scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमराजनीतिन केंद्र में अनुप्रिया को मंत्रालय और न ही यूपी में पति को, कुर्मी वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी का अलग प्लान

न केंद्र में अनुप्रिया को मंत्रालय और न ही यूपी में पति को, कुर्मी वोटर्स को साधने के लिए बीजेपी का अलग प्लान

पूर्वांचल में कुर्मी वोटबैंक को साधने के लिए बीजेपी अपना दल(एस) को बढ़ावा देने के बजाए अपने कुर्मी नेताओं को मजबूत करने में लगी.

Text Size:

लखनऊ : मोदी कैबिनेट में जगह बनाने में नाकामयाब रहीं अपना दल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल को दूसरा झटका बीते बुधवार लगा. योगी कैबिनेट के पहले विस्तार में उनके पति व एमएलसी आशीष पटेल को जगह नहीं मिली. जबकि पिछले कई दिनों से उनके नाम की चर्चा थी. ऐसे में ये अनुप्रिया पटेल और उनकी पार्टी अपना दल (एस) के लिए इस साल लगा ये दूसरा बड़ा झटका है.

भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो इसके पीछे सोची-समझी रणनीति है. वहीं पूर्वांचल में कुर्मी वोटबैंक को साधने के लिए बीजेपी अपना दल (एस) को बढ़ावा देने के बजाए अपने कुर्मी नेताओं को मजबूत करना चाहती है. इसी कड़ी में मिर्जापुर के मड़िहान से विधायक रमाशंकर पटेल को मंत्री बनाया है जबकि मिर्जापुर से ही सांसद अनुप्रिया पटेल के पति आशीष पटेल को नजरअंदाज किया है. भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो रमाशंकर का कद अनुप्रिया व अपना दल को चिढ़ाने के लिए बढ़ाया गया है. दरअसल पूर्वी यूपी में बीजेपी  किसी सहयोगी दल के बजाए अपने कुर्मी नेताओं को बढ़ावा देना चाहती है.

सहयोगी होकर भी अनुप्रिया को नहीं मिला सहयोग

यूपी में अपना दल (एस) बीजेपी की सहयोगी पार्टी है. अपना दल के दो सांसद और 9 विधायक हैं. 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपना दल (एस) ने 11 विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे और उनमें से 9 सीटों पर जीत दर्ज की थी. जीती हुई सीटों पर अपना दल (एस) का वोट शेयर करीबन 40 फीसदी से अधिक था. ऐसे में कुर्मी वोटर्स को रिझाने के लिए भाजपा को अपना दल (एस) का साथ भाया था लेकिन बदलते हालातों ने बीजेपी की रणनीति भी बदल दी है .

यूपी की जातीय अंकगणित में सात फीसदी वोटबैंक कुर्मियों का है. जातिगत आधार पर देखें तो यूपी के16 जिलों में कुर्मी और पटेल वोटबैंक छह से 12 फीसदी तक है. इनमें मिर्जापुर, सोनभद्र, बरेली, उन्नाव, जालौन, फतेहपुर, प्रतापगढ़, कौशांबी, प्रयागराज, सीतापुर, बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर और बस्ती जिले प्रमुख हैं. भाजपा का प्रयास हर जिले में अपने कुर्मी नेता को बढ़ावा देने का है.


यह भी पढ़ेंः जातीय समीकरण में उलझा योगी का पहला कैबिनेट विस्तार, राजनाथ के बेटे को नहीं मिली जगह


अचानक से नीचे हुआ ग्राफ़

अनुप्रिया 2014 में मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनी थीं. उन्हें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री बनाया गया. इस बीच उनकी पार्टी दो हिस्सों में बंट गई. उनकी मां कृष्णा पटेल अलग हो गईं. 2019  चुनाव से पहले अपना दल और भाजपा के बीच सीट बंटवारे का पेच फंसता दिखा. हालांकि बाद में बात बन गई लेकिन बागी तेवर दिखाने के कारण उन्हें दूसरी बार मंत्रालय नहीं मिला. हालांकि वह भाजपा के साथ बनी रहीं. इस बीच यूपी के सियासी गलियारों में ये कयास लगाए जाने लगे कि अपना दल के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष आशीष सिंह पटेल को योगी मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा. इसी के मद्देनजर आशीष सिंह को एमएलसी बनाया गया ताकि मंत्रिमंडल का दरवाजा उनके लिए खोला जा सके. अपना दल (एस) के समर्थक भी आशीष सिंह को लगातार बधाई दे रहे थे लेकिन 21 अगस्त को शपथ ग्रहण के पहले जब मंत्रियों की सूची सामने आई, तो उन्हें मायूसी हाथ लगी.

बागी तेवर और प्रियंका से मुलाकात भी है कारण

भाजपा से जुड़े सूत्रों की मानें तो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अनुप्रिया पटेल ने बागी रुख अख्तियार कर लिया था जिसका खामियाजा वह भुगत रही हैं. खबरें तो यहां तक आईं कि उन्होंने प्रियंका गांधी से भी मुलाकात की थी लेकिन कांग्रेस में बात नहीं बनी. वक्त की नजाकत को देख बीजेपी नेताओं ने उस वक्त तो चुप्पी साधे रखी, लेकिन चुनाव के नतीजे आते ही उन्होंने अनुप्रिया पटेल को टारगेट करना शुरू कर दिया. मोदी लहर में अनुप्रिया चुनाव तो जीत गईं लेकिन बीजेपी थिंक टैंक की नजरों से उतर गईं.

बीजेपी का प्लान

बीजेपी को ये भी अंदाजा है कि अगर अनुप्रिया पटेल और उनका परिवार मजबूत हुआ तो उसकी कोशिश परवान नहीं चढ़ेगी. लिहाजा उसने अपना दल (एस) को साइड लाइन कर दिया. वहीं कुर्मियों को साधने के लिए उसने स्वतंत्र देव सिंह को यूपी की कमान सौंप दी तो आनंदीबेन पटेल को गवर्नर बना दिया. कैबिनेट विस्तार में अनुप्रिया के पति आशीष पटेल के बजाय मिर्जापुर के मड़िहान से विधायक रमाशंकर पटेल को मंत्री बना दिया.

इसके अलावा पूर्वांचल की जिन अन्य सीटों पर अपना दल (एस) के मौजूदा विधायक हैं वहां अपने संगठन के कुर्मी नेताओं को तवज्जो देना शुरू कर दिया है.

share & View comments