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Monday, 4 November, 2024
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संत रविदास मंदिर को बनाने के लिए सभी पार्टियां एकमत, केंद्र से हस्तक्षेप करने की लगाई गुहार

कांग्रेस नेता ने कहा डीडीए मंदिर के लिए जमीन दे सकता है. लोगों की आस्था पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. समुदाय की आस्था को कुचलने के लिए इस मंदिर को तोड़ा गया है.

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नई दिल्ली: दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राष्ट्रीय राजधानी में कई राजनीतिक दल तुगलकाबाद में गुरु रविदास मंदिर के निर्माण के समर्थन में आ गए हैं. इस मंदिर को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया था. दिल्ली के समाज कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि यह समुदाय के आत्मसम्मान से भी कहीं अधिक बढ़कर था.

उन्होंने कहा, ‘यह लगभग 15 करोड़ लोगों के विश्वास और भावनाओं के बारे में है. एक तरफ भाजपा विश्वास के आधार पर (राम) मंदिर (अयोध्या में) बनाने के लिए लड़ रही है, वहीं दूसरी तरफ एक मंदिर को उसके अस्तित्व का प्रमाण होने के बाद भी ध्वस्त कर दिया गया.’

दिल्ली के मंत्री ने कहा, ‘शहर भर में कई अन्य मंदिर, मस्जिद और धार्मिक संरचनाएं स्थित हैं, जो अवैध रूप से बनाए गए थे. उन पर कोई भी सवाल नहीं कर रहा है. डीडीए ने कोर्ट के सामने गलत तथ्य पेश किए, जिसकी वजह से एक प्राचीन मंदिर को तोड़ दिया गया.’

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 10 अगस्त को दक्षिणी दिल्ली के तुगलकाबाद में वन क्षेत्र में स्थित संत रविदास के मंदिर को तोड़ दिया गया था. कोर्ट का कहना था कि मंदिर की देखभाल करने वाली समिति गुरु रविदास जयंती समरोह समिति ने वन के लिए आरक्षित जमीन को खाली नहीं किया है. जबकि दिल्ली सरकार ने 1980 में उस जमीन को वन के लिए आरक्षित घोषित किया था. वहीं समुदाय ने तर्क दिया था कि मंदिर 600 साल पुराना था.

इस पर गौतम ने कहा कि यह कहना गलत है कि मंदिर को पेड़ों को काटने के बाद बनाया गया था, क्योंकि यह सदियों पुराना था.

चमड़ा-श्रमिकों के समुदाय में जन्मे रविदास, जिन्हें अछूत माना जाता है, वह भक्ति आंदोलन के प्रतिनिधियों में से एक थे. वह छुआ-छूत के खिलाफ आवाज उठाने वाले नेताओं में से एक थे. उनके अनुयायी देश-दुनिया में फैले हुए हैं, जिन्होंने विध्वंस का विरोध करते हुए एक नए मंदिर के निर्माण की मांग की है. समुदाय का समर्थन करते हुए कांग्रेस ने कहा कि ‘डीडीए ने अदालत के सामने गलत तथ्य पेश किए थे, जिसकी वजह से मंदिर को तोड़ा गया.’

कांग्रेसी नेता जितेंद्र कोचर ने कहा, ‘यह विरोध राजनीति से प्रेरित नहीं है. यह लोगों की आस्था के बारे में है. डीडीए मंदिर के लिए जमीन दे सकता है. लोगों की आस्था पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.’ गौतम ने कहा कि समुदाय की आस्था को कुचलने के लिए इस मंदिर को तोड़ा गया है.

वहीं बीते सप्ताह दिल्ली विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें केंद्र को राष्ट्रीय राजधानी में ध्वस्त संत रविदास मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग की गई है.

इसके अलावा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि अगर डीडीए मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए संत रविदास समिति को चार एकड़ जमीन सौंपने के लिए राजी हो जाती है तो दिल्ली सरकार केंद्र सरकार के साथ अपनी 100 एकड़ जमीन का आदान-प्रदान करने को तैयार है.

इस पर भाजपा विधायक ओपी शर्मा ने सदन में कहा था, ‘भाजपा संकल्प का समर्थन करती है. उसी स्थान पर एक मंदिर बनना चाहिए. हमें इस मुद्दे पर तुच्छ राजनीति नहीं करनी चाहिए। मैं भाजपा कार्यकर्ता के रूप में यह सुनिश्चित करना चाहता हूं कि हम हमारे क्षमता के हिसाब से जो बन पड़ेगा हम करेंगे.’

दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार मंदिर की जमीन को वनभूमि की श्रेणी से हटाती है, तो भाजपा सरकार वहां एक भव्य रविदास स्मारक बनाएगी.

तुगलकाबाद में 500 साल पुराने रविदास मंदिर का विध्वंस पंजाब में एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गया है. वहां के दोआबा क्षेत्र में दबदबा रखने वाले उग्र रविदासिया समुदाय ने राज्य सरकार से इस मामले पर हस्तक्षेप करने की मांग की है. पंजाब में देश की सबसे अधिक अनुसूचित जाति की आबादी है. समुदाय में भारी आक्रोश को लेकर केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की. राज्य के कई हिस्सों में समुदाय के विरोध प्रदर्शन के कारण पंजाब के नेताओं ने इस मामले में केंद्र के हस्तक्षेप की मांग की है.

समुदाय का दावा है कि दिल्ली में स्थित रविदास मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है. समुदाय उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराना चाहता है, जहां कोर्ट के आदेशों पर मंदिर को तोड़ दिया गया था. गुरु रविदास के अनुयायी पंजाब में रविदासिया के रूप में जाने जाते हैं. राज्य में उनकी जनसंख्या 30 प्रतिशत से अधिक है.

प्रभावशाली वाल्मीकि समाज गुरु रविदास के अनुयायी हैं और दिल्ली के तुगलकाबाद में उनके मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में सिकंदर लोधी के शासनकाल के दौरान किया गया था. गुरु रविदास ने यहां तीन दिन बिताए थे, जिससे समुदाय के लिए इस मंदिर का महत्व काफी अधिक है.

शिअद (बादल) के अलावा, मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. पंजाब सरकार ने इस मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान करने के लिए समुदाय के नेताओं के साथ बैठकें की हैं.

पंजाब के दोआबा क्षेत्र में देश में अनुसूचित जाति की आबादी सबसे अधिक है. सतलज और ब्यास नदियों के बीच के क्षेत्र में सच खंड बल्लन सहित कई ‘डेरे’ (आध्यात्मिक सामुदायिक केंद्र) हैं, जिनमें 20 लाख से अधिक अनुयायी हैं.

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