नई दिल्ली: लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पॉलिटिकल साइंस की पूर्व छात्रा और जदयू नेता विनोद चौधरी की बेटी पुष्पम प्रिया चौधरी, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) पर अपने अलग राजनीतिक दल प्लूरल्स पार्टी की घोषणा की थी, बांकीपुर सीट पर 389 वोटों के साथ बीजेपी और कांग्रेस दोनों से पीछे पीछे चल रही हैं. राजनीति में पहली बार कदम रखने वाली पुष्पम प्रिया तीन बार के भाजपा विधायक नितिन नवीन और अभिनेता से नेता बने शत्रुघ्न सिन्हा के बेटे और कांग्रेस प्रत्याशी लव सिन्हा के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. नितिन नवीन 6560 के साथ वोटों से सबसे आगे हैं और कांग्रेस से लव सिन्हास 1826 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर हैं.
पुष्पम प्रिया ने कई हिंदी और अंग्रेजी अखबारों में पूरे पेज के विज्ञापनों के माध्यम से राजनीति में प्रवेश करने का ऐलान किया था, जिसमें कहा गया था, ‘बिहार बेहतर का हकदार है, और बेहतर संभव है.’
एलएसई से स्नातक और ससेक्स यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज से शिक्षित पुष्पम प्रिया की पार्टी ने ‘एवरी इंडिविजुअल मैटर्स’, और ‘एवरीवन मैटर्स’ को अपनी टैगलाइन बनाया है और लोगों से ‘रिजेक्ट डर्टी पॉलिटिक्स’ का आह्वान करती रही है. लोक प्रशासन में पोस्ट ग्रेजुएट 33 वर्षीय पुष्पम प्रिया ने घोषणा की थी कि प्लूरल्स पार्टी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जिसमें 50 प्रतिशत महिला उम्मीदवार होंगी. पार्टी ने 2020-2030 के बीच बिहार के विकास के सतत विकास के लक्ष्य के साथ 10 साल की व्यापक योजना तैयार की है, जिसमें लैंगिक समानता, स्वच्छ जल और स्वच्छता, भूख और गरीबी मिटाने, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा, असमानता को घटाने आदि पर जोर दिया गया है.
बिहार के दरभंगा में जन्मी और एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली पुष्पम प्रिया ने बताया कि वह अपनी माध्यमिक शिक्षा से आगे पढ़ने के लिए विदेश गई थीं. बिहार में उन सैकड़ों बच्चों की मौत ने उन्हें बेहद परेशान कर दिया था, जिन्होंने 2018 और 2019 के बीच एईएस बुखार के कारण जान गंवा दी थी और उन्हें राज्य में बदलाव की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा, ‘मैं बिहार के लिए कुछ भी न करने और इसे भ्रष्ट और अक्षम लोगों के हाथों में छोड़ देने के बोझ के साथ कभी नहीं जीना चाहती थी. मैं बिहार से बाहर चली गई थी, लेकिन बिहार ने मुझे कभी नहीं छोड़ा.’
पुष्पम प्रिया ने कहा कि प्लूरल्स पार्टी मौजूदा राजनीतिक व्यवस्थाओं के खिलाफ है और इसका उद्देश्य बिहार की राजनीति को फिर से परिभाषित करना है. उन्होंने कहा, ‘राजनीति को खुद को बदलना होगा क्योंकि लोगों का कल्याण और भविष्य अब पहले की तुलना में कहीं ज्यादा इस पर निर्भर करता है. हम पीछे छोड़ दिए जाने का खतरा नहीं उठा सकते. किसी को तो आगे आना होगा. और मैं वही भूमिका निभाने जा रही हूं.’