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Sunday, 23 June, 2024
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हरियाणा में दलितों को खुश करने में जुटी BJP, कांग्रेस अपने प्रतिद्वंदी के OBC प्रयासों को लेकर चौकन्नी

एससी और जाटों ने मिलकर कांग्रेस को राज्य की 10 लोकसभा सीटों में से 5 सीटें बीजेपी से छीनने में मदद की. सीएम सैनी के नेतृत्व वाली सरकार अब दलितों का दिल जीतने के लिए कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ा रही है.

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गुरुग्राम: हरियाणा में इस साल के लोकसभा चुनाव में इंडिया ब्लॉक उम्मीदवारों के समर्थन में जाट और अनुसूचित जाति (एससी) मतदाताओं के एकजुट होने से चिंतित मुख्यमंत्री नायब सैनी ने दलितों तक पहुंचने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें सरकारी योजनाओं का तेज़ी से लागू किया जाना भी शामिल है, क्योंकि राज्य में इस साल अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने हैं.

राज्य और केंद्र में सत्ता में काबिज़ बीजेपी ने हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में से पांच पर जीत हासिल की, जबकि इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व कर रही कांग्रेस ने बाकी पांच सीटों पर जीत हासिल की. ​​बीजेपी ने पहले सभी 10 सीटों पर जीत हासिल की थी.

अब, विधानसभा चुनाव में सिर्फ तीन महीने बचे हैं, ऐसे में दोनों पार्टियों ने उन मतदाताओं को लक्षित करने के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं, जो उनसे दूर चले गए हैं, लेकिन उन्हें वापस लाया जा सकता है.

पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पार्टी विधायकों से कहा है कि वे शहरी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिशें बढ़ाएं, जिन्होंने इस चुनाव में बड़ी संख्या में भाजपा को चुना है, साथ ही ओबीसी को भी. ओबीसी पर ध्यान भाजपा के ओबीसी प्रयासों के मद्देनज़र दिया जा रहा है — तीसरे मोदी मंत्रिमंडल में दो ओबीसी मंत्रियों (राव इंद्रजीत सिंह और कृष्ण पाल गुर्जर) को शामिल किया गया है और इस मार्च में मनोहर लाल खट्टर की जगह ओबीसी सैनी को लाया गया है.

सैनी ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर तस्वीरें पोस्ट कीं, जिसमें वे अधिकारियों के साथ बैठक की अध्यक्षता करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिसमें वे अनुसूचित जातियों के लिए योजनाओं के कार्यान्वयन की समीक्षा कर रहे हैं.

बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए सैनी ने कहा कि उन्होंने सामाजिक न्याय, अधिकारिता, अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों के कल्याण और अंत्योदय (सेवा) विभाग और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारियों की एक संयुक्त बैठक जल्द से जल्द बुलाने के आदेश दिए हैं, ताकि पिछले साल से अनुसूचित जातियों के छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति की लंबित राशि जारी की जा सके.

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि इस साल से स्कॉलरशिप राशि का वितरण प्रवेश के समय ही किया जाना चाहिए, ताकि वितरण में देरी के कारण छात्रों को अपनी शिक्षा जारी रखने में वित्तीय कठिनाइयों का सामना न करना पड़े.

पोस्ट-मैट्रिक स्कॉलरशिप योजना के तहत, 2.5 लाख रुपये से कम वार्षिक पारिवारिक आय वाले एससी छात्र आवेदन करने के पात्र हैं. यह योजना केंद्र और राज्य सरकारों के बीच 60:40 के अनुपात में लागू की जाती है.

हरियाणा के सीएम ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के तहत — जिसमें एससी परिवारों को उनकी बेटियों की शादी के लिए 71,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है — पंजीकरण के समय ही 61,000 रुपये वितरित किए जाने चाहिए.

सैनी ने कहा कि डॉ. बीआर आंबेडकर आवास नवीनीकरण योजना के तहत, राज्य गरीब परिवारों को घरों की मरम्मत के लिए 80,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करता है. उन्होंने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को इस योजना के तहत प्राप्त आवेदनों की सत्यापन प्रक्रिया को तुरंत पूरा करने और वित्तीय सहायता जल्द जारी करने का निर्देश दिया है.

सैनी ने सोमवार को 7,500 गरीब, वंचित और दलितों को 100 गज के प्लॉट के कब्जे के पत्र सौंपे. उन्होंने इस कार्यक्रम की तस्वीरें भी एक्स पर पोस्ट कीं.

सैनी के अनुसार, खट्टर ने 2024-25 के बजट भाषण में घोषणा की थी कि मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजना के तहत 20,000 लाभार्थियों को भूखंडों का कब्ज़ा दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि भूखंडों की कमी के कारण वंचित रह गए लोगों को एक-एक लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा.

सैनी सरकार के इस कदम पर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्ष के नेता हुड्डा ने बुधवार को दिप्रिंट से कहा कि विधानसभा चुनावों में पूरी तरह से हार के डर से भाजपा को 100 गज के भूखंड योजना की याद आ गई है.

उन्होंने कहा, “यह योजना कांग्रेस सरकार (हुड्डा के नेतृत्व में) के दौरान शुरू की गई थी और करीब 4 लाख गरीब, एससी और ओबीसी परिवारों को 100 गज के मुफ्त भूखंड वितरित किए गए थे.”

उन्होंने आगे कहा कि “कांग्रेस ने 7 लाख से अधिक परिवारों को ये भूखंड देने की योजना बनाई थी, लेकिन भाजपा ने सत्ता में आते ही (2014 में) इस योजना को बंद कर दिया.”

