नई दिल्ली: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सोमवार को राज्य के जोड़ों से “तुरंत बच्चे पैदा करने” की अपील की ताकि संसद में दक्षिणी राज्यों का बेहतर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके.
स्टालिन की यह टिप्पणी केंद्र सरकार की ‘प्रति-व्यक्ति जनसंख्या’ के आधार पर निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन की योजना के खिलाफ आई है, जिससे वे मानते हैं कि दक्षिणी राज्यों का प्रतिनिधित्व सीमित हो सकता है.
एक पार्टी कार्यकर्ता के बेटे की शादी में बोलते हुए स्टालिन ने कहा कि सांसदों की संख्या जनसंख्या पर निर्भर करती है. उन्होंने कहा, “पहले हम कहते थे कि तुरंत बच्चे पैदा करने की जरूरत नहीं, कोई जल्दी नहीं है. लेकिन अब हमें ऐसा नहीं कहना चाहिए… क्योंकि यह कहा जा रहा है कि सांसदों की संख्या जनसंख्या के आधार पर तय की जाएगी. स्थिति ऐसी बना दी गई है कि अधिक जनसंख्या, अधिक सांसद. लेकिन हमने परिवार नियोजन को अपनाकर सफलता हासिल की है. अब मैं यह नहीं कहूंगा कि बच्चे पैदा करने की जल्दी न करें, बल्कि तुरंत बच्चे पैदा करें.”
स्टालिन ने यह भी कहा कि तमिलनाडु 39 सांसदों के साथ अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहा है, लेकिन यदि राज्य के पास अधिक सांसद होंगे तो अपनी मांगों को और मजबूती से रखा जा सकेगा. उन्होंने सभी दलों से इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक में शामिल होने का आह्वान किया.
स्टालिन के इस बयान के पीछे मुख्य संदर्भ आगामी निर्वाचन क्षेत्र परिसीमन प्रक्रिया है, जिससे तमिलनाडु का संसदीय प्रतिनिधित्व प्रभावित हो सकता है. अनुमान लगाया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों को अधिक सीटें मिलेंगी, जबकि तमिलनाडु की लोकसभा सीटों में मामूली वृद्धि ही होगी.
इससे पहले, तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), परिसीमन और हिंदी थोपने के मुद्दे पर केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने केंद्र सरकार पर “हिंदी को अलग-अलग तरीकों से थोपने” और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से इसे अनिवार्य करने की कोशिश करने का आरोप लगाया.
उन्होंने कहा, “तमिलनाडु के मुख्यमंत्री वही व्यक्ति हैं जिन्होंने चेन्नई में मेट्रो रेल परियोजना लेकर आए. मुख्यमंत्री ने हाल ही में तीन बातें स्पष्ट कीं – हम NEP स्वीकार नहीं करेंगे, परिसीमन स्वीकार नहीं करेंगे और हिंदी थोपने को स्वीकार नहीं करेंगे. आज केंद्र सरकार हिंदी भाषा को अलग-अलग तरीकों से थोपने की कोशिश कर रही है. तमिलनाडु किसी भी रूप में राष्ट्रीय शिक्षा नीति और हिंदी थोपने को स्वीकार नहीं करेगा. हम (DMK) केंद्र सरकार की धमकियों से नहीं डरते क्योंकि तमिलनाडु में अभी AIADMK नहीं, बल्कि DMK की सरकार है। हमारे मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन हैं, एडप्पाडी पलानीस्वामी (AIADMK प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री) नहीं.”
इससे पहले इस सप्ताह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तमिलनाडु के कोयंबटूर में एक भाजपा कार्यक्रम के दौरान कहा था कि परिसीमन प्रक्रिया से दक्षिणी राज्यों को कोई नुकसान नहीं होगा.
हालांकि, स्टालिन और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया सहित कई दक्षिणी राज्यों के नेताओं ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी और केंद्र सरकार की योजनाओं की आलोचना की.
स्टालिन ने पहले भी जनता से परिसीमन और तीन-भाषा नीति के खिलाफ “तमिलनाडु की रक्षा के लिए उठ खड़े होने” की अपील की थी. उन्होंने आरोप लगाया कि तीन-भाषा नीति के कारण केंद्र सरकार ने राज्य के फंड रोक दिए हैं और परिसीमन से राज्य के प्रतिनिधित्व को नुकसान होगा.
उन्होंने कहा, “उनकी तीन-भाषा नीति पहले ही हमारे उचित फंड को रोकने का कारण बन चुकी है. इसी तरह, वे कहते हैं कि तमिलनाडु की संसदीय सीटों में कमी नहीं की जाएगी, लेकिन वे यह सुनिश्चित करने को तैयार नहीं हैं कि अन्य राज्यों का प्रतिनिधित्व असमान रूप से नहीं बढ़ेगा. हमारी मांग स्पष्ट है-केवल जनसंख्या के आधार पर संसदीय क्षेत्रों का निर्धारण न करें… हम कभी भी तमिलनाडु के भविष्य और कल्याण से समझौता नहीं करेंगे… तमिलनाडु इसका विरोध करेगा! तमिलनाडु विजयी होगा!”
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