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Friday, 22 November, 2024
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‘बड़ी राहत, PayCM से ध्यान हटा’ – PFI बैन से कर्नाटक में BJP की चुनावी संभावना पर होगा क्या असर

एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि बीजेपी अगले साल राज्य विधानसभा चुनाव से पहले पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के खिलाफ केंद्र सरकार की 'कड़ी कार्रवाई' को अपने मुख्य चुनावी मुद्दों में से एक बनाएगी.

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नई दिल्ली: पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर बुधवार को केंद्र सरकार का प्रतिबंध कर्नाटक में बसवराज बोम्मई के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए एक ‘बड़ी राहत’ के रूप में आया है. पार्टी की राज्य इकाई को विश्वास है कि यह राज्य में कांग्रेस की ओर से चलाए जा रहे ‘PayCM’ अभियान से लोगों का ध्यान हटाने में मदद करेगा.

पिछले हफ्ते बेंगलुरु के कुछ हिस्सों में सीएम बोम्मई की तस्वीर के साथ ‘PayCM’ कैप्शन वाले पोस्टर सामने आए, जिसमें बीजेपी सरकार पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाया गया था.

कर्नाटक के एक वरिष्ठ भाजपा नेता के अनुसार, पार्टी अगले साल राज्य विधानसभा चुनाव में पीएफआई के खिलाफ केंद्र सरकार की ‘कड़ी कार्रवाई’ को अपने प्रमुख चुनावी मुद्दों में से एक बनाएगी.

इस प्रतिबंध से बोम्मई की छवि को भी फायदा मिलने की उम्मीद है, जो न सिर्फ भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर विपक्ष के निशाने पर हैं, बल्कि जुलाई में भाजपा के युवा कार्यकर्ता प्रवीण नेट्टारू की हत्या के बाद अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं से आलोचना भी झेल रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने बताया कि पीएफआई और उसकी राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) का इस हत्या के मामले में हाथ था. राज्य पुलिस ने गिरफ्तारियां कीं और आरोपी को पीएफआई से संबंधित बताया. इसके बाद एनआईए ने मामले को अपने हाथ में लिया और संगठन और उसके सहयोगियों पर छापेमारी की.

भाजपा का गढ़ माने जाने वाले दक्षिण कन्नड़ जिले में नेतरू की हत्या के बाद पार्टी कैडर में कुछ लोगों ने पीएफआई से निपटने के लिए सरकार के नजरिए पर सवाल उठाया था और उस पर काफी दबाव डाला था.

ऊपर उद्धृत वरिष्ठ भाजपा नेता के अनुसार, हाल-फिलहाल में पीएफआई पर लगाया गया प्रतिबंध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बोम्मई की ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति’ को दर्शाता है. इसे पूरे राज्य में पार्टी कैडर के जरिए बताया जाएगा और साथ ही इस बात पर पूरा जोर रहेगा कि ‘कैसे कांग्रेस के तहत पिछला शासन पीएफआई समर्थक था.’

नेता ने कहा, ‘लोग चाहते थे कि यह प्रतिबंध लगे और भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करती है. उन पर प्रतिबंध लगाने की मांग पहले भी कई बार की जा चुकी है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री (सिद्धारमैया) और कांग्रेस नेतृत्व इस पर चुप्पी साधे रहा. प्रतिबंध बताता है कि हमारी सरकार आंतरिक सुरक्षा को बाहरी सुरक्षा की ही तरह गंभीरता से लेती है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘PayCM अभियान की धार को तो पहले ही कम कर दिया गया है क्योंकि भाजपा कांग्रेस के PFI समर्थक नजरिए को जोर-शोर से उठा रही है. आंतरिक सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और यह जनता के बीच गूंजेगा. दरअसल, बैन की मांग जनता की तरफ से ही आई है.’

पीएफआई पर प्रतिबंध एनआईए और कर्नाटक सहित कई राज्य पुलिस बलों की संगठन और उसके सहयोगियों पर देशव्यापी छापेमारी के बाद लगाया गया है.

गृह मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत पीएफआई और आठ संबद्ध संगठनों को ‘गैरकानूनी संगठन’ घोषित करने की अधिसूचना में कर्नाटक के हिंदुत्व कार्यकर्ताओं की हत्या के चार मामलों का उल्लेख किया है. इन मामलों में पीएफआई और इसके सहयोगी संगठनों के शामिल होने का आरोप लगे थे.

