लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सरकार से पूछा कि क्या ‘डबल इंजन’ (राज्य और केंद्र सरकारें) आखिर आपस में टकरा रहे हैं.
वित्तमंत्री सुरेश खन्ना द्वारा पिछले सप्ताह पेश किए गए 2023-24 के बजट पर बोलते हुए यादव ने मंगलवार को विधानसभा में आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार एक्सप्रेसवे के लिए कोई फंड आवंटित नहीं कर रही है, जबकि राज्य सरकार द्वारा बनाए गए निर्माण घटिया स्तर के हैं.
उन्होंने राज्य में 10-12 फरवरी को निवेशकों की बैठक से अरबपति गौतम अडाणी की अनुपस्थिति पर सरकार पर निशाना साधा और भाजपा सरकार से पूछा कि क्या वह अभी भी समय सीमा के भीतर गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण कर पाएगी.
उन्होंने यह भी जानना चाहा कि सरकार राज्य के बजट से चार लेन की सड़क क्यों नहीं बना सकी.
डबल इंजन टकरा रही
राज्य में एक्सप्रेसवे पर, यादव ने पूछा कि क्या केंद्र सरकार ने ‘राज्य की बात नहीं मानी’ और एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए धन आवंटित नहीं किया. उन्होंने पूछा, ‘आपके पास सरकार में डबल इंजन हैं. क्या वे आपस में टकरा रहे हैं?’
उन्होंने आगे कहा, ‘मुझे लगता है कि दिल्ली आपकी बात नहीं सुनती है. अगर ऐसा नहीं है, तो मुझे बताएं कि एक्सप्रेसवे के लिए केंद्र सरकार ने आपको कितना पैसा दिया है.’
बनाए जा रहे एक्सप्रेसवे की गुणवत्ता पर सरकार से सवाल करते हुए, यादव ने याद किया कि कैसे पूर्वांचल और बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के कुछ हिस्से पिछले साल धराशायी हो गए थे.
अक्टूबर में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के एक हिस्से में उनकी कार के फंस जाने से चार लोग घायल हो गए थे, जबकि पिछले साल जुलाई में भारी बारिश के बाद जालौन जिले में पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा उद्घाटन के एक सप्ताह के भीतर बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का एक हिस्सा गिर गया था.
‘अपने दोस्त उद्योगपति को छोड़ दिया?’
पिछले महीने यूपी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में शामिल नहीं होने वाले अरबपति उद्योगपति गौतम अडाणी का नाम लिए बिना, यादव ने सरकार से पूछा कि उसके ‘दोस्त उद्योगपति’ ने बैठक में भाग क्यों नहीं लिया. यह कहते हुए कि राज्य में ‘19,000 एमओयू’ पर हस्ताक्षर करने और ‘33.50 लाख करोड़ रुपये’ के निवेश को आकर्षित करने का सरकार का दावा हवा में है, यादव ने सरकार से पूछा कि वह इन एमओयू और उनकी जमीनी हकीकत को कब साझा करेगी. पिछले निवेशकों की बैठक में हस्ताक्षर किए गए थे.
उन्होंने सरकार से पूछा, ‘इन्वेस्टर्स मीट में आमंत्रित सैकड़ों उद्योगपति वे थे जो पिछली मीट (2018) में आए थे लेकिन आपका दोस्त नहीं आया. दुनिया में नंबर दो (अडाणी को फोर्ब्स की सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में दूसरे स्थान पर रखा गया था) से आज वह कहां पहुंच गए हैं? किसी का बुरा वक्त बता देता है कि उसका सच्चा दोस्त कौन है. क्या बीजेपी ने अपना दोस्त छोड़ दिया है?’
यादव इस बात का जिक्र कर रहे थे कि किस तरह हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद एक महीने से अडाणी समूह के शेयरों की कीमतें गिर रही हैं, जिसमें कंपनी के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए थे, जिसमें स्टॉक की कीमतों में हेरफेर और टैक्स हेवन में अपतटीय शेल संस्थाओं का अनुचित उपयोग शामिल था. कंपनी ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है.
