नई दिल्ली: भाजपा अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को बिहार के हर विधानसभा क्षेत्र में भेजने की तैयारी कर रही है ताकि लोगों तक पहुंच बढ़ाई जा सके और पार्टी का जनाधार मजबूत हो. एनडीए शासित राज्य में पार्टी यह कवायद ऐसे समय शुरू कर रही है जब अपने सहयोगी दल जनता दल (यूनाइटेड) के साथ उसके रिश्तों में काफी कड़वाहट आ गई है .
अपने आउटरीच प्रोग्राम के हिस्से के तौर पर भाजपा ने 30-31 जुलाई को अपनी विभिन्न विंग—किसान मोर्चा, महिला मोर्चा, एससी मोर्चा, युवा मोर्चा, एसटी मोर्चा, ओबीसी मोर्चा और अल्पसंख्यक मोर्चा—की एक संयुक्त बैठक बुलाई है. इसके अलावा 28-29 जुलाई को बिहार के निर्वाचन क्षेत्रों में ‘प्रवास’ का आयोजन किया जाएगा.
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और राष्ट्रीय महासचिव बी.एल. संतोष संयुक्त बैठक की अध्यक्षता करेंगे, जिसमें सभी राज्यों में भाजपा की विभिन्न विंग के अध्यक्ष, महासचिव और अन्य पदाधिकारी भी शामिल होंगे.
बिहार में विधानसभा स्तर पर संवाद की भाजपा की योजना उसी तरह के आउटरीच प्रोग्राम पर आधारित है, जिसे इस माह की शुरू में हैदराबाद में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले तेलंगाना में केंद्रीय मंत्रियों और नेताओं ने अपनाया था.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘जैसा तेलंगाना में हुआ, जिसकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सराहना की थी, उसी तरह इस संयुक्त बैठक से पहले भी भाजपा विंग के सभी नेताओं को अलग-अलग विधानसभा क्षेत्र आवंटित किए जाएंगे.’
वे मतदाताओं के साथ बैठक करेंगे और उन्हें मोदी सरकार की योजनाओं के बारे में बताएंगे और ये भी बताएंगे कि अब तक क्या-क्या किया गया है.
यह पूछने पर कि क्या पार्टी कार्यकर्ता जदयू के प्रतिनिधित्व वाले निर्वाचन क्षेत्रों में भी जाएंगे, भाजपा नेता ने कहा कि यह ‘एक संगठनात्मक मामला है और पार्टी को मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं.’
एक अन्य नेता ने कहा, ‘हमारा ध्यान यह सुनिश्चित करने पर है कि हम बिहार के हर हिस्से में मजबूत हों. गठबंधन जरूर है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी पार्टी को मजबूत करने की कोशिश नहीं करेंगे.’
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क्यो होगी कार्यप्रणाली
भाजपा सूत्रों ने कहा कि आउटरीच प्रोग्राम की रूपरेखा अभी तैयार की जा रही है और इसमें बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटें शामिल होंगी.
सूत्रों ने कहा, अब तक तैयार कार्यक्रम के हिस्से के रूप में बिहार में अनुसूचित जाति (एससी) समुदायों के वर्चस्व वाली सीटों को एससी मोर्चा के पदाधिकारियों को सौंपा जाएगा. जानकारी के मुताबिक, उन्हें लोगों को राज्य और केंद्र में मोदी सरकार की तरफ से किए गए कार्यों के बारे में जागरूकता बढ़ाने का काम सौंपा जाएगा, और उन्हें यह भी बताना होगा कि आगे सरकार की क्या योजनाएं हैं.
इसी तरह ओबीसी मोर्चा के पदाधिकारियों को ओबीसी वर्चस्व वाली सीटों की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी.
पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा, ‘अल्पसंख्यक मोर्चा, युवा मोर्चा, एसटी मोर्चा और अन्य को भी इसी तरह जिम्मेदारियां दी जा रही हैं. महिला मोर्चा एक अहम मोर्चा है और खासकर बिहार में तो इसके काफी ज्यादा मायने हैं. इसे बिहार में महिलाओं के साथ संवाद करने को कहा गया है.’
भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रेखा गुप्ता ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि संगठन कार्यकर्ता निर्वाचन क्षेत्रों का दौरा करेंगी और भाजपा की संयुक्त बैठक से पहले लोगों से बातचीत की जाएगी.
उन्होंने आगे कहा, ‘बातचीत से हमें यह समझने में मदद मिलेगी कि लोगों की अपेक्षाएं क्या हैं. साथ ही हम उन्हें केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों और योजनाओं से अवगत करा सकेंगे. हम केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों के साथ भी बैठक करेंगे और जनता की शिकायतें सुनेंगे.’
2020 के विधानसभा चुनावों के बाद से भाजपा बिहार में वरिष्ठ गठबंधन सहयोगी बन गई है, जिसने जदयू के 43 के मुकाबले 74 सीटें जीती हैं. उसके बाद से ही पिछले दो सालों में भाजपा नेता अक्सर—सार्वजनिक तौर पर—नीतीश कुमार के खिलाफ बयान देते रहे हैं, खासकर शराबबंदी कानून जैसी सरकार की नीतियों की आलोचना की जाती रही है.
स्वतंत्रता सेनानी कुंवर सिंह द्वारा 1857 में अंग्रेजों से जगदीशपुर किला मुक्त कराने के सम्मान में इस साल अप्रैल में भाजपा ने एक भव्य समारोह की तैयारियां की और जदयू को इससे बाहर रखा गया.
जदयू भी अपनी तरफ से राज्य में जाति जनगणना जैसे विवादास्पद मुद्दों पर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रहा है.
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