scorecardresearch
Thursday, 19 December, 2024
होमराजनीति'क्या महिलाएं गायों से भी कमतर हैं', कोटा बिल लागू करने में देरी पर महुआ मोइत्रा ने सरकार पर साधा निशाना

‘क्या महिलाएं गायों से भी कमतर हैं’, कोटा बिल लागू करने में देरी पर महुआ मोइत्रा ने सरकार पर साधा निशाना

उत्साहित सांसद ने कहा कि सरकार ने गोवंश की गिनती किए बिना गौशालाएं बनाईं, जबकि महिला विधेयक के लिए जनगणना का इंतजार करना होगा.

Text Size:

नई दिल्ली: तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने हाल ही में पेश किए गए महिला कोटा विधेयक के प्रावधानों को लेकर बुधवार को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर हमला किया, जिससे इसके पारित होने में देरी हो सकती है.

उत्साहित सांसद ने पूछा कि क्या महिलाएं गायों से कम महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि केंद्र ने उनकी आबादी की गिनती किए बिना गोवंश आश्रय स्थल बनाए हैं, जबकि महिला आरक्षण विधेयक के लिए जनगणना का इंतजार करना होगा.

मोइत्रा ने बुधवार को लोकसभा में कहा, “जब यह सरकार गायों की रक्षा करना चाहती थी, तो आपने उनकी संख्या नहीं गिनी, आपने यह देखने के लिए इंतजार नहीं किया कि गाय जर्सी है या गिर या साहीवाल (गाय की विभिन्न नस्लें). तुमने तो जाकर गौशाला बनाई. क्या हम महिलाएं गायों से कमतर हैं कि हमें संख्याएं गिनने और रेखाएं खींचने के लिए इंतजार करना पड़े?”

मोइत्रा ने यह बात कोटा विधेयक के खंडों का जिक्र करते हुए पूछा, जिसमें कहा गया है कि यह जनगणना और उसके बाद परिसीमन के बाद ही लागू होगा.

विधेयक के नाम “नारी शक्ति वंदन अधिनियम” का मज़ाक उड़ाते हुए, पश्चिम बंगाल के सांसद ने कहा कि इस देश में महिलाएं कोई “वंदन या वंदना (प्रणाम)” नहीं चाहतीं, बल्कि सीधी कार्रवाई चाहती हैं.

उन्होंने सरकार से मतदाता सूची के आधार पर तुरंत विधेयक लाने की मांग की.

मोइत्रा ने कहा, “यह आपका हमें यह दिखाने का आपका पल है कि मोदी है तो मुमकिन है. मतदाता सूची के आधार पर आरक्षण विधेयक को तुरंत लागू करें और 2024 में 33 प्रतिशत महिलाओं को लोकसभा में भेजें,”

मोइत्रा ने कहा कि विधेयक के अनुच्छेद 334ए में कहा गया है कि आरक्षण इस उद्देश्य के लिए परिसीमन प्रक्रिया शुरू होने के बाद ही लागू होगा, जो बदले में जनगणना के बाद ही हो सकता है, लेकिन जनगणना और परिसीमन दोनों की तारीखें अब तक अनिश्चित हैं.

उन्होंने कहा “इसका मतलब है, हम नहीं जानते कि वास्तव में 33 प्रतिशत महिलाएं लोकसभा में बैठेंगी या नहीं… महिला आरक्षण दो पूरी तरह से अनिश्चित तारीखों पर निर्धारित होता है. क्या इससे बड़ा कोई जुमला हो सकता है? 2024 को भूल जाइए, यह (विधेयक का कार्यान्वयन) 2029 में भी संभव नहीं होगा.”

कवि कैफी आजमी की ‘औरत’ और रवींद्रनाथ टैगोर की ‘सबला’ का हवाला देते हुए, तृणमूल नेता ने कहा कि विशेष आरक्षण की मांग, हालांकि, एक महिला की बुद्धि और क्षमता का अपमान है.

मोइत्रा ने कहा कि भाजपा विधेयक को लागू करने के बिना किसी इरादे के इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रही है, उन्होंने आगे कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वास्तव में “महिला कोटा विधेयक की जननी” हैं.

मोइत्रा ने कहा, “उन्होंने (बनर्जी ने) मूल विचार को जन्म दिया है क्योंकि उन्होंने बिना शर्त 37 प्रतिशत महिला सांसदों को संसद में भेजा है… यह सरकार आज जो लेकर आई है वह महिला आरक्षण विधेयक नहीं है बल्कि महिला आरक्षण पुनर्निर्धारण विधेयक है और इसका नाम बदला जाना चाहिए. इसका एजेंडा देरी है,”

मोदी सरकार पर ”अंतहीन टाल-मटोल” करने का आरोप लगाते हुए मोइत्रा ने कहा कि इस बात को लेकर कोई स्पष्टता नहीं है कि अगली जनगणना और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया कब होगी.

सांसद ने कहा: “महिला आरक्षण के लिए कार्रवाई की जरूरत है, न कि विधायी रूप से अनिवार्यतः देरी वाले प्लेसिबो इफेक्ट की… हमें हमारे समान अधिकार दो, हम आधा आकाश संभालते हैं, हमें कम से कम आधी पृथ्वी तो दे दो.” हमारी नेता ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस ने बातचीत की है. हमें देश को यह दिखाने की ज़रूरत नहीं है कि हम विधेयक का समर्थन करते हैं. हमने इस विधेयक से अधिक सांसद भेजे हैं.”

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ेंः ‘राजनीति में 2+2 = 4 नहीं होता,’ गडकरी बोले- UPA का दिवाला पिट चुका है वो INDIA की नई दुकान खोल रहे हैं


 

share & View comments