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गंगा एक्सप्रेसवे
594 किलोमीटर लंबे गंगा एक्सप्रेसवे में से, अडाणी समूह को बदायूं से प्रयागराज तक 464 किलोमीटर की दूरी का निर्माण करना है. राज्य में सबसे लंबा एक्सप्रेसवे, पश्चिमी यूपी में मेरठ को मध्य-पूर्वी यूपी में प्रयागराज से जोड़ेगा और राज्य के 12 जिलों से होकर गुजरेगा. यादव जानना चाहते थे कि एक्सप्रेसवे कैसे बनाया जाएगा क्योंकि सरकार ‘अब अपने दोस्त के साथ नहीं खड़ी है.’
उन्होंने पूछा, ‘अब, जब आपने अपने दोस्त को छोड़ दिया है, तो वित्त मंत्री (सुरेश खन्ना) लखनऊ (शाहजहाँपुर से) कैसे आएंगे. क्या आप अपने द्वारा अपनाए गए DFBoT (डिजाइन, फाइनेंस, बिल्ड, ऑपरेट, ट्रांसफर) मॉडल के साथ ऐसा कर पाएंगे (गंगा एक्सप्रेसवे के लिए जिसे अडाणी ग्रुप द्वारा चलाया जाना है). क्या आपको लगता है कि आपके द्वारा निर्धारित समयरेखा में इस मॉडल के साथ सड़क बनाई जाएगी?’
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे को याद करते हुए यादव ने बताया कि कैसे एक वाहन सड़क के धंसे हुए हिस्से में फंस गया था. उन्होंने कहा, ‘आपने किस तरह का एक्सप्रेसवे बनाया है? वह धंस गया और एक पूरा वाहन अंदर चला गया? अगर मेरे पास वीडियो होता तो मैं दुनिया को हकीकत दिखाता. आप एक्सप्रेसवे का निर्माण नहीं कर पाएंगे क्योंकि आप अब अपने दोस्त का समर्थन नहीं कर रहे हैं.’
उन्होंने सुझाव दिया कि गंगा एक्सप्रेस-वे का काम केंद्र सरकार को सौंप दिया जाए, नहीं तो यह कभी पूरा नहीं होगा. उन्होंने पूछा, ‘मॉडल क्या है? क्या आप एक्सप्रेसवे पर पकड़ बना पाएंगे?’
फोर लेन सड़क नहीं बनी
यादव ने यह भी कहा कि सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक, लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) विभाग को पिछले वर्ष आवंटित कुल 27,470 करोड़ रुपये के बजट में से केवल 7,570 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे.
यह आरोप लगाते हुए कि राज्य के बजट से फोर लेन श्रेणी के तहत एक भी सड़क नहीं बनाई गई है, उन्होंने सरकार से इसका विवरण साझा करने के लिए कहा.
उन्होंने कहा, ‘मैं NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के बजट के बारे में बात नहीं कर रहा हूँ. मैं राज्य के बजट में फोर लेन हेड के बारे में पूछ रहा हूं. अगर मैं नहीं भूल रहा हूं तो उस श्रेणी के तहत एक भी सड़क नहीं बनाई गई है.’
सड़कों के किनारे ओडीओपी के होर्डिंग्स लगे हैं.
आरोप लगाते हुए कि उनकी सरकार द्वारा पहले प्रस्तावित लखनऊ के छावनी और अर्जुनगंज क्षेत्रों में सड़कों के चौड़ीकरण की परियोजना पर सरकार ने विचार नहीं किया. यादव ने कहा कि सरकार ने पेड़ों को काट दिया और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट स्थल तक सड़क के किनारों को वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट (ODOP) के होर्डिंग्स से छुपा दिया.
उन्होंने कहा, ‘यह डबल इंजन की सरकार है लेकिन अगर उसने (सड़क) चौड़ीकरण योजना पर विचार किया होता तो पेड़ों को काटने या सड़क के दोनों किनारों (स्थल की ओर) को छिपाने की आवश्यकता नहीं होती. हमारी सरकार ने अर्जुनगंज रोड के साथ-साथ छह लेन चौड़ा करने और साइकिल ट्रैक के निर्माण की योजना प्रस्तावित की थी और रक्षा मंत्रालय ने विवरण को अंतिम रूप दिया था. यदि आपने पुरानी योजना पर ध्यान दिया होता, तो आपको पेड़ों को काटने या ओडीओपी होर्डिंग के साथ सड़कों को छिपाने की आवश्यकता नहीं होती.’
(संपादन: ऋषभ राज)
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