नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत का कार्यकाल संघ की 100 साल की यात्रा का सबसे बदलाव लाने वाला दौर माना जाएगा.
संघ प्रमुख के 75वें जन्मदिन पर लिखे अपने लेख में प्रधानमंत्री ने कहा कि भागवत के नेतृत्व में कई बड़े बदलाव हुए हैं.
मोदी ने लिखा, “यूनिफॉर्म में बदलाव से लेकर शिक्षा वर्गों (प्रशिक्षण शिविरों) में किए गए संशोधनों तक, उनके नेतृत्व में कई अहम परिवर्तन हुए.”
उन्होंने कहा कि भागवत ने 2009 में सरसंघचालक की जिम्मेदारी संभाली और आज भी “बेहद ऊर्जा” के साथ काम कर रहे हैं. हालांकि, प्रधानमंत्री ने यह भी समझाया कि सरसंघचालक होना सिर्फ एक संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं है.
प्रधानमंत्री ने कोविड-19 महामारी के दौरान संघ के कामकाज को जारी रखने और समाज की बदलती ज़रूरतों को पूरा करने के लिए तकनीक के अधिक इस्तेमाल का श्रेय भी भागवत को दिया.
मोदी ने भागवत को एक “असाधारण” व्यक्तित्व बताया, जो हमेशा राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हैं और जिनकी कार्यशैली में निरंतरता और समय के साथ बदलाव दोनों झलकते हैं.
“Inspired by the principle of Vasudhaiva Kutumbakam, Shri Mohan Bhagwat Ji has dedicated his entire life to societal transformation and strengthening the spirit of harmony and fraternity.”
On the special occasion of his 75th birthday, penned a few thoughts on Mohan Ji and his…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 11, 2025
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 11 सितंबर दो अलग-अलग घटनाओं की याद दिलाता है. पहली घटना 1893 की है, जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था. “उन्होंने भारत की शाश्वत आध्यात्मिक धरोहर और सार्वभौमिक भाईचारे के संदेश को पूरी दुनिया के सामने रखा.”
दूसरी घटना, उन्होंने कहा, “भयावह 9/11 आतंकी हमला है, जब इसी सिद्धांत पर आतंकवाद और कट्टरता के कारण हमला हुआ.”
हालांकि, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस दिन की एक और खास बात भी है.
प्रधानमंत्री मोदी जिनका स्वयं का 75वां जन्मदिन 17 सितंबर को है, ने कहा, “आज एक ऐसे व्यक्तित्व का जन्मदिन है, जिन्होंने ‘वसुधैव कुटुंबकम’ के सिद्धांत से प्रेरित होकर अपना पूरा जीवन सामाजिक परिवर्तन और सौहार्द व भाईचारे की भावना को मजबूत करने के लिए समर्पित किया है. जी हां, मैं मोहन भागवत जी की बात कर रहा हूं, जिनका 75वां जन्मदिन उसी साल आ रहा है जब संघ अपनी शताब्दी मना रहा है. मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं और उनके दीर्घ एवं स्वस्थ जीवन की प्रार्थना करता हूं.”
पीएम ने कहा कि सरसंघचालक ने हमेशा संघ को जटिल परिस्थितियों में दिशा दिखाई है, बिना संगठन की मूल विचारधारा से समझौता किए. उन्होंने भागवत की कार्यशैली की दो खूबियां गिनाईं “निरंतरता” और “समय के साथ बदलाव.”
प्रधानमंत्री ने कहा कि भागवत का युवाओं से “स्वाभाविक जुड़ाव” है और उन्होंने हमेशा ज्यादा से ज्यादा युवाओं को संघ परिवार से जोड़ने पर जोर दिया है. उन्होंने कहा, “वे अक्सर सार्वजनिक विमर्श और लोगों से संवाद में शामिल होते हैं, जो आज की बदलती और डिजिटल दुनिया में बहुत लाभकारी है.”