उन्होंने कहा, “10 साल तक भाजपा ने गरीब लोगों को उनके भूखंडों से वंचित रखा. इस योजना को रोककर भाजपा ने 3 लाख से अधिक परिवारों से 100 वर्ग गज के प्लॉट का अधिकार छीन लिया. भाजपा को इसके लिए सभी गरीब, अनुसूचित जाति और ओबीसी परिवारों से माफी मांगनी चाहिए.”

पूर्व सीएम ने आश्वासन दिया कि अगर कांग्रेस हरियाणा में सत्ता में आती है, तो इस योजना को फिर से शुरू किया जाएगा और “लाभार्थियों को 100 गज के प्लॉट पर दो कमरों का पक्का मकान दिया जाएगा”.

जबकि कांग्रेस के एक विधायक ने दिप्रिंट को बताया था कि हुड्डा ने सोमवार को कांग्रेस विधायक दल की बैठक में पार्टी विधायकों को भाजपा के ओबीसी अभियान को रोकने और शहरी मतदाताओं तक पहुंचने का निर्देश दिया था, हरियाणा के पूर्व सीएम ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “शहरी और ग्रामीण विभाजन से परे और जातियों और धर्मों से परे समाज के सभी वर्ग चाहते हैं कि हरियाणा में भाजपा सरकार जाए क्योंकि वे इसके कुशासन से तंग आ चुके हैं.”


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दलितों की चिंता, जाटों का गुस्सा

माना जा रहा है कि हरियाणा में अनुसूचित जातियों ने इस बार बड़ी संख्या में सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ वोट किया है, क्योंकि उन्हें आशंका है कि अगर भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए 400 से अधिक सीटों के साथ सत्ता में आई तो संविधान में बदलाव हो सकता है.

दूसरी ओर, भाजपा सरकार के खिलाफ जाटों का गुस्सा कई कारणों से है, जिसमें किसानों का असंतोष, सशस्त्र बलों में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना और पार्टी के एक सांसद द्वारा कथित यौन उत्पीड़न के खिलाफ पहलवानों का विरोध शामिल है.

विभिन्न अनुमानों के अनुसार, हरियाणा में जाटों की आबादी 20-22 प्रतिशत है, जबकि दलितों की आबादी 20-21 प्रतिशत है. जाट और दलितों की कुल आबादी 40 प्रतिशत से अधिक है.

नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करते हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि जाटों के गुस्से के लिए पार्टी जिम्मेदार है, क्योंकि किसानों के असंतोष और पहलवानों के विरोध जैसे मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर और अलग तरीके से निपटाया जा सकता था.

उन्होंने कहा, “भाजपा ने कभी संकेत नहीं दिया कि पार्टी जाट वोट चाहती है. अगर पार्टी को जाट वोट चाहिए होते तो वह संसदीय चुनावों से महीनों पहले अपने प्रदेश अध्यक्ष ओपी धनखड़ को नहीं हटाती, जब वह अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे. पार्टी ने अपने सबसे वरिष्ठ जाट नेताओं में से एक कैप्टन अभिमन्यु को उनके गृह जिले हिसार से राज्यसभा या लोकसभा टिकट के लिए विचार नहीं किया.”

नेता ने कहा कि अगर कोई राजनीतिक दल चुनाव जीतना चाहता है तो वह हरियाणा में जाटों की अनदेखी नहीं कर सकता.

नेता ने कहा, “हरियाणा की करीब 40 विधानसभा सीटों पर जाट मतदाता निर्णायक कारक हैं. 2014 में इनेलो और कांग्रेस ने क्रमशः 19 और 15 सीटें जीतीं, जिनमें से ज्यादातर वे थीं जहां जाट निर्णायक कारक थे. वहीं, भाजपा के जाट नेता कैप्टन अभिमन्यु, धनखड़, सुभाष बराला, नरेश कौशिक, रघबीर सिंह, प्रेम लता और महिपाल ढांडा भी जाट बहुल सीटों से जीते. 2019 में, कांग्रेस ने 31 सीटें जीतीं, जिनमें से करीब 25 जाट बहुल सीटें थीं. जाट बहुल सीटों पर जेजेपी ने 10, आईएनएलडी ने 1 और 3 सीटें निर्दलीयों के खाते में गईं.”

उन्होंने कहा, “इस बार, (पूर्व भाजपा सहयोगी) जेजेपी और आईएनएलडी लोकसभा चुनावों में क्रमश: 0.87 प्रतिशत और 1.84 प्रतिशत वोट शेयर के साथ अपने सबसे निचले स्तर पर हैं. भाजपा को उन सीटों पर कांग्रेस को रोकने में मुश्किल होगी जहां जाट निर्णायक कारक हैं.”

हालांकि, भाजपा के हरियाणा प्रवक्ता संजय शर्मा ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी को सभी समुदायों का समर्थन प्राप्त है.

उन्होंने कहा, “भाजपा सभी 36 बिरादरियों (हरियाणा में रहने वाले 36 समुदाय) को एक साथ लेकर चलने में विश्वास करती है और राज्य सरकार की नीतियों का उद्देश्य सभी को लाभ पहुंचाना है. भाजपा को लोकसभा चुनावों में सभी 36 बिरादरियों का समर्थन मिला और विधानसभा चुनावों में पार्टी और भी बेहतर प्रदर्शन करेगी.”

संसदीय चुनावों में भाजपा उम्मीदवारों को शहरी विधानसभा क्षेत्रों में भारी बढ़त मिली थी. रोहतक से कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा और सिरसा से कुमारी शैलजा को छोड़कर, जो ग्रामीण और शहरी विधानसभा क्षेत्रों में अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे रहे, अन्य सभी कांग्रेस उम्मीदवार अपनी सीटें जीतने के बावजूद शहरी विधानसभा क्षेत्रों में अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वियों से पीछे रहे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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