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Thursday, 9 May, 2024
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बीजेपी और आरएसएस की सहमति के बाद भी शिवराज सिंह चौहान कैबिनेट विस्तार के लिए क्यों जूझ रहे हैं

मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल की मई से ही विस्तार की अटकलें हैं, लेकिन कहा जा रहा है कि चौहान ने अपनी योजनाओं को दो बार रद्द किया है.

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भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के 3 महीने बाद, भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान अपनी छह मंत्रियों वाली कैबिनेट के विस्तार के लिए जूझ रहे हैं.

चौहान के चार दिनों के भीतर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्य मुख्यालय पर देखाई देने के बाद मई से एक आसन्न (संभावित) विस्तार की अटकलें लगाई जा रही हैं.

लेकिन वह खुद को उपलब्ध 29 सीटों (जगहों) के लिए उम्मीदवारों के एक विशाल पूल से बाजी लगाते हुए पा रहे हैं, जो कवायद को रोकता हुआ लग रहा है.

इस साल की शुरुआत में कांग्रेस के भीतर तख्तापलट के बाद उनकी सरकार बनाने में मदद करने वाले 22 दलबदलू नेता दावेदार हैं, और फिर भाजपा के भीतर भी घमासान है, जो मंत्री पद हासिल करने की उम्मीद कर रहे हैं.

इस संघर्ष के बीच, चौहान इस सप्ताह की शुरुआत में पत्रकारों को यह कहते हुए एक ताकतवर मोर्चे के रूप में दिखने की कोशिश कर रहे हैं कि वह अपने मंत्रिमंडल के विस्तार की जल्दी में नहीं हैं.

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चौहान ने सोमवार को मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, ‘मैं मंत्रिमंडल विस्तार की जल्दी में नहीं हूं. मैं संभावित सूची के साथ नई दिल्ली नहीं जा रहा. कुछ समय के लिए रुकिए, मैं कल या परसों दिल्ली जा सकता हूं.’

हालांकि, उन्हें अभी दिल्ली की यात्रा नहीं करनी है.

चौहान के लिए प्रतिद्वंद्वी दावेदारों की कतार

बीते एक पखवाड़े में, भाजपा के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, चौहान को केंद्रीय गृह मंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और उनके उत्तराधिकारी जेपी नड्डा से मिलकर संभावनाओं पर चर्चा के लिए दो बार अपनी कैबिनेट विस्तार योजनाओं को वापस लेना पड़ा.

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने फोन पर कहा, ‘मुख्यमंत्री साहब 17 मई को लॉकडाउन के तीसरे चरण की समाप्ति के बाद अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने वाले थे.’ ‘कैबिनेट में शामिल करने की संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए, उन्होंने समविधा (भोपाल में अपने वैचारिक अभिभावक आरएसएस और भाजपा के कार्यालय) और पार्टी मुख्यालय का दौरा किया था.’

चौहान ने 13 मई को समिधा, और 17 मई को राज्य पार्टी मुख्यालय का दौरा किया.

समिधा में, चौहान कथित तौर पर मंत्रियों की संख्या और नामों को अंतिम रूप देने के लिए महासचिव (संगठन) सुहास भगत और आरएसएस के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों से मिले.

माना जाता है कि राज्य के भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा और पार्टी के अन्य पदाधिकारी और विधायक के साथ ऐसी ही चर्चा की गई. एक दिन पहले, 16 मई को, शर्मा ने चौहान से उनके आवास पर मुलाकात की थी.

व्यापक रूप से यह उम्मीद की जा रही थी कि चौहान लॉकडाउन के तीसरे चरण के हटने पर विस्तार को अंतिम रूप देंगे, लेकिन समिधा और राज्य पार्टी नेतृत्व के आगे आने के बावजूद, वह आगे बढ़ने में असमर्थ रहे. सूत्रों का कहना है कि इसकी वजह प्रतिद्वंद्वी दावेदारों का दबाव है.

