नई दिल्ली: एक रिपोर्ट में पाया गया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) भारत की सबसे अमीर पार्टी है और सभी राष्ट्रीय पार्टियों की कुल संपत्ति में इसकी हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 में बीजेपी की संपत्ति 6,064 करोड़ रुपए थी, जो एक साल पहले की तुलना में 1,050 करोड़ रुपए अधिक है.
देश के सभी राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की संपत्ति का 68 प्रतिशत हिस्सा सत्तारूढ़ दल के पास है। रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी की आधी से ज्यादा संपत्ति फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में है.
दूसरी ओर, प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की संपत्ति 2021-22 में 805 करोड़ रुपए थी, जो एक साल पहले की तुलना में 110 करोड़ रुपये अधिक है.
एडीआर रिपोर्ट ने उस समय सभी आठ राष्ट्रीय दलों की संपत्ति और देनदारियों का विश्लेषण किया, जिनमें भाजपा, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), नेशनल पीपुल्स पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी और तृणमूल कांग्रेस शामिल थीं.
हालांकि, सूची में अंतिम तीन से इस साल की शुरुआत में भारत के चुनाव आयोग द्वारा उनकी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा छीन लिया गया था.
एडीआर ने कहा, “रिपोर्ट में इस्तेमाल किए गए डेटा का स्रोत राजनीतिक दलों द्वारा आयकर विभाग और भारत के चुनाव आयोग को सौंपे गए ऑडिट किए गए खाते हैं.”
भाजपा के अलावा अन्य राष्ट्रीय दलों की संपत्ति 2,800 करोड़ रुपये थी – सीपीआई (एम) के पास 735 करोड़ रुपये, बसपा के पास 690 करोड़ रुपये और तृणमूल कांग्रेस के पास 458 करोड़ रुपये थी. कॉनराड संगमा की एनपीपी 1.8 करोड़ रुपये की थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2004-05 से 2021-22 के बीच भाजपा सहित सभी राष्ट्रीय दलों की कुल संपत्ति 1,947 प्रतिशत बढ़कर 431.33 करोड़ रुपये से 8829.158 करोड़ रुपए हो गई है.
रिपोर्ट में पाया गया कि 2016-17 के बाद से राष्ट्रीय पार्टियों पर देनदारियां लगातार कम हुई हैं. साल 2021 से 2022 के बीच कुल देनदारियां 103 करोड़ रुपये से घटकर 62 करोड़ रुपए हो गई हैं.
हालांकि, कांग्रेस पर सबसे अधिक 41.95 करोड़ रुपये (66 प्रतिशत) की देनदारी थी, उसके बाद सीपीआई (एम) पर 12.21 करोड़ रुपए की देनदारी थी. बीजेपी के पास न्यूनतम 5 करोड़ रुपये थे.
रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय पार्टियां इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) द्वारा जारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर रही हैं, जो अधिक पारदर्शिता लाने के लिए बनाए गए थे.
एडीआर ने कहा, “राजनीतिक दलों के ऑडिटिंग पर आईसीएआई दिशानिर्देश, जिन्हें राजनीतिक दलों के वित्त में पारदर्शिता में सुधार के लिए चुनाव आयोग का भी समर्थन हासिल है, केवल दिशानिर्देश ही बने रहे और राजनीतिक दलों द्वारा अपनी आय के विवरण का खुलासा करने के लिए एक अनिवार्य प्रक्रिया के तौर पर इसे सक्रिय रूप से नहीं लिया गया है.”
इसमें कहा गया है, “ये दिशानिर्देश अद्वितीय संघ और राजनीतिक दलों की आय, व्यय, संपत्ति और देनदारियों के प्रकटीकरण में सुधार के अलावा पार्टियों के वित्तीय विवरणों के प्रारूप को मानकीकृत करने के लिए थे.”
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