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Wednesday, 4 December, 2024
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सत्ता विरोधी लहर, राहुल की जाति जनगणना का आह्वान, OBC गणित — हरियाणा में CM बदलने की BJP की रणनीति

कांग्रेस के भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी और जेजेपी ने विपक्षी वोटों को विभाजित करने के लिए नया समझौता किया है. सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि पार्टियों ने संबंध तोड़ने का ‘पूर्व निर्धारित ड्रामा’ किया.

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गुरुग्राम: भारती जनता पार्टी (बीजेपी) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) में सीट बंटवारे को लेकर पैदा हुई कलह के कारण गठबंधन में दरार आ गई, जिस कारण हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर ने मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद बीजेपी के राज्य प्रमुख नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नया नेता चुना गया.

राजनीतिक पर्यवेक्षक इस अचानक कदम को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदायों को लुभाने की कोशिश के रूप में देख रहे हैं, जबकि विपक्षी कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने संसदीय और राज्य चुनावों से पहले ही हार स्वीकार कर ली है.

सैनी, खट्टर के साथ सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए राजभवन के लिए रवाना हुए. कुरुक्षेत्र सांसद ने शाम को पद और गोपनीयता की शपथ ली. सैनी को मुख्यमंत्री बनने के छह महीने के भीतर यानी 11 सितंबर से पहले विधायक के रूप में हरियाणा विधानसभा में प्रवेश करना होगा.

सैनी के साथ, बीजेपी विधायक कंवर पाल गुज्जर, मूलचंद शर्मा, जे.पी. दलाल और बनवारी लाल और निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला को भी मंत्री पद की शपथ दिलाई गई. ये सभी खट्टर कैबिनेट में मंत्री रह चुके हैं.

केंद्रीय पर्यवेक्षक अर्जुन मुंडा और तरुण चुघ की मौजूदगी में हुई विधायक दल की बैठक में भी ड्रामा देखने को मिला.

निवर्तमान कैबिनेट में वरिष्ठ मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अनिल विज गुस्से में बैठक छोड़कर चले गए. करनाल से भाजपा सांसद संजय भाटिया विज के पीछे दौड़ते हुए आए और ज़ाहिर तौर पर उनसे बैठक में लौटने का अनुरोध किया, लेकिन, बाद में उन्होंने सरकारी कार हरियाणा निवास के बाहर खड़ी कर दी और एक निजी वाहन में चले गए.

वे वहां से अपने गृहनगर अंबाला के लिए रवाना हो गए और शपथ ग्रहण समारोह में भी शामिल नहीं हुए.

हरियाणा के राजनीतिक विश्लेषक महाबीर जागलान के अनुसार, खट्टर की जगह सैनी को लाने का कदम भी भाजपा सरकार के दो कार्यकालों की सत्ता विरोधी लहर को रोकने का एक प्रयास है.

जागलान ने कहा कि इस कदम से भाजपा को मदद नहीं मिलेगी क्योंकि सैनी पिछड़ी जातियों के कारीगर वर्ग से नहीं हैं, जिन्हें गरीब और सामाजिक रूप से पिछड़ा माना जाता था, बल्कि वे यादव, गुज्जर, कंबोज जैसी प्रमुख कृषक जातियों से हैं.

जागलान ने समझाया, “जब से राहुल गांधी ने जाति जनगणना की मांग शुरू की, बीजेपी ओबीसी के कांग्रेस की ओर रुख करने से सावधान हो गई. हालांकि, अगर भाजपा सरकार सोचती है कि इससे सत्ता विरोधी लहर को रोकने में मदद मिलेगी, तो इसकी संभावना नहीं है क्योंकि हरियाणा में भाजपा से नाखुश किसानों जैसे समाज के वर्ग भाजपा की नीतियों से परेशान हैं, न कि केवल व्यक्तिगत रूप से खट्टर के खिलाफ हैं.”


