नई दिल्लीः जेटली ने एक ब्लॉग लिखकर कांग्रेस पर काफी तीखा हमला बोला है. उन्होंने ब्लॉग में लिखा है कि सत्य अनमोल और पवित्र दोनों है. परिपक्व लोकतंत्रों में जो जान बूझकर झूठ पर भरोसा करते हैं सार्वजनिक जीवन से गायब हो जाते हैं. इसमें कोई शक नहीं कि भारत के बदलते सामाजिक-आर्थिक स्थिति के साथ यह अनिवार्य रूप से भारत में घटित होगा.
How Many Lies Need to be Peddled to Sustain a Sinking Dynasty? https://t.co/EQk6VqSUQT
— Arun Jaitley (@arunjaitley) February 12, 2019
उन्होंने लिखा है कि आधुनिक दुनिया के राजनीतिक वंंश सहज रूप से अपनी सीमाएं रखते हैं. आकांक्षावादी समाज साम्राज्यों से झिझकता है. वे जवाबदेही और प्रदर्शन की मांग करता है. लेकिन यह दुखद है कि भारतीय राजनीति की एक पुरानी पार्टी एक वंश की गुलाम हो चुकी है. इसके नेताओं में इतना भी साहस नहीं है कि वह इस वंश के सही गलत के बारे में बता सकें. यह प्रथा 1970 के पहले शुरू हुई; इमरजेंसी के दौरान चरम पर पहुंची और अभी तक लगातार बनी हुई है. वरिष्ठ नेताओं की गुलाम मानसिकता ने उन्हें उस बता के लिए समझा लिया है कि वे एक ही परिवार की महिमा गायें. जब वंश झूठ बोलता है तो वे सहगान (कोरस) करते हैं.
वह लिखते हैं कि आखिर एक वंश को डूबने से बचाने के लिए कितने झूठ की जरूरत है? इसका संक्रामक प्रभाव काफी बड़ा है. उन्होंने कहा कि यह ‘महाझूठबंधन’ के उनके बाकि साथियों में भी दिखने लगा है. राफेल समझौते में जहां हजारों करोड़ सार्वजनिक धन को बचाया गया है, वहीं इसको लेकर एक नया झूठ हर दिन गढ़ा जा रहा है.
उन्होंने कहा कि ताजा झूठ संसद में पेश सीएजी को लेकर फैलाया जा रहा है. अभी के सीएजी 2014-15 आर्थिक मामलों के सचिव थे. उस समय सबसे सीनियर अधिकारी होने की वजह से वह वित्त सचिव भी थे. जेटली ने कहा कि राफेल से जुड़ी कोई भी फाइल उस समय उनके पास नहीं पहुंची थी. कुछ वंशवादी लोग और उनके साथियों ने सीएजी पर हमला बोलने से पहले सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी की थी. एक अखबार में छपी रिपोर्ट के आधार पर पूरी प्रक्रिया को ही कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई. जेटली ने आखिरी में लिखा है कि एक वंश को बचाने के लिए आखिर कितने झूठ बोलने होंगे. भारत निश्चित रूप से इससे बेहतर का हक रखता है.