मुंबई: शिवसेना के दोनों गुटों ने बुधवार को मुंबई में अलग-अलग कार्यक्रमों में पूर्ववर्ती एकीकृत पार्टी के 58वें स्थापना दिवस को मनाया, जिसमें उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे दोनों ने अपने-अपने कार्यकर्ताओं को इस साल के अंत में होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के लिए तैयार रहने के लिए प्रेरित किया.
ठाकरे ने आगामी चुनावों को अपने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच सीधी लड़ाई की तरह पेश किया, जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने समर्थकों से कहा कि चुनावों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए उन्हें पिछले 10 साल में प्रधानमंत्री के काम के बारे में लोगों को अधिक जोरदार तरीके से बताने की ज़रूरत है.
ठाकरे ने दोहराया कि वे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में शामिल नहीं होंगे और हैरानी जताई कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कैसे दावा कर सकती है कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) एक अप्राकृतिक गठबंधन था और उनकी पार्टी के हिंदुत्व के मुद्दे से समझौता किया गया था, जबकि भाजपा ने खुद केंद्र में जनता दल (यूनाइटेड) के नीतीश कुमार और तेलुगु देशम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू के साथ गठबंधन किया था.
ठाकरे ने सायन के शानमुखानंद में खचाखच भरे सभागार में कहा, “मोदी जी, मैं आपको महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए अभियान शुरू करने के लिए आमंत्रित करता हूं…यह आप बनाम मैं होगा.”
पूर्व सीएम ने कहा, “हमें सभी देशभक्तों, सभी धर्मों के लोगों के वोट मिले. उन्होंने कहा कि हमने हिंदुत्व छोड़ दिया, क्योंकि हम कांग्रेस के साथ चले गए. मैंने हिंदुत्व नहीं छोड़ा. अगर सभी ने देश और संविधान को बचाने के लिए हमें वोट दिया, तो लोग हमारे साथ हैं. यह दिखाता है कि भाजपा ही वो है जिसने हिंदुत्व छोड़ा है.”
उन्होंने कहा, “वास्तव में भाजपा ने अब अपनी सरकार बचाने के लिए चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार का समर्थन लिया है. क्या वे हिंदुत्व का समर्थन करते हैं? उनके घोषणापत्र देखिए.”
इस बीच, लोकसभा चुनावों में महायुति की हार के बाद मुख्यमंत्री शिंदे ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और मराठा समुदाय के लोगों से विपक्ष के दुष्प्रचार में न पड़ने की अपील की. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से आत्मचिंतन करने को भी कहा.
वर्ली में एनएससीआई डोम में आयोजित कार्यक्रम में शिंदे ने कहा, “हमारी सरकार ने मराठों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया है. हमने राज्य के हर जाति समुदाय के लिए काम किया है. विपक्ष हमेशा सिर्फ बातें करता है और कभी कुछ नहीं करता. मैं ओबीसी और मराठों से अपील करना चाहता हूं कि वे उनके दुष्प्रचार में न उलझें.”
उन्होंने कहा, “वे संविधान के बारे में डर फैलाते हैं. हम उसका मुकाबला नहीं कर सके, लेकिन आगे बढ़ते हुए हमें उनके दुष्प्रचार का मुकाबला करना होगा और यह भी आत्मचिंतन करना होगा कि लोकसभा चुनाव में हम कहां पीछे रह गए.”
शिवसेना की स्थापना बाल ठाकरे ने 19 जून, 1966 को मुंबई में की थी. तब से हर साल इस दिन पार्टी अपना स्थापना दिवस मनाती है. हालांकि, 2022 में पार्टी में विभाजन के बाद से दोनों गुटों ने इसे अलग-अलग मनाया है.
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ठाकरे की चुनौती
ठाकरे ने लोकसभा चुनावों में एमवीए की सफलता के लिए अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को धन्यवाद दिया, जहां कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) के गठबंधन ने राज्य की 48 सीटों में से 31 सीटें जीतीं (स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने वाले विशाल पाटिल ने कांग्रेस को अपना समर्थन दिया).
गठबंधन में शामिल तीन दलों में से सेना-यूबीटी, जिसने सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा था, केवल नौ सीटें जीतने में सफल रही.
