लखनऊ : राम मंदिर आंदोलन के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे कल्याण सिंह का कहना है कि वह बाबरी विध्वंस मामले में अपना जवाब न्यायालय को देंगे, किसी और को नहीं. राजस्थान का राज्यपाल होने के नाते उन्हें अभी तक समन नहीं हो सकता था, लेकिन अब उन्हें समन मिलेगा और पूछताछ होगी. तब अदालत में पेश होकर वह सभी सवालों के जवाब देंगे.
कल्याण सिंह ने कहा, ‘समन में जो तारीख मिलेगी, उस पर मैं जाऊंगा. इसमें मुझे कोई दिक्कत नहीं है.’
राम मंदिर पर अपनी मंशा बताते हुए उन्होंने कहा, ‘यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. हम लोग कोर्ट के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं. निर्णय क्या होगा, पक्ष में आता है या विपक्ष में रहता है, क्या पता. फैसला आने के बाद केंद्र सरकार की भूमिका सामने आएगी.’
कल्याण सिंह ने कहा, ‘मेरा पक्ष इस मुद्दे पर पूरी तरह स्पष्ट है. मैं इस विषय पर कोई राजनीति नहीं करना चाहता, लेकिन सभी पार्टियों को इस पर अपना रुख साफ करना चाहिए. सपा, बसपा या कांग्रेस किसी भी दल ने इस मुद्दे पर अभी अपना रुख साफ नहीं किया है.’
उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था. इसे शेख अब्दुल्ला के कहने पर लागू किया गया था. केंद्र सरकार ने इसे समाप्त कर ठीक ही किया. कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था और रहेगा.
कल्याण सिंह ने कहा, ‘भाजपा में मेरी भूमिका एक सामान्य श्रेणी कार्यकर्ता की है. पार्टी के मुखिया जो कहेंगे, मैं वही करूंगा. मैं किसी का प्रतियोगी नहीं हूं, बल्कि सभी का सहयोगी बनने आया हूं. मैं एक सामान्य और समर्पित कार्यकर्ता के रूप में काम करूंगा. केंद्र में मोदी जी और उप्र में योगी जी हैं. इन दोनों के दिशा निर्देशन में ही काम करूंगा. उप्र में मेरी क्या भूमिका होगी, अभी तय नहीं की है.’
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परिवारवाद को लेकर उन्होंने कहा, ‘हमारा पूरा परिवार बचपन से ही राजनीति में है. इसीलिए वह राजनीति में अपना-अपना सहयोग दे रहा है. मेरा बेटा होश संभालते ही राजनीति में आया, पौत्र भी होश संभालते ही राजनीति में आया. बहू भी राजनीति में रही हैं. ये लोग अच्छा काम कर रहे हैं. विपक्ष के पास कहने के लिए कोई मुद्दा नहीं है. तथाकथित परिवारवाद से कौन सा दल मुक्त है?’
कल्याण सिंह ने कहा, उत्तर प्रदेश में भाजपा अब अपराजेय बन गई है. केंद्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा का कोई विकल्प नहीं है. कई पार्टियां बन रही, फिर टूट रही हैं. ऐसे में लोगों का विश्वास किसी अन्य दल पर नहीं बचा है.
सपा-बसपा की वापसी के सवाल पर कल्याण सिंह ने कहा कि प्रदेश में अब इन दोनों दलों की वापसी संभव नहीं है. ये पार्टियां और इनके नेता जनाधार व जनता का विश्वास खो चुके हैं. भाजपा अपने काम के दम पर आगे बढ़ रही है. भाजपा के उप्र में वर्तमान में सबसे ज्यादा सदस्य बन चुके हैं. देश में मोदी और प्रदेश में योगी का कोई विकल्प ही नहीं है, बल्कि कोई पात्र भी नहीं है.
कल्याण सिंह राजस्थान के राज्यपाल का पांच साल का कार्यकाल खत्म होते ही उत्तर प्रदेश की सक्रिय राजनीति में लौट आए हैं. उन्होंने फिर से भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है. उनकी गिनती भाजपा के कद्दावर नेताओं में होती है. उनकी पहचान ‘कट्टरपंथी हिंदुत्ववादी’ और प्रखर वक्ता की थी. वह दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं.
अयोध्या आंदोलन ने भाजपा के कई नेताओं को देश की राजनीति में पहचान दी. कल्याण भाजपा के इकलौते नेता थे, जिन्होंने 6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में बाबरी विध्वंस के बाद अपनी सत्ता की बलि चढ़ा दी थी.