नई दिल्ली: बिहार सरकार ने सोमवार को राज्य की जाति जनगणना की रिपोर्ट की जारी कर दी, जिसके अनुसार बिहार की आबादी 13 करोड़ से ज्यादा है. इसमें सवर्णों की आबादी 15.52%, यादव 14%, अनुसूचित जनजाति 1.68%, राजपूत 3.45, मुस्लिम 17.07 फीसदी, भूमिहार की आबादी 2.89%, और मुसहर 3 फीसदी हैं.
बता दें कि बिहार के मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने सोमवार को रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि बिहार में हुई जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट से पता चला है कि बिहार की कुल आबादी 13 करोड़ से थोड़ी ज्यादा है. जिसमें से 36.01 फीसदी के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है. इसके बाद पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) 27.13 प्रतिशत हैं. सामान्य वर्ग 15.52 % हैं.
बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के निष्कर्ष में खुलासा हुआ कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हैं.
राज्य की जाति जनगणना की रिपोर्ट जारी होने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी पूरी टीम को इसके लिए बधाई दी है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि “आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में हुई जाति आधारित जनगणना के आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं. जाति आधारित गणना के कार्य में लगी पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई. विधानमंडल में जाति आधारित गणना का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया गया.”
आकड़ों के अनुसार बिहार में हिंदू आबादी 81.99 प्रतिशत, ईसाई 0.05%, सिख 0.01% , बौद्ध 0.08% और मुस्लिम आबादी लगभग 17.07 प्रतिशत हैं.
सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 19 फीसदी से थोड़ी ज्यादा अनुसूचित जाति और 1.68 फीसदी अनुसूचित है.
सीएम ने आगे कहा कि, “बिहार विधानसभा के सभी 9 दलों की सहमति से निर्णय लिया गया था कि राज्य सरकार अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी एवं दिनांक 02-06-2022 को मंत्रिपरिषद से इसकी स्वीकृति दी गई थी. इसके आधार पर राज्य सरकार ने अपने संसाधनों से जाति आधारित गणना कराई है. जाति आधारित गणना से न सिर्फ जातियों के बारे में पता चला है बल्कि सभी की आर्थिक स्थिति की जानकारी भी मिली है. इसी के आधार पर सभी वर्गों के विकास एवं उत्थान के लिए आगे की कार्रवाई की जाएगी.”
उन्होंने कहा, “बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना को लेकर शीघ्र ही बिहार विधानसभा के उन्हीं 9 दलों की बैठक बुलाई जाएगी तथा जाति आधारित गणना के परिणामों से उन्हें अवगत कराया जाएगा.”
जाति जनगणना भ्रम के अलावा कुछ नहीं
बिहार सरकार द्वारा रिपोर्ट जारी करते ही विपक्ष ने इसका विरोध करना भी शुरू कर दिया हैं. केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, ”जाति जनगणना राज्य के गरीबों और जनता के बीच भ्रम फैलाने के अलावा कुछ नहीं करेगी. उन्हें एक रिपोर्ट कार्ड देना चाहिए था कि नीतीश कुमार ने 18 वर्षों तक राज्य पर शासन किया और लालू यादव ने राज्य पर इतने वर्षों तक शासन किया. 15 साल हो गए लेकिन राज्य का विकास नहीं किया. जातीय जनगणना का रिपोर्ट कार्ड सिर्फ दिखावा है…”
बिहार के पूर्व सीएम और राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा कि आज गांधी जयंती पर हम सभी इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बने हैं. बीजेपी की तमाम साजिशों, कानूनी अड़चनों और तमाम साजिशों के बावजूद आज बिहार सरकार ने जाति आधारित सर्वे जारी कर दिया.
उन्होंने आगे कहा कि “ये आंकड़े वंचितों, उपेक्षितों और गरीबों के समुचित विकास और प्रगति के लिए समग्र योजना बनाने और हाशिये पर पड़े समूहों को जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व देने में देश के लिए एक मिसाल कायम करेंगे.”
बता दें कि पटना हाई कोर्ट ने एक अगस्त को बिहार सरकार द्वारा किए जा रहे जाति सर्वेक्षण के फैसले को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए सर्वे को बरकरार रखने का आदेश जारी किया था.
बिहार सरकार ने सर्वे में 214 जातियों को शामिल किया था और हर जाति को एक अलग कोड दिया गया है.
यह सर्वे दो चरणों में किया गया है. पहला चरण, जिसके तहत घरेलू गिनती का अभ्यास किया गया था, जिसे इस साल जनवरी में राज्य सरकार द्वारा आयोजित किया गया था.
सर्वेक्षण का दूसरा चरण 15 अप्रैल को शुरू हुआ, जिसमें लोगों की जाति और सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से संबंधित डेटा इकट्ठा करने पर ध्यान केंद्रित किया गया. हालांकि, सर्वे की पूरी प्रक्रिया इस साल 15 मई तक पूरी करने की योजना थी, लेकिन 4 मई को हाई कोर्ट ने जनगणना पर रोक लगा दी थी और राज्य सरकार से डेटा को सुरक्षित रखने को कहा था.
सर्वेक्षण में जातियों को 214 विभिन्न समूहों में वर्गीकृत किया गया था.
सरकार ने जनगणना में प्रश्न संख्या 5 और 8 के संबंध में नए दिशानिर्देश जारी किए थे, जो लिंग और जाति की पहचान करने से संबंधित हैं. इस संबंध में आदेश 25 अप्रैल 2023 को जारी किया गया था.
जाति आधारित गणना के लिए नोडल बॉडी सामान्य प्रशासन विभाग के उप-सचिव रजनीश कुमार ने इस सरकारी आदेश पर हस्ताक्षर कर इसे सभी जिलों के जिलाधिकारियों को लागू करने को कहा था.
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