नई दिल्ली: बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव नौकरी के बदले जमीन मामले में पूछताछ के लिए शनिवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के कार्यालय के लिए रवाना हुए.
नई दिल्ली में अपने आवास से सीबीआई कार्यालय के लिए निकलने से पहले तेजस्वी ने कहा, ‘हम शुरू से ही जांच एजेंसियों के साथ सहयोग करते रहे हैं लेकिन देश में जिस तरह का राजनीतिक माहौल है. झुकना आसान है, लेकिन लड़ना बहुत कठिन है.’
#WATCH | Delhi: Bihar Deputy CM Tejashwi Yadav leaves for CBI office.
Tejashwi Yadav will appear before CBI for questioning in connection with the land for Job scam case. pic.twitter.com/XFhIbDYHfQ
— ANI (@ANI) March 25, 2023
उन्होंने कहा, ‘हमने लड़ना चुना है, हम लड़ेंगे और जीतेंगे.’
इससे पहले तेजस्वी ने 4, 11 और 14 मार्च को तीन समन में शामिल नहीं हुए थे. पिछली बार वह पत्नी की तबीयत का हवाला देकर जांच में शामिल नहीं हुए थे.
उधर, इस मामले में पूछताछ के लिए राजद सांसद मीसा भारती ईडी दफ्तर पहुंचीं हैं.
सीबीआई ने कथित भूमि-नौकरी घोटाले के संबंध में दायर अपनी पहली चार्जशीट में कहा है कि भर्ती के लिए भारतीय रेलवे के निर्धारित मानदंडों और प्रक्रियाओं का उल्लंघन करते हुए मध्य रेलवे में उम्मीदवारों की अनियमित नियुक्तियां की गईं.
सीबीआई ने कहा, ‘प्रतिफल के रूप में, उम्मीदवारों ने प्रत्यक्ष रूप से या अपने निकटतम रिश्तेदारों/परिवार के सदस्यों के माध्यम से, लालू प्रसाद यादव (तत्कालीन केंद्रीय रेल मंत्री) के परिवार के सदस्यों को भूमि के 1/4 से 1/5 तक प्रचलित बाजार दर से अत्यधिक रियायती दरों पर जमीन बेची.
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आरोपियों ने सेंट्रल रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक और सीपीओ के साथ साजिश रचकर जमीन के बदले में लोगों को उनके नाम पर या रिश्तेदारों के नाम पर नियुक्त किया. लालू परिवार के रिश्तेदार पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद, बिहार के पूर्व सीएम और उनकी पत्नी राबड़ी देवी, उनकी दो बेटियों और 15 अन्य लोगों के खिलाफ अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित मामला दर्ज किया गया था.
सीबीआई के अनुसार, सभी उम्मीदवारों को स्थानापन्न के रूप में उनकी सगाई के बाद बाद में नियमित कर दिया गया.
रेलवे में नियुक्ति दिलाने के एवज में लालू प्रसाद यादव ने प्रत्याशियों और उनके परिवार के सदस्यों के स्वामित्व वाली जमीनों को अपनी पत्नी राबड़ी देवी और मीशा भारती के नाम पर विक्रय प्रतिफल के रूप में दिलवाया, जो प्रचलित सर्किल दरों से काफी कम थी.
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