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ओबीसी अंकगणित

हालांकि, हरियाणा में जाति-वार जनसंख्या का कोई प्रामाणिक डेटा नहीं है, विभिन्न अनुमानों के अनुसार, पिछड़े वर्गों की जनसंख्या 35 प्रतिशत है. दलित और जाट समेत सामान्य जाति की आबादी क्रमश: करीब 20 फीसदी और 45 फीसदी है.

केंद्र के विपरीत जो सामूहिक रूप से शैक्षिक या सामाजिक रूप से पिछड़ी जातियों को ‘ओबीसी’ के रूप में वर्गीकृत करता है, हरियाणा इस श्रेणी को ‘पिछड़ा वर्ग’ के रूप में संदर्भित करता है और आरक्षण के लिए उन्हें बीसी-ए और बीसी-बी के रूप में उप-वर्गीकृत करता है.

अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण निदेशालय के अनुसार, हरियाणा में बीसी-ए श्रेणी में 72 जातियां शामिल हैं.

ऐतिहासिक रूप से, ये 72 जातियां भूमिहीन समुदाय थीं जो कारीगर प्रकृति की नौकरियों में लगी हुई थीं जैसे लोहे के उपकरण बनाना (लोहार), मिट्टी के घड़े तैयार करना (कुम्हार), सोने को पिघलाना और डिजाइन करना (सुनार), कपड़े धोना (धोबी), चने और मूंगफली भूनना (भरभुंजा), और तिलहन (तेली) से तेल निकालना.

इसके विपरीत, ब्लॉक बी में आने वाले लोग अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में थे और उनके पास ज़मीन होने की अधिक संभावना है. यादव/अहीर गुज्जर, लोढ़ा, सैनी, मेव और गोस्वामी इस उप-समूह में आते हैं.

कांग्रेस का खट्टर पर निशाना

पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा कि जहां तक जेजेपी के साथ संबंध तोड़ने का सवाल है, उन्होंने एक सप्ताह पहले कहा था कि बीजेपी और जेजेपी ने विपक्षी वोटों को विभाजित करने के लिए एक नया समझौता किया है.

कांग्रेस नेता ने कहा, लेकिन मुख्यमंत्री बदलकर बीजेपी ने अपनी हार स्वीकार कर ली है.

हुड्डा ने कहा, “खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा-जेजेपी सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही. लोग नाखुश हैं और इस साल विधानसभा चुनाव में इस सरकार को हटाने का इंतज़ार कर रहे हैं. मुख्यमंत्री को बदलकर, भाजपा ने एक नया चेहरा लाकर अपनी विफलताओं को छिपाने की कोशिश की है, लेकिन इससे कोई मदद नहीं मिलने वाली है.”

कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भाजपा ने नौ साल से अधिक की विफलताओं और अप्रभावीता के परिणामों से खुद को बचाने के लिए जेजेपी के साथ संबंध तोड़ने का “पूर्व निर्धारित ड्रामा” किया.

कांग्रेस की एक अन्य महासचिव कुमारी शैलजा ने मतदाताओं को मूर्ख बनाने के लिए खट्टर की जगह सैनी को लाने के कदम को “रीपैकेजिंग” बताया.

परिस्थितियों के बावजूद, सैनी का राजनीति में उदय ज़बरदस्त रहा है. उन्होंने 2014 में अंबाला के नारायणगढ़ से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता. दो साल बाद, उन्हें राज्य मंत्री के रूप में खट्टर कैबिनेट में शामिल किया गया.

2019 में सैनी ने कुरुक्षेत्र संसदीय क्षेत्र से सफलतापूर्वक चुनाव लड़ा. खट्टर के करीबी माने जाने वाले सैनी ने पिछले साल अक्टूबर में भाजपा के राज्य प्रमुख के रूप में ओ.पी. धनखड़ की जगह ली थी.

यह खट्टर ही थे जिनके प्रभाव ने सैनी को उनके छात्र जीवन के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की ओर आकर्षित किया. उन्हें 2002 में भारतीय जनता युवा मोर्चा का जिला अध्यक्ष नामित किया गया था. 2012 में वे अंबाला के भाजपा जिला अध्यक्ष बने.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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