मोदी ने कोविड काल की भी याद दिलाई. उन्होंने कहा, “मुझे खासतौर पर मोहन जी के प्रयास याद हैं जब पूरी मानवता एक बार की महामारी से जूझ रही थी. उस वक्त संघ की पारंपरिक गतिविधियों को जारी रखना चुनौतीपूर्ण था. मोहन जी ने तकनीक के अधिक उपयोग का सुझाव दिया. वैश्विक चुनौतियों के बीच उन्होंने संस्थागत ढांचे तैयार करते हुए दुनिया के दृष्टिकोण से जुड़े रहना जारी रखा.”
प्रधानमंत्री ने भागवत की सराहना की कि उन्होंने संघ परिवार को स्वच्छ भारत मिशन और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे सरकारी अभियानों में सक्रिय योगदान के लिए प्रोत्साहित किया.
उन्होंने कहा कि सरसंघचालक होना सिर्फ संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं है. “असाधारण व्यक्तित्वों ने इस भूमिका को अपने त्याग, स्पष्ट उद्देश्य और मां भारती के प्रति अटूट समर्पण से परिभाषित किया है. मोहन जी ने इस जिम्मेदारी को निभाने के साथ-साथ अपनी व्यक्तिगत ताकत, बौद्धिक गहराई और संवेदनशील नेतृत्व से इसे और सशक्त बनाया है, जिसकी प्रेरणा ‘नेशन फर्स्ट’ के सिद्धांत से मिलती है.”
मोदी ने भागवत की एक और खासियत “मृदुभाषी स्वभाव” को बताया. उन्होंने कहा कि भागवत में सुनने की असाधारण क्षमता है, जिससे गहरी समझ बनती है और उनके व्यक्तित्व व नेतृत्व में संवेदनशीलता और गरिमा झलकती है.
प्रधानमंत्री ने भागवत से अपने गहरे जुड़ाव को याद करते हुए कहा कि ग्रामीण और पिछड़े इलाकों, खासकर महाराष्ट्र के विदर्भ में प्राचारक के रूप में किए गए उनके काम ने गरीबों और वंचितों की चुनौतियों को समझने में अहम भूमिका निभाई.
मोदी ने कहा कि वर्षों में भागवत ने संघ में कई जिम्मेदारियां संभालीं और हर दायित्व को कुशलता से निभाया.
उन्होंने बताया, “मेरा मोहन जी के परिवार से भी गहरा संबंध रहा है. मुझे उनके पिता स्वर्गीय मधुकरराव भागवत जी के साथ नज़दीक से काम करने का सौभाग्य मिला. मैंने अपनी किताब ज्योतिपुंज में उनके बारे में विस्तार से लिखा है. कानूनी क्षेत्र से जुड़े होने के साथ-साथ उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए खुद को समर्पित किया. गुजरात में संघ को मजबूत करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है.”
प्रधानमंत्री ने इसे सुखद संयोग बताया कि इस साल विजयादशमी, गांधी जयंती, लाल बहादुर शास्त्री जयंती और संघ शताब्दी समारोह एक ही दिन यानी 2 अक्टूबर को पड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह दिन भारत और दुनिया भर में संघ से जुड़े लाखों लोगों के लिए ऐतिहासिक मील का पत्थर होगा.
मोदी ने यह भी कहा कि भागवत ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के प्रबल समर्थक हैं और भारत की विविधता, जो अलग-अलग संस्कृतियों और परंपराओं का उत्सव है, के प्रबल आस्थावान हैं.
प्रधानमंत्री ने बताया कि व्यस्त कार्यक्रमों के बावजूद मोहन जी हमेशा अपने शौक पूरे करने के लिए समय निकालते हैं. उन्होंने कहा, “बहुत कम लोग जानते हैं कि वे भारतीय संगीत के कई वाद्ययंत्रों में निपुण हैं. पढ़ने का उनका शौक उनकी कई भाषणों और संवादों में साफ झलकता है.”
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