बेंगलुरु: 10 मई को होने वाले कर्नाटक चुनाव ने बेंगलुरु के चरमराते बुनियादी ढांचे, बाढ़, घटते हरित आवरण, ज़हरीली झीलें, बड़े पैमाने पर भूमि अतिक्रमण, अनियमित और असंगठित विकास के मुद्दों पर रोशनी डाली है.
ये शहर विरोधाभासों में से एक है. रियल एस्टेट कंसल्टेंसी फर्म सीबीआरई द्वारा पिछले मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक की आबादी का एक-चौथाई से अधिक हिस्सा यहां बसता है और 2018-2022 के बीच यह शहर देश के तीन सबसे बड़े संपत्ति निवेश स्थलों में से एक था.
यहां प्रचुर मात्रा में संपत्तियां हैं. 2023 M3M हुरुन ग्लोबल रिच लिस्ट के अनुसार,भारत के 187 अरबपतियों में से कुल 21 यहां रहते हैं. जो पहले मार्च में जारी की गई थी – लेकिन इसके निवासी यकीनन दुनिया भर में सबसे खराब स्थितियों में से एक में रहते हैं.
पिछले साल जुलाई में बेंगलुरु को भारत में ‘सबसे कम रहने योग्य’ शहर का दर्जा दिया गया था, यूरोपीय खुफिया इकाई (ईयूआई) द्वारा वैश्विक स्तर पर 173 शहरों में से इसकी रैंकिंग 146 रही थी, जिसमें स्वास्थ्य, स्थिरता, संस्कृति और पर्यावरण, बुनियादी ढांचा और शिक्षा – पांच मानकों का इस्तेमाल किया गया था.
10 मई को होने वाले कर्नाटक चुनाव ने बेंगलुरु के चरमराते बुनियादी ढांचे, बाढ़, घटते हरित आवरण, ज़हरीली झीलें, बड़े पैमाने पर भूमि अतिक्रमण, अनियमित और असंगठित विकास को फिर से सुर्खियों में ला दिया है. शहर में राज्य विधानसभा की 224 सीटों में से 28 सीटें हैं.
बेंगलुरु के ब्यात्रयनपुरा से कांग्रेस विधायक कृष्णा बायरे गौड़ा ने दिप्रिंट को बताया कि केवल एक स्थिर सरकार ही निरंतर विकास सुनिश्चित कर सकती है.
उन्होंने कहा कि किसी भी प्रगति के लिए एक स्थिर सरकार की ज़रूरत होती है. उन्होंने 2018 से चली आ रही अस्थिर सरकारों का ज़िक्र करते हुए कहा, “यदि आप समझौता करने की स्थिति से शुरू करते हैं, तो कोई टेक-ऑफ नहीं होता है.”
भाजपा 2019 से कर्नाटक में सत्ता में है और 2010 से नगर निगम यानी बृहत बेंगलुरु महानगर पालिके (बीबीएमपी) पर उसका नियंत्रण है.
बीजेपी प्रवक्ता गणेश कार्णिक ने दिप्रिंट से कहा, “जनसंख्या के विकास के अनुरूप ग्रोथ नहीं हुई है और यह एक बुरा सपना है.”
उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं ने इसे सही राह पर लाने के लिए कड़ी मेहनत की है लेकिन उन्हें थोड़ी सी सफलता हाथ लगी है.
कार्णिक ने कहा कि झीलों और बाढ़ के पानी की नालियों का व्यापक अतिक्रमण, सार्वजनिक स्थानों पर अवैध कब्जा, अवैध रूप से और अनुमति के स्तर से परे निर्मित इमारतों के साथ-साथ भू-माफिया भी हैं जो इन समस्याओं का कारण बन रहे हैं.
फिर भी, शहर के निवासियों को समान चुनौतियों या गड्ढों से भरी सड़कों, खराब बुनियादी ढांचे, झटके वाले समाधानों का सामना करना पड़ता है, जिसमें कर्नाटक सरकार द्वारा नगर निगम को हज़ारों करोड़ रुपये आवंटित किए जाने के बावजूद भारी खर्च शामिल है. मार्च में, कर्नाटक सरकार ने BBMP 11,524 करोड़ रुपये के बजट को मंज़ूरी दी थी.
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अमीर शहर, गरीब बुनियादी ढांचा
सितंबर 2021 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने राज्य विधानमंडल के ऊपरी सदन को सूचित किया कि पिछले पांच वर्षों में बेंगलुरु में सड़क से संबंधित कार्यों पर 20,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं.
