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Wednesday, 18 December, 2024
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SP की 16 लोकसभा उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में अखिलेश यादव की पत्नी, चचेरे भाई-बहनों का नाम शामिल

डिंपल यादव फिर से मैनपुरी से चुनाव लड़ेंगी, जबकि धर्मेंद्र और अक्षय बदायूं और फिरोज़ाबाद से मैदान में उतरेंगे. लिस्ट में 16 में से आठ ओबीसी भी शामिल हैं.

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लखनऊ: समाजवादी पार्टी (सपा) ने मंगलवार को 16 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी, जिसमें यादव परिवार के तीन सदस्य और आठ अति पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) शामिल हैं.

जहां उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी और मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव फिर से निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी, वहीं उनके चचेरे भाई धर्मेंद्र और अक्षय यादव को क्रमशः बदायूं और फिरोज़ाबाद से मैदान में उतारा गया है.

धर्मेंद्र और अक्षय दोनों ने पहले भी इन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया है, जहां धर्मेंद्र बदायूं से दो बार (2009-2019) सांसद रहे, वहीं अक्षय 2014 से 2019 तक फिरोज़ाबाद से सांसद रहे हैं.

सपा अपनी पहली सूची जारी करके आगे बढ़ गई है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि उत्तर प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल के साथ सीट-बंटवारे की बातचीत जारी है, यह महत्वपूर्ण है.

रविवार को अखिलेश ने एक्स पर पोस्ट किया था कि पार्टी कांग्रेस के साथ अपना गठबंधन शुरू कर रही है, जिसके तहत कांग्रेस को 11 सीटें मिल रही हैं. हालांकि, यूपी कांग्रेस प्रमुख अजय राय ने टिप्पणी की थी कि दोनों दलों के राष्ट्रीय नेतृत्व के बीच सीट बंटवारे पर बातचीत अभी भी जारी है.

ओबीसी उम्मीदवारों के अलावा, सूची में एससी से एक, उच्च जाति से तीन और एक मुस्लिम को शामिल किया गया है, जो पार्टी प्रमुख की ‘पिछड़े’, दलित (अनुसूचित जाति) और अल्पसंख्यक के लिए पीडीए की पिच के अनुरूप है.

कटेहरी विधायक और वरिष्ठ नेता लालजी वर्मा, जो 2021 में सपा में जाने से पहले मायावती सरकार में मंत्री थे, को आंबेडकरनगर से टिकट दिया गया है.

जबकि देवेश शाक्य को एटा से टिकट मिला है, उत्कर्ष वर्मा – जिन्होंने 2022 के राज्य चुनावों में लखीमपुर से असफल चुनाव लड़ा था – को खीरी के लिए चुना गया.

सपा के राज्य महासचिव नवल किशोर शाक्य, पूर्व बसपा नेता, जो 2018 में पार्टी में शामिल हुए, फर्रुखाबाद से चुनाव लड़ेंगे.

दो बार के सांसद राजाराम पाल, जो 2021 में सपा में शामिल होने से पहले बसपा और कांग्रेस में थे, अकबरपुर से अपनी किस्मत आजमाएंगे. एक ओबीसी नेता, पाल ने 2004 में बिल्हौर से बसपा के सांसद और 2009 में कांग्रेस के अकबरपुर के सांसद के रूप में कार्य किया है.

भाजपा के पूर्व नेता शिवशंकर सिंह पटेल, जिन्हें 2021 में पार्टी ने छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था, बांदा से उम्मीदवार हैं. पटेल बबेरू विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक रह चुके हैं.

वरिष्ठ नेता राम प्रसाद चौधरी, जो मायावती और कल्याण सिंह सरकारों में मंत्री रहे और कप्तानगंज से पांच बार विधायक भी रहे, फिर से बस्ती से चुनाव लड़ेंगे, एक सीट जहां वह 2019 में भाजपा के हरीश द्विवेदी से हार गए थे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गढ़ गोरखपुर से सपा प्रमुख की पसंद उम्मीदवार काजल निषाद हैं. वह 2023 में गोरखपुर से सपा की मेयर उम्मीदवार थीं. चुनावी धोखाधड़ी का आरोप लगाने के बाद एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि 3,63,000 वोट डाले गए थे, कुल वोट 4,87,198 गिने गए थे.

मिल्कीपुर विधायक अवधेश प्रसाद, जो 1977 से सपा के दिवंगत संरक्षक मुलायम सिंह यादव से जुड़े हैं, फैज़ाबाद से चुनाव लड़ रहे हैं. वह एससी वर्ग से हैं.

लखनऊ मध्य से विधायक रविदास मेहरोत्रा लखनऊ से चुनाव लड़ेंगे, जबकि उन्नाव की पूर्व सांसद अन्नू टंडन के पास अब फिर से संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का मौका है. वह 2020 में कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो गई थीं.

धौरहरा फिर से पूर्व एमएलसी आनंद भदौरिया की मेज़बानी करेगा, जो 2014 में भाजपा की रेखा वर्मा से हार गए थे.

93 साल के शफीकुर रहमान बर्क संभल से चुनाव लड़ेंगे. पार्टी लाइन के खिलाफ बयान देने के लिए जाने जाने वाले बर्क को 2021 में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे का बचाव करने और इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम के साथ तुलना करने के लिए देशद्रोह के आरोपों का सामना करना पड़ा था.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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