियों और एनेकडोट्स में किया जाता है, लेकिन इस्लामी इतिहास या हदीस में उनका कोई संदर्भ नहीं है.”
दुबे के बयान के बाद, मुस्लिम समुदाय के कई लोगों ने शंका जताई और सवाल किया कि उन्हें ऐसे ऐतिहासिक विवरण के बारे में कैसे पता चला जो कई मुस्लिम और इस्लामी विद्वानों के लिए भी नया है, लेकिन ऐसा लगता नहीं है.
जुलाई 2022 में, यूरेशिया रिव्यू के लिए लिखते हुए, एलन एस. मैलर जो एक नियुक्त रब्बी और द टाइम्स ऑफ इज़राइल के कॉलमनिस्ट हैं, उन्होंने मुखैरिक के बारे में लिखा है.
मैलर के अनुसार, उहुद की लड़ाई के दौरान, मुखैरिक ने घोषणा की कि अगर वे युद्ध में मारे जाते हैं, तो उनकी सारी संपत्ति, जिसमें सात बगीचे भी शामिल हैं, पैगंबर को दे दी जानी चाहिए. पैगंबर ने तब इस विरासत का इस्तेमाल इस्लाम में पहला वक्फ स्थापित करने के लिए किया, जिससे मदीना में गरीबों को सहायता मिली.
मैलर ने इस जानकारी का क्रेडिट यूनिवर्सिटी ऑफ डेलावेयर में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और इसके इस्लामिक स्टडीज़ प्रोग्राम के डायरेक्टर डॉ. मुक्तेदार खान को दिया.
मैलर के अनुसार, खान ने मुखैरिक को “इस्लाम के पहले यहूदी शहीद” का कहा है.
उन्होंने यह भी बताया कि यह प्रकरण — जो समकालीन इस्लामी उपदेशों में काफी हद तक अनुपस्थित है — अंतरधार्मिक समझ के लिए इसके गहरे मायने हैं.
अगस्त 2023 में यूरेशिया रिव्यू के लिए लिखे गए अपने दूसरे लेख में, मैलर ने मुखैरिक की कहानी को और विस्तार से बताया, जो मदीना के एक यहूदी थे, जिन्होंने शुरुआती इस्लामी इतिहास के एक महत्वपूर्ण क्षण के दौरान पैगंबर के कारण का समर्थन किया था. लेख का शीर्षक था ‘Prophet Muhammad’s Very Rabbinic Ally’.
दुबे की टिप्पणियों ने समुदायों में भी भौंहें चढ़ा दीं, कुछ ने उनकी जानकारी के स्रोत पर सवाल उठाए. उनके बयान ने ऑनलाइन चर्चा को जन्म दिया कि कैसे ऐसा व्यक्ति — अगर इतना महत्वपूर्ण है — धार्मिक शिक्षा और सार्वजनिक जागरूकता से दूर रहा.
लंदन स्थित डिजिटल समाचार प्रकाशन मिल्ली क्रॉनिकल के निदेशक जहाक तनवीर ने एक्स पर लिखा, “मिस्टर दुबे को यह सब कैसे पता है? यहां तक कि धार्मिक मुसलमानों ने भी मुखैरिक के बारे में कभी नहीं सुना, न ही वह जानते हैं कि उन्हें पैगंबर के साथियों के साथ मदीना में दफनाया गया था.”
#BJP MP Nishikant Dubey in Parliament quoted #Jewish Rabbi #Mukhayriq who was the close friend of Prophet Mohammed ﷺ. Mukhayriq fought for the Prophet in the battle of Uhud and died. He was the one who first gifted his orchard as the #Waqf to the Prophet.
How does Mr. Dubey…
— Zahack Tanvir – ضحاك تنوير (@zahacktanvir) April 3, 2025
मुखैरिक की कहानी पर लोगों की राय अलग-अलग है — कुछ लोग इसे मनगढ़ंत मानते हैं, जबकि कुछ का कहना है कि इस पर गहन अकादमिक जांच की जानी चाहिए.
रब्बी मुखैरिक और इस्लामी इतिहास में वक्फ की अवधारणा पर, जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) के सहायक सचिव (सामुदायिक मामले) इनाम-उर-रहमान ने दिप्रिंट को बताया कि अल्लाह के नाम पर कुछ समर्पित करने का हमेशा से प्रचलन रहा है. हालांकि, पैगंबर मुहम्मद के वक्त इसे विशिष्ट नियमों के साथ औपचारिक रूप दिया गया, जिससे इस तरह की कहानियों को प्रमुखता मिली. रहमान ने सुझाव दिया, “रब्बी मुखैरिक ने अपने बगीचे का ज़िक्र करते हुए पैगंबर मुहम्मद से इस जगह के बारे में पूछा था, जिस पर पैगंबर ने इसे वक्फ बनाने की सलाह दी थी.”
वक्फ इस्लामी कानून में एक धर्मार्थ बंदोबस्ती को संदर्भित करता है, जहां कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति — जैसे घर, ज़मीन या इमारत — को धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए समर्पित करता है. एक बार वक्फ घोषित हो जाने के बाद इन परिसंपत्तियों को बेचा, हस्तांतरित या निजी लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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