थाने (महाराष्ट्र): राष्ट्रीवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के विधायक और पूर्व महाराष्ट्र के मंत्री जितेंद्र अवहद ने मुगल बादशाह औरंगजेब को ‘हिंदू नफरती नहीं’ बताकर नये विवाद को जन्म दिया है.
छत्रपति संभाजी पर महाराष्ट्र के नेता प्रतिपक्ष, अजीत पवार की शुक्रवार की टिप्पणी का बचाव करने करते हुए, अवहद ने सोमवार को मीडिया से बातचीत के दौरान मुगल शासक का जिक्र किया.
अवहद ने कहा कि पहले के दिनों में मराठा कोई जाति नहीं थी, बल्कि एक ‘धर्म था जिसका पालन किया जाता था.’ और छत्रपति शिवाजी महाराज की बात आगे बढ़ाते हुए, पवार ने राज्य विधानसभा में कहा था कि मराठा राजा (संभाजी महाराज) ने अपने जीवन में कभी भी धर्म या धर्म का समर्थन नहीं किया था.
उन्होंने कहा, ‘सांभाजी महाराज ने धर्म की स्थापना की और यह जाति नहीं थी.’
अवहद सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘उन्हें (छत्रपति संभाजी महाराज) को बहादुरगढ़ लाया गया था जहां उनकी आंखें निकाली ली गई थीं. बहादुरगढ़ किले के करीब, एक विष्णु मंदिर था. औरंगजेब क्रूर था लेकिन हिंदू विरोधी नहीं था. अगर वह हिंदू विरोधी होता तो वह उस मंदिर को भी तोड़ देता.’
उन्होंने इतिहास का हवाला दिया और कहा कि औरंगजेब ने अपने भाई और पिता की हत्या की थी. वह क्रूर था. हालांकि, उन्होंने कहा कि हर वक्त ऐतिहासिक संदर्भों से बचना चाहिए.
इस बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि औरंगजेब ने ढेर सारे मंदिरों को तोड़ा था और महिलाओं पर अत्याचार किया था.
शिंदे ने कहा, ‘एनसीपी सांभाजी महाराज का अपमान कर रही है और औरंगजेब की तारीफ. औरंगजेब ने महाराष्ट्र में ढेर सारे मंदिरों को तोड़ा था और महिलाओं पर अत्याचार किया था.’
पिछले साल, महाराष्ट्र के राज्यपाल बीएस कोश्यारी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को ‘पुराने आइकॉन’ के तौर पर जिक्र कर हंगामा खड़ा कर दिया था.
दिसंबर में, तीन पार्टियों के गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने पूरे में मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज पर कोश्यारी के बयान और एकनाथ शिंदे सरकार के खिलाफ विरोध मार्च निकाला था.
नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं, और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) ने नवी मुंबई, रायगढ़, पुणे और मुंबई के अन्य हिस्सों में मार्च का नेतृत्व किया और एकनाथ शिंदे सरकार पर हमला बोला था.
वे ये भी कहे थे, ‘महाराष्ट्र के लोग छत्रपति शिवाजी महाराज, डॉ. सावित्री फुले और बाकी महान व्यक्तित्वों के खिलाफ कुछ भी सहन नहीं करेंगे. हमारा शिंदे सरकार को संदेश है कि वे राज्य के इतिहास की बदलने की कोशिश न करें’
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