चौहान सरकार के एक पूर्व मंत्री ने कहा, ‘चौहान 22 भाजपा विधायकों में से कम से कम 10 को समायोजित करने को लेकर बेहद दबाव में हैं.

22 विधायकों ने 20 मार्च को 15 महीने पुरानी कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को गिराने के बाद विधानसभा से इस्तीफा देकर और सदन में पार्टी की ताकत को कम करने में सफल रहे थे.

ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके वफादारों के बीच असंतोष को विद्रोह के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. सिंधिया ने कांग्रेस को भी छोड़ दिया, और उन्हें तुरंत राज्यसभा के लिए नामांकन की पेशकश की गई.

इस विद्रोह के अंत में, चौहान को कोविड-19 लॉकडाउन की घोषणा से एक दिन पहले 23 मार्च को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई थी. कोविड-19 महामारी के बीच, उन्होंने एक पूर्णकालिक स्वास्थ्य मंत्री के बिना लगभग एक महीने तक अपनी सरकार चलाई, और आखिरकार 21 अप्रैल को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया. पांच मंत्रियों में दो कांग्रेस के बागी शामिल थे.

संविधान राज्य को मुख्यमंत्री सहित एक कैबिनेट की अनुमति देता है, जो विधानसभा की ताकत का 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो (लेकिन 12 से कम नहीं). मध्य प्रदेश में, जहां विधानसभा की 230 सीटें हैं, यह संख्या लगभग 34 बनती है.

दावेदारों में कुछ हाई-प्रोफाइल नाम शामिल हैं. कांग्रेस के बागियों के खेमे से, इसमें चार पूर्व मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी और प्रद्युम्न सिंह तोमर शामिल हैं.

भाजपा के भारी उम्मीदवारों में पूर्व राज्य मंत्री और ज्योतिरादित्य की चाची यशोधरा राजे सिंधिया के अलावा गोपाल भार्गव, राजेंद्र शुक्ला, विश्वास सारंग, भूपेंद्र सिंह, अजय विश्नोई, सत्येंद्र विजय पाठक, देव सिंह सियाम, और गौरी शंकर बिसेन शामिल हैं.

विस्तार के दूसरे दौर में भी, चौहान को भाजपा के खेमे में तनाव कम करने के लिए कुछ सीटें खाली रखने की संभावना है, यहां तक ​​कि वह मंत्रिमंडल में दलबदलुओं के लिए भी अपना वादा पूरा करना चाहते हैं, भाजपा में कई सूत्रों ने कहा.

सब जान गए

आसन्न विस्तार को लेकर भाजपा के भीतर तनाव पहले से ही सार्वजनिक होता लग रहा है.

मंगलवार को एक ट्वीट में, कैबिनेट उम्मीदवार और रीवा के विधायक राजेंद्र शुक्ला ने मुंबई में लॉकडाउन में फंसे स्थानीय श्रमिकों को घर तक पहुंचाने में मदद करने वाले बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद से संपर्क किया. यह, तब है जब मध्य प्रदेश में सत्ता में उनकी अपनी पार्टी की सरकार है.

शुक्ला एक स्थानीय राजनीतिक दिग्गज हैं, जिन्होंने उमा भारती, स्वर्गीय बाबूलाल गौर और खुद चौहान के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकारों में मंत्री के रूप में कार्य किया है.

 

इस पर कांग्रेस नेता अलका लांबा ने एक ट्वीट में कहा था, ‘मैं अपनी आंखों पर विश्वास नहीं कर सकती. वह (शुक्ला) एक पूर्व मंत्री और विधायक हैं, और उनकी पार्टी एमपी और केंद्र में सत्ता में है. उनके पास महाराष्ट्र में पार्टी के विधायक और सांसद हैं और वह अभिनेता सोनू सूद से मदद मांग रहे हैं. यदि आपके पास कोई शर्म बची है, तो इस्तीफा दें और घर बैठें.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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