प्रतिबंध पर प्रतिक्रिया देते हुए पीएफआई तमिलनाडु के अध्यक्ष मोहम्मद शैक अंसारी ने कहा, ‘भारत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई है. इस अवैध और अलोकतांत्रिक प्रतिबंध को हम कानूनी रूप से चुनौती देंगे. प्रतिबंध के बाद संगठन को अपनी उन सभी गतिविधियों को बंद करना पड़ेगा, जिन्हें वह राज्य में चला रहा था.’


यह भी पढ़ेंः आतंकी संगठनों से PFI के जुड़े होने के मिले सबूत, गृह मंत्रालय ने UAPA के तहत 5 साल के लिए लगाया प्रतिबंध


‘राष्ट्र विरोधी संगठन नहीं बचेंगे’

इस साल अप्रैल में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कर्नाटक के होसपेट में एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर पीएफआई का इस्तेमाल कर समाज को बांटने की साजिश रचने का दोषी ठहराया था. नड्डा ने सीधे तौर पर पूर्व सीएम सिद्धारमैया पर संगठन के खिलाफ मामले वापस लेने का आरोप लगाया.

पीएफआई के अदालत में प्रतिबंध का विरोध करने के निर्णय के संदर्भ में भाजपा के एक दूसरे वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘पीएफआई की गैरकानूनी गतिविधियों के सबूतों को मजबूत करने के लिए बड़ी ही सावधानी से काम किया गया है. अगर वे अदालत जाते हैं, तो उन्हें कोई राहत नहीं मिलेगी और हमारे पास उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं.’

एक तीसरे भाजपा नेता ने कहा, ‘ जब (पूर्व) सीएम सिद्धारमैया की सरकार थी तो 23 से ज्यादा हिंदू मारे गए. लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की. कर्नाटक आतंकवादियों का गढ़ बनता जा रहा था और बोम्मई जी ने इससे निपटने के लिए मामलों को एनआईए को सौंपने का फैसला किया. और यह (प्रतिबंध) उन्हीं फैसलों का नतीजा है. वे एक ‘PayCM’ अभियान चला सकते हैं, लेकिन जनता जानती है कि वह (बोम्मई) आम आदमी के मुख्यमंत्री हैं. बस यही हम अपने चुनाव अभियान में लोगों के सामने लेकर आएंगे.’

बोम्मई की सरकार कांग्रेस की ओर से भ्रष्टाचार के लगाए गए आरोपों से जूझ रही हैं. कांग्रेस उम्मीद कर रही है कि इस बार चुनावों में राज्य भाजपा के हाथ से निकल सकता है.

प्रतिद्वंद्वी पार्टी के PayCM अभियान में QR कोड वाले पोस्टर लगाए गए है. इन्हें स्कैन करने पर व्यकित को एक वेबसाइट, 40percentsarkara.com पर रीडायरेक्ट किया जाता है. इस साइट को कांग्रेस ने अपने चुनाव प्रचार के हिस्से के रूप में लॉन्च किया है.

बोम्मई ने कथित आतंकी गतिविधियों के लिए पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह कदम सभी ‘राष्ट्र-विरोधी संगठनों’ को एक संदेश भेजता है कि ‘वे इस देश में बने नहीं रहेंगे.’

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘काफी रिसर्च,  इन्फोर्मेशन और कई मामलों पर काम करने के बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत सरकार ने सही फैसला लिया है. सभी राष्ट्रविरोधी गुटों के लिए यही संदेश है कि वे इस देश में नहीं रहेंगे. मैं लोगों से ऐसे संगठनों के साथ न जुड़ने का भी आग्रह करता हूं.’

कांग्रेस और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन पर निशाना साधते हुए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बी.एल. संतोष – कर्नाटक के एक अन्य नेता – ने बुधवार को एक ट्वीट किया, ‘कुछ भी राष्ट्र-विरोधी होगा तो हमारे यहां दो पार्टियां इसका समर्थन करेंगी. ये पार्टियां कांग्रेस और एआईएमएम हैं. पीएफआई के मामले में भी यह सच है. इन दोनों ने ही सबसे पहले इस राष्ट्र विरोधी संगठन का समर्थन किया.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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