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Sunday, 22 December, 2024
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BJP गुजरात में अपने रणनीतिकार अमित शाह के गृह नगर की यह सीट 10 सालों से हार रही, अब बनाई नई रणनीति

अमित शाह 2012 और 2017 के विधानसभा चुनावों में मनसा निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी को नहीं जिता पाए, और दोनों ही बार यह सीट कांग्रेस के खाते में गई.

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मनसा (गांधीनगर): ज्यादातर राजनीतिक पर्यवेक्षक अगर किसी एक बात पर सहमत होंगे तो वो यही हो सकती है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह एक बेहतरीन चुनावी रणनीतिकार हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राज्य दर राज्य, चुनाव दर चुनाव जीत दर्ज करने और अपने कदम और भी ज्यादा मजबूती से जमा लेने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का खासा योगदान है तो शाह के पूरी कमान संभालने को भी कम श्रेय नहीं दिया जाता.

लेकिन भाजपा की तथाकथित ‘चुनाव मशीन’ की रणनीतियां गुजरात के गांधीनगर जिले में स्थित उनके अपने गृहनगर मनसा में बार-बार विफल होती दिख रही हैं, जहां शाह ने अपने जीवन के शुरुआती 16 साल बिताए हैं और जहां उनके परिवार से जुड़े लोग आज भी रहते हैं.

2012 से भाजपा मनसा विधानसभा सीट कांग्रेस के हाथों हार रही है. पिछले दो विधानसभा चुनावों में पार्टी के यहां हार का सामना करने के बीच एक बात और भी उल्लेखनीय है कि मनसा सीट परंपरागत रूप से भाजपा का गढ़ रही है.

अब, गुजरात में भाजपा की लगातार सातवीं जीत सुनिश्चित करने के लिए शाह पर्दे के पीछे से काफी सक्रिय हैं, और पार्टी उम्मीद कर रही है कि एक नया उम्मीदवार और एक नया दृष्टिकोण 5 दिसंबर को मतदान में मनसा की परिपाटी तोड़ने में मददगार साबित होगा.

शाह भी इस साल अपने गृहनगर में ज्यादा नजर आए है. यद्यपि पहले यहां के लिए वह घर का रास्ता भूले बेटे की तरह थे, लेकिन पिछले कुछ समय में उन्होंने लगातार दौरे किए और चुनावी वर्ष में तो कई रिबन भी काटे. दिप्रिंट ने सोमवार को जब इस कस्बे का दौरा किया, तो शहर के लोग हर जगह उनके योगदान की प्रशंसा करते दिखे, खासकर उन परियोजनाओं को लेकर जिनका उद्घाटन इसी साल हुआ है.

नियमित नवरात्र दर्शन, ‘बहुत कुछ किया’

मनसा बस स्टेशन रोड पर ओल्ड शाक मार्केट से गुजरने वाली एक संकरी गली अमित शाह के परिवार की कुलदेवी बहुचर माताजी मंदिर की ओर ले जाती है, जिसका पुनर्निर्माण हो चुका है. मंदिर के सामने संकरी सड़क पर शाह का पुश्तैनी घर है.

पुराने जमाने की डिजाइन वाले बड़े-बड़े लकड़ी के दरवाजों वाले इस घर का नवीनीकरण हो रहा है. पड़ोसियों ने बताया कि वहां फिलहाल कोई नहीं रहता है.

मनसा में अमित शाह का पुश्तैनी मकान | मौसमी दास गुप्ता | दिप्रिंट

शाह के पैतृक आवास से दो घर दूर रहने वाले 46 वर्षीय हरीश पी. जानी ने कहा, ‘वह (अमित शाह) हर साल ही नवरात्रि के दौरान बहुचर माता मंदिर में पूजा करने आते हैं. उन्होंने पुराने मंदिर का पुनर्निर्माण भी करवाया है.’

एक निजी फर्म में डेटा ऑपरेटर जानी का परिवार तीन पीढ़ियों से इस इलाके में ही रह रहा है. लेकिन शाह के मंदिर जाने के दौरान वह भाजपा नेता से नहीं मिल पाए. पीएम आवास योजना के तहत अपने घर का पुनर्निर्माण कराने वाले जानी ने कहा, ‘एक सिक्योरिटी प्रोटोकॉल होता ही है. और यह संभव नहीं है.’

शाह के पैतृक घर से एक किलोमीटर से भी कम की दूरी पर महात्मा गांधी पुस्तकालय है. यह लाइब्रेरी दशकों से यहां के लिए मील का पत्थर रही है.

स्कूल के दिनों में शाह कथित तौर पर नियमित रूप से इस लाइब्रेरी में जाते थे और पिछले कुछ सालों से यह इमारत जर्जर हालत में थी. यानी जुलाई में शाह द्वारा इसका नवीनीकरण और अनावरण किए जाने तक यह जर्जर अवस्था में थी.

इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने मनसा के साथ अपनी जड़ों को मजबूती से जोड़ा. उन्होंने कहा था, ‘यह मेरा गांव है. सन् 1361 में मेरे पूर्वज यहां आए थे. मैंने पुस्तकालय में पढ़ाई की है…आज उसी पुस्तकालय के नए भवन का उद्घाटन करके मुझे खुशी हो रही है.’

मनसा में पुनर्निर्मित महात्मा गांधी पुस्तकालय | सोनिया अग्रवाल | दिप्रिंट

स्थानीय निवासी 25 वर्षीय राओल किरपाल सिंह ने कहा, ‘अमित शाह सर ने पुरानी लाइब्रेरी और उसके बगल में घंटाघर का मरम्मत करवाया है. मनसा गांव और उसके आसपास रहने वाले छात्रों के लिए यह लाइब्रेरी वरदान साबित हुई है.’

