नई दिल्ली: आज बिहार विधानसभा चुनाव के परिणाम का दिन है. अब से कुछ देर बाद यह पता चल जाएगा कि बिहार पर अगले पांच वर्षों तक किसका शासन होगा.एकबार फिर से नीतीश का तीर निशाने पर बैठेगा या फिर लालू की लालटेन में पिछले कुछ दिनों से तेल भर रहे तेजस्वी यादव रोशनी भर देंगे या फिर चिराग के बंगले से बिहार को मिलेगा संरक्षण.
बिहार के बहुप्रतीक्षित नतीजे बस अब से कुछ देर में आने वाले हैं और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को सत्ता में वापसी की पूरी उम्मीद है, हालांकि विभिन्न एग्जिट पोल ने बिहार में विपक्षी महागठबंधन की सरकार बनाने के संकेत दिए हैं.
विधानसभा चुनाव में विपक्ष का अभियान पूरी तरह से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव पर केंद्रित रहा जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्र में रखकर नीतीश पर ही भरोसा जताया.
बिहार में बदलाव की बयार है के नारे के साथ सारी निगाहें यह जानने के लिए भी इस चुनाव पर टिकी हैं कि बिहार जातीय समीकरण के साथ जाएगा या विकास और रोजगार का मुद्दा केंद्रबिंदु बनेगा.
हालांकि इसबार तेजस्वी यादव सिर्फ मुख्यमंत्री पद का चेहरा ही नहीं थे बल्कि उनमें गजब तरीके का कॉन्फीडेंस भी दिखा है..
243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 122 है.
हालांकि, चिराग पासवान के लिए यह चुनौती बड़ी है.
2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ी और 71 सीटें जीतीं थीं. भाजपा ने अपने कोटे की 157 में से 53 सीटों पर जीत हासिल की थी और लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को 42 में से सिर्फ दो सीटों पर सफलता मिली थी.
तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले विपक्ष ने बेरोजगारी को एक बड़ा मुद्दा बनाया और सरकार बनते ही जल्द से जल्द 10 लाख नौकरियों का वादा किया, जबकि भाजपा ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ पर ध्यान केंद्रित रखा.
भाजपा ने युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए 19 लाख नौकरियों का वादा भी किया.
बिहार चुनाव में भाजपा ने नीतीश को ही अपना चेहरा रखा और यहां प्रचार के लिए यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर पीएम मोदी तक पहुंचे.
कोरोनोवायरस महामारी के बीच हुए इस चुनाव में चुनाव आयोग ने विशेष रूप से सामाजिक दूरी और सुरक्षात्मक उपायों वाले कई दिशानिर्देशों की जमकर धज्जियां उड़ती दिखी.
अब जब तेजस्वी यादव ने अपने कार्यकर्ताओं से बार बार परिणाम वाले दिन संयम बरतने, जुलूस न निकालने की सलाह दी है तो देखना ये है कि जश्न शांति से मनाया जाता है या फिर ‘जंगलराज’ की शुरुआत होती है.