ठाकरे ने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को विधानसभा चुनावों के लिए और भी अधिक मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित किया. उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि आप तय करें कि आप चाहते हैं कि इतिहास आपको देशद्रोही या योद्धा की तरह याद रखे. हमने कुछ सीटें खो दी हैं, जो हमें नहीं खोनी चाहिए थीं और इससे मुझे व्यक्तिगत रूप से दुख हुआ है, लेकिन मैं विधानसभा चुनावों के दौरान इसका बदला लेना चाहता हूं. इसलिए, आइए वापस लड़ें.”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वे एमवीए और इंडिया ब्लॉक का हिस्सा हैं, जिससे भाजपा के साथ सुलह की अटकलों पर विराम लग गया. उन्होंने अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया कि वे शिवसेना को खत्म करने की कोशिश करने वालों के साथ कभी गठबंधन नहीं करेंगे.
उन्होंने कहा, “भाजपा और मिंधे को मेरा संदेश है कि वे मेरे मूल चुनाव चिह्न और मेरे पिता की तस्वीर का इस्तेमाल किए बिना चुनाव जीतने की कोशिश करें. मुझे गर्व है कि हमने किसी और की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं किया. हम कभी भी किसी और की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं करेंगे, खासकर पीएम मोदी की. मैं मोदी को चुनौती देता हूं कि वे आज से ही तैयारी शुरू कर दें और इस नकली शिवसेना को दूर रखें.”
ठाकरे अक्सर सीएम शिंदे पर तंज कसने के लिए “मिंधे” का इस्तेमाल करते हैं — मराठी शब्द ‘मिंध’ का मतलब है कोई ऐसा व्यक्ति जो दायित्वों से दबा हुआ हो.
पीएम मोदी और उनके “हिंदुत्व” पर सवाल उठाने वालों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “आप (भाजपा) कांग्रेस और एनसीपी के साथ हमारे गठबंधन को अस्वाभाविक कहते हैं. मैं केंद्र में आपके गठबंधन के बारे में पूछना चाहता हूं. जेडी(यू) और टीडीपी ने अपने-अपने राज्यों बिहार और आंध्र प्रदेश में मुसलमानों और अन्य वर्गों से बड़े-बड़े वादे किए हैं. क्या यह सब भाजपा और मोदी को स्वीकार्य है?” उन्होंने कहा. “यह सरकार गिर जाएगी. चुनाव मध्यावधि में हो सकते हैं और फिर इंडिया ब्लॉक सरकार बनाएगा.”
ठाकरे ने शिंदे की इस टिप्पणी के लिए भी उनकी आलोचना की कि “शहरी नक्सलियों” और गैर सरकारी संगठनों ने महायुति गठबंधन के बारे में “गलत सूचना” फैलाई है. ठाकरे ने टिप्पणी की, “केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करके पार्टियों को तोड़ना नक्सलवाद…आतंकवाद है.”
‘अल्पकालिक जीत’
दूसरी ओर शिंदे ने ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि शिवसेना (यूबीटी) केवल कांग्रेस के मुस्लिम वोट बैंक की वजह से जीती है.
उन्होंने कल्याण, ठाणे और छत्रपति संभाजीनगर जैसे शिवसेना के गढ़ों का ज़िक्र किया और कहा कि इन निर्वाचन क्षेत्रों में उनके गुट की जीत राज्य में पार्टी की मजबूत उपस्थिति और जनाधार का प्रतीक है.
शिंदे ने कहा, “उनकी यह जीत अल्पकालिक है और आने वाले विधानसभा चुनावों में यह उछाल अपने आप खत्म हो जाएगा.”
उन्होंने ठाकरे पर हिंदुत्व छोड़ने का भी आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, “वे अब ‘हिंदू’ और हिंदुत्व शब्द का इस्तेमाल करने से भी कतरा रहे हैं, क्योंकि उन्हें कांग्रेस के मूल वोट बैंक पर निर्भर रहना पड़ता है. यह क्या मजबूरी है? उन्होंने बालासाहेब की विचारधारा को त्याग दिया है. उन्हें किसी भी चीज का जश्न मनाने का अधिकार नहीं है. कोंकण से उनका सफाया हो चुका है.”
शिंदे की सेना ने लोकसभा चुनावों में जिन 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से सात पर जीत हासिल की थी.
शिंदे ने कहा, “लोगों ने हमें स्वीकार कर लिया है. हमारा महत्व बढ़ रहा है और आप इसे आगामी विधानसभा चुनावों में देखेंगे. हमें अब अपनी शिवसेना को मजबूत करने, इसकी विचारधारा और बालासाहेब ठाकरे के विचारों को कायम रखने और विपक्ष को हराने का संकल्प लेना चाहिए. अब हमारा आदर्श वाक्य होना चाहिए… ग्राम सभा से विधानसभा तक.”
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