बीकॉम की पढ़ाई पूरी कर चुके राओल सिंह गुजरात की सरकारी सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. राओल ने कहा कि पुनर्निर्मित पुस्तकालय में सैकड़ों किताबें हैं, दुनियाभर के दो दर्जन से अधिक पुस्तकालयों के ऑनलाइन लिंक, एक कंप्यूटर लाइब्रेरी, वाई-फाई और कई अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं.

राओल ने कहा, ‘लड़कियां भी यहां आती हैं और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती हैं. सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए चारों ओर सीसीटीवी लगे हुए हैं.’

जुलाई में अपनी मनसा यात्रा के दौरान शाह ने पुस्तकालय से एक किलोमीटर दूर माक्खड़ रोड पर एक सांस्कृतिक केंद्र सरदार पटेल सांस्कृतिक भवन का उद्घाटन किया था. इसके साथ ही एनजीओ अक्षय पात्र की तरफ से संचालित मिड-डे मील किचन का भी उद्घाटन किया.

अपने भाषण के दौरान शाह ने मनसा के लोगों से वादा किया कि यहां का सिविल अस्पताल जल्द ही ‘हाईटेक सुविधाओं’ से लैस होगा और यह शहर 2024 तक कई अन्य आधुनिक सुविधाओं का गवाह बनेगा.

ओल्ड शाक मार्केट में फार्मेसी चलाने वाले बाबूभाई पटेल ने कहा, ‘मोदीजी की सरकार में मंत्री बनने के बाद से शाह ने मनसा गांव के लिए कई विकास कार्य किए हैं.’


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दो बार हार देखी, अब एक ‘नया चेहरा’

स्थानीय भाजपा नेताओं ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान कहा कि उन्हें इस पर काफी हैरानी होती है कि मनसा में पार्टी की हार क्यों होती रही है जबकि यह निर्वाचन क्षेत्र पारंपरिक रूप से भाजपा का गढ़ रहा है. एक स्थानीय भाजपा नेता ने कहा, ‘भाजपा 1995 से 2007 तक इस सीट से लगातार जीतती रही है.’

2012 में यहां पार्टी की स्थिति तब बदली, जब भाजपा के स्थानीय दिग्गज डी.डी. पटेल कांग्रेस के अमितभाई हरिसिंहभाई चौधरी से 8,028 मतों से हार गए.

2017 के चुनाव से पहले अमितभाई चौधरी भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें मनसा से पार्टी का टिकट भी दे दिया गया. लेकिन, इस बार वह कांग्रेस उम्मीदवार सुरेशकुमार चतुरदास पटेल से 524 मतों के मामूली अंतर से हार गए.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, इन दोनों चुनावों के नतीजों पर आंशिक रूप से लोगों के सामुदायिक आधार पर मतदान करने का असर साफ नजर आया था.

मानसा गांव निवासी विशाल पटेल ने बताया, ‘मनसा में ठाकोर समुदाय की अच्छी-खासी तादात है और पिछले दो चुनावों से वे कांग्रेस का साथ दे रहे हैं.’

मनसा विधानसभा क्षेत्र के 2.28 लाख मतदाताओं में से लगभग 46,000 पाटीदार है, इसके अलावा ठाकोर 42,000, ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) 34,000 राजपूत 29,000, चौधरी 22,000 और अनुसूचित जाति के 17,000 मतदाता हैं. बाकी अल्पसंख्यक समुदायों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य जातियों से आते हैं.

पूर्व में उद्धृत भाजपा नेता ने कहा कि 2017 की हार की एक और वजह यह थी कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए पाटीदार आंदोलन ने काफी असर डाला था. गौरतलब है कि 2015 में शुरू हुए इस आंदोलन को 2017 में गुजरात की 182 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा की सीटों की संख्या दो दशक के निचले स्तर पर पहुंचकर 99 पर सिमट जाने की एक बड़ी वजह माना जाता है.

इस बार भी मनसा में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है क्योंकि दोनों ही पार्टियों ने सामुदायिक आधार पर उम्मीदवार तय करके सियासी पारा बढ़ा दिया है.

बीजेपी के मानसा उम्मीदवार जे.पी. पटेल, जो एक सफल निर्माण व्यवसाय चलाते हैं | मौसमी दास गुप्ता | दिप्रिंट

भाजपा ने जहां एक पाटीदार जे.एस. पटेल को अपना उम्मीदवार बनाया है, जो निर्माण क्षेत्र के कारोबार से जुड़े हैं. वहीं कांग्रेस ने पूर्व विधायक बाबूजी ठाकोर को चुना है, जो ठाकोर समुदाय से आते हैं और ट्रांसपोर्ट बिजनेस में हैं.

कई सीटों पर नए चेहरों को प्राथमिकता देने की रणनीति को ध्यान में रखकर ही पार्टी ने पटेल को टिकट दिया है, जो पहली बार चुनाव मैदान में उतरे हैं.

मनसा के एक अन्य भाजपा नेता ने अपना नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘पार्टी ने फैसला किया कि कांग्रेस छोड़कर आने वाले हर शख्स को टिकट नहीं दिया जाएगा. टिकट का फैसला सभी आवेदकों के गहन मूल्यांकन के बाद किया गया.’

भाजपा प्रत्याशी जे.एस. पटेल ने दिप्रिंट को बताया कि उन्हें पूरा भरोसा है कि पार्टी इस चुनाव में आसानी से जीत हासिल कर लेगी.

उन्होंने यह भी कहा, ‘अमित शाहजी की बदौलत हाल के वर्षों में निर्वाचन क्षेत्र में बहुत सारे विकास कार्य हुए हैं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)

(अनुवाद: रावी द्विवेदी)


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