मुंबई: गोवा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व सहयोगी, अगले विधानसभा चुनावों में पार्टी से टक्कर लेना चाहते हैं लेकिन अपनी ताकत बढ़ाने के लिए दूसरी पार्टियों के साथ गठबंधन बनाने में उन्हें मुश्किलें पेश आ रही हैं.
गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफपी) ने, जो कांग्रेस से हाथ मिलाना चाहती है, गठबंधन पर निर्णय लेने के लिए उसे गणेश चतुर्थी (10 सितंबर) तक की समय सीमा दी है. इस बीच महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी), जो आम आदमी पार्टी (आप) के साथ बातचीत कर रही थी, अब अकेले लड़ने की तैयारी कर रही है.
जीएसपी अध्यक्ष विजय सरदेसाई ने, जो गोवा विधानसभा में विधायक भी हैं, दिप्रिंट से कहा, ‘चुनाव केवल छह महीने दूर हैं. यही समय है कि चुनाव क्षेत्रों में जमीनी काम शुरू किया जाए लेकिन कांग्रेस अभी अपना घर दुरुस्त करने में ही लगी हुई है. हमारी कांग्रेस के साथ बातचीत हुई है और पार्टी ने संकेत दिया है कि वो गठबंधन के पक्ष में है लेकिन अभी कोई प्रगति नहीं हो रही है’.
‘अब मैंने कहा है कि गणेश चतुर्थी एक शुभ दिन है, जब हम जनता के सामने अपना गठबंधन घोषित कर सकते हैं. अगर उस समय तक कुछ नहीं हो पाता, तो जीएफपी सभी 40 सीटों पर तैयारियां शुरू कर देगी’.
जीएफपी के, जिसने इस साल अप्रैल में औपचारिक रूप से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को छोड़ दिया था, 40 सदस्यीय विधानसभा में तीन विधायक हैं और वो प्रमोद सावंत सरकार की कटु आलोचक रही है.
शनिवार को, वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने पणजी में पत्रकारों से बात करते हुए विधानसभा चुनावों के लिए उनकी पार्टी के अन्य विपक्षी पार्टियों के साथ गठबंधन की संभावना पर टिप्पणी करने से इनकार किया.
चिदंबरम ने कहा, ‘मेरे पास सिर्फ पार्टी का पुनर्गठन करके उसे पटरी पर लाने, ब्लॉक कमेटियों को फिर से गठित करने और सदस्यों का पंजीकरण कराने का आदेश है’. चिदंबरम को पिछले महीने ही गोवा में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का वरिष्ठ चुनाव पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है.
गोवा के एक कांग्रेस विधायक ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘कांग्रेस केवल कमेटियों के पुनर्गठन आदि का काम कर रही है. ऐसा लगता नहीं है कि पार्टी किसी विपक्षी गठबंधन को लेकर उत्सुक है. हम चुनावों को लेकर कोई गंभीर प्रयास नहीं कर रहे हैं और ज्यादातर पिछले गौरव में ही जी रहे हैं’.
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एमजीपी अकेले लड़ने की उत्सुक
एमजीपी जो गोवा में अनुभवहीन आप के साथ गठबंधन पर निगाहें लगाए थी, अब स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है, हालांकि वो चुनाव बाद के गठबंधन के लिए अपने दरवाज़े खुले रख रही है.
एमजीपी अध्यक्ष दीपक धवलीकर ने दिप्रिंट से कहा, ‘अगर हम गठबंधन में जाते हैं, तो सीटों के बटवारे का फॉर्मूला निकालना मुश्किल हो जाता है. इसलिए फिलहाल हमने अकेले लड़ने का फैसला किया है और उसी हिसाब से तैयारी कर रहे हैं’.
उन्होंने आगे कहा, ‘लेकिन एक चीज़ तय है. अब हमारा बीजेपी के साथ कोई लेना-देना नहीं है’.
धवलीकर बंधुओं- दीपक और सूदीन ने आप प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जुलाई में उनके गोवा दौरे के दौरान मुलाकात की थी.
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भाजपा के ठुकराए हुए सहयोगी
2017 में जीएफपी और एमजीपी ने 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में सरकार बनाने के लिए बीजेपी से हाथ मिला लिया था, हालांकि कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई थी. ये व्यवस्था 2019 तक चली जब तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर की मौत हुई.
परिकर की मौत के बाद एमजीपी, जीएफपी और बीजेपी साथ मिलकर सरकार चलाते रहे, जिसमें बीजेपी के प्रमोद सावंत सीएम थे और जीएफपी के विजय सरदेसाई तथा एमजीपी के सुदीन धवलीकर उपमुख्यमंत्री थे. दस दिन के बाद बीजेपी ने एमजीपी के तीन में से दो विधायकों को अपने में विलय कराकर उसे धता बता दिया और धवलीकर को डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया.
जुलाई 2019 में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार ने 10 कांग्रेस विधायकों को अपनी पार्टी में मिलाकर विधानसभा में अपनी स्थिति और मजबूत कर ली, जिसके बाद उसने सरदेसाई को भी डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया.
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