लेकिन, सड़कें जर्जर हैं. जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बी.आर. गवई और बी.वी. नागरत्ना ने भारत के एकमात्र नियोजित शहर चंडीगढ़ में अधिकारियों को अपनी विस्तार योजनाओं से सावधान रहने और ‘बेंगलुरु की स्थिति’ को शहरी बर्बादी के एक टेम्पलेट के रूप में उपयोग करने के लिए चेतावनी दी.
बेंगलुरु में एक नियमित आवागमन के खतरों को प्रदर्शित करने के लिए, राज भगत पलानीचामी, जो अनुसंधान संगठन वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (डब्ल्यूआरआई) इंडिया के साथ काम करते हैं, ने जनवरी में ट्विटर पर एक नक्शा पोस्ट किया था, जिसमें दिखाया गया था कि बेंगलुरु की सड़कों पर हर 2 दिन में एक पैदल यात्री मारा जाता था और अधिकांश हादसे सड़क पार करते समय होते हैं.
#Map
A Pedestrian is killed every 2 days in #Bengaluru roads & most of them (>60%) while crossing the roads! Hotspots are Majestic, KR Market.
900 people in 4 yearsNote: Stats not much different in other cities pic.twitter.com/eznypmAtSW
— Raj Bhagat P #Mapper4Life (@rajbhagatt) January 11, 2023
उसी महीने ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों को उद्धृत करने वाली एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में 3,827 दुर्घटनाएं हुईं, जिसके परिणामस्वरूप 777 लोगों की मौत हुई और 3,235 लोग घायल हुए.
विशेषज्ञों का मानना है कि समस्या गलत प्राथमिकताओं में है. गोल्फ क्लब से संबंधित मुद्दों पर एक खबर का हवाला देते हुए, शहरी मामलों के विशेषज्ञ अश्विन महेश ने हाल ही में ट्वीट किया, “इस तरह की चीजों को ‘हल’ करने की गति धीरे-धीरे (या नहीं) स्कूलों और क्लीनिकों को बनाने, पानी उपलब्ध कराने, अच्छी सड़कों और नालियों के निर्माण के विपरीत है.”
उन्होंने कहा,“नेता किस चीज़ की परवाह करते हैं, इसका स्पष्ट संकेत है. वे हमें स्पष्ट रूप से बता रहे हैं. हमें केवल यह सुनने और अन्य नेताओं को चुनने की ज़रूरत है.”
पिछले साल बाढ़ भी सिर्फ भारी बारिश की वजह से नहीं थी, बल्कि तेजी से व्यावसायीकरण और अनियमित निर्माण, जिसमें भूमि हड़पने के मामले भी शामिल थे, जैसा कि मीडिया ने खबरों में दिखाया भी था.
‘पुरानी फिल्मों को दोबारा चलाना’
बेंगलुरु की 28 सीटों में से 26 पर 2018 में मतदान हुआ था. बीजेपी 11 को जीतने में सफल रही, कांग्रेस ने 13 जीती जबकि जद (एस) ने 2 जीती. यह 2013 से काफी हद तक अपरिवर्तित थी क्योंकि लोग अभी भी उन्हीं समस्याओं पर वोट दे रहे हैं.
एडीआर द्वारा शासन के मुद्दों और मतदान व्यवहार 2018 अध्ययन पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण में, बेंगलुरु में सबसे अधिक आवर्ती मतदाता प्राथमिकताएं शहर के सभी चार लोकसभा क्षेत्रों में पीने का पानी, बेहतर सड़कें और रोजगार के अवसर बने रहे.
बेंगलुरु को वोक्कालिगा शहर भी माना जाता है, जहां इस समुदाय के लोगों की संख्या अधिक है और तीनों राजनीतिक दलों के 13 विधायक हैं. चार सीटें एससी के लिए आरक्षित हैं.
शहरी मामलों के विशेषज्ञ वी. रविचंदर ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टियों द्वारा अपने घोषणापत्र में किए गए अधिकांश वादों को चुनाव के दिन ही भुला दिया जाता है और यह एक ‘यथोचित अर्थहीन दिनचर्या’ बन गया है.
उन्होंने कहा, “जबकि विधायकों को मौलिक रूप से कानून बनाना चाहिए, वे शहर को चलाना समाप्त कर देते हैं और अधिकांश वादे शहर की चीजों (बुनियादी ढांचे) के बारे में होते हैं जो वास्तव में वहां नहीं होते हैं. हमारा सिस्टम कितना बेकार है. यह एक पुरानी फिल्म को फिर से चलाने जैसा है. आपको आभास है कि आपने इसे पहले देखा है.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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