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Monday, 18 November, 2024
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बेटी बचाओ का नारा देने वाले हरियाणा में इस बार 8 महिलाएं ही विधानसभा पहुंचीं

104 महिला कैंडिडेट्स में से कांग्रेस की 5, भाजपा की 2 और जेजेपी की 1 महिला उम्मीदवार ही चुनाव जीत पाई हैं.

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नई दिल्ली : पिछले 5 साल में हरियाणा की महिला सरपंच घूंघट प्रथा को खत्म करने के कारण अखबारों में छाई रहीं. किसी महिला सरपंच ने गांव से ही घूंघट हटवाया तो किसी ने अपनी हिचक दूर की. हरियाणा राज्य 2015 में हुए पंचायती चुनावों में 33 प्रतिशत की बजाय महिलाओं की 42 फीसदी भागीदारी का दावा करता है लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान की तस्वीर बिलकुल उलट है. चौधर और चौपाल के कल्चर वाले हरियाणा विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 1169 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजामाने चुनावी दंगल में उतरे हैं. लेकिन बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ वाली धरती पर इन हजार उम्मीदवारों में केवल 104 महिलाएं ही शामिल हैं.

एक तरफ 40 सीटों पर आगे चल रही भाजपा राज्य में दोबारा सरकार बनाने की तरफ बढ़ रही है तो दूसरी तरफ 31 सीटों के साथ कांग्रेस मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी है. नई पार्टी जेजेपी ने भी 10 सीटें जीतकर सभी दलों को चकित कर दिया है. लेकिन पिछले सालों की तुलना में हरियाणा इस बार केवल 8 महिलाओं को ही चुनकर विधानसभा भेज रहा है. 104 महिला कैंडिडेट्स में से कांग्रेस की 5, भाजपा की 2 और जेजेपी की 1 महिला उम्मीदवार ही चुनाव जीत पाई हैं.


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आरक्षित सीटों पर महिला उम्मीदवारों के जीतने की संभावना ज्यादा

बाडढ़ा विधान सभा सीट से जेजेपी की नैना चौटाला ने जीत दर्ज की है तो गन्नौर से भाजपा की निरमल रानी ने. झज्जर की आरक्षित सीट पर कांग्रेस की गीता भुक्कल ने 14999 वोटों से जीत दर्ज की है. कांग्रेस की ही रेणु बाला ने साढौरा आरक्षित सीट से भाजपा विधायक बलवंत सिंह को 17020 वोटों से हराया. तोशाम से कांग्रेस की सीनियर लीडर किरण चौधरी ने भाजपा उम्मीदवार को 18059 वोटों से हराया. वहीं बड़खल सीट से भाजपा की सीमा त्रिखा ने 2545 वोटों से कांग्रेस के विजय प्रताप को हराया है. कलानौर विधानसभा सीट से कांग्रेसी विधायक शकुंतला खटक ने दोबारा जीत हासिल की है. और नारायणगढ़ से कांग्रेसी की शैली ने जीत हासिल की है.

लेकिन बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा चुनाव के वक्त बेटी पढ़ाओ-बेटी को चुनाव न लड़वाओ का नारा बुलंद होता नजर आया लगता है. 2014 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 15 महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया था. महिला आरक्षण बिल का पुरजोर समर्थन करने वाली कांग्रेस पार्टी ने भी इस विधानसभा चुनाव में केवल 9 महिलाओं को ही टिकट दिया. जननायक जनता पार्टी ने 7, आम आदमी पार्टी ने 3 और स्वराज इंडिया ने 5 महिलाओं को.

एक तरफ महिलाओं को चूल्हे से खींचकर चौपाल तक ला रही जेजेपी की नैना चौटाला भी काफी चर्चा में रही हैं. दूसरी ओर दुष्यंत चौटाला का मुकाबला भाजपा की उम्मीदवार प्रेमलता से है. मेवात की भाजपा कैंडिडेट नौक्षम चौधरी और आदमपुर सीट से सोनाली फोगाट पर भी सबकी नजरें टिकी हुई हैं. रुचिका गिरहोत्रा केस में दो दशक की लंबी लड़ाई लड़ने वाली मधु आनंद भी इस चुनाव में स्वराज इंडिया के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं.

वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा से एक भी महिला नेता देश की संसद नहीं पहुंच पाई थी. 1966 में हरियाणा बनने के बाद से प्रदेश की केवल 52 महिला नेता ही विधानसभा और लोकसभा तक पहुंच पाई हैं.

2014 विधानसभा: 90 में से 13 महिला विधायक

2014 में सत्ता में आई मनोहरलाल खट्टर सरकार में 90 में से 13 महिला विधायक थीं. ये भी एक रिकॉर्ड ही है कि हरियाणा विधान सभा में पहली बार महिलाओं विधायकों की संख्या 13 तक पहुंच पाई थी. गौरतलब है कि 2014 विधानसभा चुनाव में कुल 116 महिला कैंडिडेट्स ने चुनाव लड़ा था. भाजपा ने 15, इनलो ने 16 और कांग्रेस ने 10 महिला उम्मदीवारों को टिकट दिया था. जीतने वाली महिलाओं उम्मीदवारों में भाजपा से 8, कांग्रेस से 3, इनेलो और हजका से 1-1 महिला कैंडिडेट थीं.

इनमें से 2 महिला विधायकों ने पोस्ट ग्रेजुएशन, 7 ने ग्रेजुएशन और 2 ने 12वीं तक पढ़ाई की है. 2014 विधानसभा की इकलौती अशिक्षित विधायक विमला चौधरी रही हैं.


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बंसीलाल के कद की महिला नेता भी नहीं बन सकी हरियाणा की मुख्यमंत्री

हरियाणा में अब तक कोई महिला मुख्यमंत्री नहीं बन सकी है. यहां तक कि 1950 के दशक में विधानसभा पहुंचने वाली चंद्रावती जैसे बड़े कद की नेता भी मुख्यमंत्री नहीं बन सकीं. चंद्रावती अपने इलाके में कानून की पढ़ाई करने वाली पहली महिला थीं. इतना ही नहीं वो प्रदेश की महिला सांसद भी थीं. उन्होंने जनता दल के टिकट से 1977 में बंसीलाल को एक लाख वोटों से हराया था. जबकि बंसीलाल उनके बाद 1960 के दशक में राजनीति में आए थे. आगे चलकर भजनलाल और फिर भूपेंद्र सिंह हुड्डा तक सीएम की कुर्सी तक पहुंचे.

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