नई दिल्ली : तीन तलाक के खात्मे पर रविवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में हुए एक कार्यक्रम में भाजपा अध्यक्ष और गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि ट्रिपल तलाक मुस्लिम महिलाओं के लिए दुःस्वप्न जैसा था. उनको अपने अधिकारों से वंचित रखने की प्रथा थी. यह सब तुष्टिकरण की राजनीति के जरिए हुआ. 400 सीटों की पूर्ण बहुमत वाली राजीव गांधी की सरकार ने इसे मुस्लिम महिलाओं पर थोपा था.
Amit Shah: On 23 April 1985, SC gave order in favour of Shah Bano, court abolished triple talaaq & said giving maintenance was mandatory & a reason must be given for talaaq. But, Rajiv Gandhi under pressure from orthodox Muslims & vote bank brought a law overturning SC's decision pic.twitter.com/OEapbKSVN7
— ANI (@ANI) August 18, 2019
शाह ने कहा, ‘तीन तलाक पर कई बार कई फोरम पर मेरा बोलना हुआ है. मगर आज इस पर बोलते हुए मुझे बहुत अच्छा लग रहा है क्योंकि यह पारित हो चुका है.’ उन्होंने कहा यह सर्वविदित है कि तीन तलाक प्रथा करोड़ों मुस्लिम महिलाओं के लिए एक दुस्वप्न जैसा थी. उनको अपने अधिकारों से वंचित रखने की प्रथा थी. जो इसके पक्ष में खड़े हैं और जो इसके विरोध में हैं, उन दोनों के ही मन में इसको लेकर कोई संशय नहीं है कि तीन तलाक एक कुप्रथा है.
गृहमंत्री ने कहा कि कोई भी कुप्रथा हो, जब उसे निर्मूल किया जाता है तो उसका विरोध नहीं होता बल्कि उसका स्वागत होता है लेकिन तीन तलाक कुप्रथा को हटाने के खिलाफ इतना विरोध हुआ. इसके लिए तुष्टिकरण की राजनीति, उसका भाव जिम्मेदार है. इस देश के विकास और सामाजित समरसता के आड़े भी तुष्टिकरण की राजनीति आई है.
उन्होंने कहा कि इसके पक्ष में बात करने वाले कई तरह के तर्क देते हैं. उसके मूल में वोटबैंक की राजनीति और शॉर्टकट लेकर सत्ता हासिल करने की पॉलिटिक्स है. जब आप समाज के विकास की परिकल्पना लेकर जाते हैं तो उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है, प्लानिंग करनी पड़ती है. इसके लिए आपके मन में संवेदना चाहिए, वोटों का लालच नहीं.
गरीबों की बात करते हुए शाह ने कहा कि जो अभाव में जी रहा है, जो गरीब-पिछड़ा, वो किसी भी धर्म का हो. विकास के दौर में जो पिछड़ गया है, उसे ऊपर उठाओ, अपने आप समाज सर्वस्पर्शी-सर्वसमावेशी मार्ग पर आगे बढ़ जाएगा.
कांग्रेस और बाकि विपक्षियों को पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जो राजनीति 60 के दशक के बाद कांग्रेस ने शुरू की और बाकी दलों ने भी उसका अनुसरण किया, उसका असर देश के लोकतंत्र, समाजिक जीवन और गरीबों के उत्थान पर पड़ा है.
तुष्टीकरण की राजनीति को मिटाने की बात करते हुए बीजेपी नेता शाह ने कहा कि बगैर तुष्टिकरण यह सरकार समविकास, सर्वस्पर्शी विकास, सर्वसमावेशी विकास के आधार पर पांच साल चली. इसी थ्योरी पर 2019 में ठप्पा लगाकर इस देश की जनता ने तुष्टिकरण से देश को हमेशा के लिए मुक्त करने के लिए दोबारा बहुमत दिया है. इसी बहुमत के आधार पर भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार ने तीन तलाक की कुप्रथा को खत्म करने का काम किया है.
यानी, हमें इस कुप्रथा को खत्म करने में 56 साल लग गए. इसका कारण कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति है.
उन्होंने कहा कि अगर यह इस्लाम संस्कृति का हिस्सा होता तो इस्लामिक देश इसे क्यों हटाते. यही बताता है कि यह प्रथा गैर-इस्लामिक है. इसे इस्लाम का समर्थन प्राप्त नहीं है.
इसके विरोध करने वालों के जवाब में कहा कि कई लोग भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हैं कि यह काम मुस्लिम विरोधी है. वह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह काम केवल और केवल मुस्लिम समाज के फायदे के लिए है.
इस कानून को ईश्वर के नियम का विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि नारी को ईश्वर ने जो समानता का अधिकार दिया है, यह तीन तलाक कानून उसे ही स्थापित करता है. अगर आज भी हम यह न करते तो यह दुनिया के सामने भारत पर बहुत बड़ा धब्बा होता.
उन्होंने इस लड़ाई को कांग्रेस के समय का बताते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि यह लड़ाई आज की है. इस कुप्रथा के सामने मुस्लिम माताओं ने बहुत साल पहले लड़ाई शुरू की थी. इंदौर की रहने वाली शाह बानो जी को तीन तलाक दे दिया गया. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट तक न्याय की लड़ाई लड़ी. सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल 1985 को शाह बानो जी के पक्ष में फैसला दिया. उस वक्त 400 सांसदों के बहुमत के साथ राजीव गांधी शासन कर रहे थे. वो दिन संसद के इतिहास में काला दिन माना जाएगा कि वोटबैंक के दबाव में आकर राजीव गांधी ने कानून बनाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निरस्त करके तीन तलाक को मुस्लिम महिलाओं पर थोप दिया.