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Thursday, 14 November, 2024
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अजित पवार की NCP महाराष्ट्र में बनेगी ‘किंगमेकर’, अपनी शर्तों पर होगी सरकार में शामिल — नवाब मलिक

दिप्रिंट से बातचीत के दौरान पांच बार विधायक रह चुके नवाब मलिक ने अजित पवार की अगुवाई वाली एनसीपी में शामिल होने के अपने फैसले और महायुति सहयोगी भाजपा के नेताओं की सांप्रदायिक टिप्पणियों के बारे में भी बात की.

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नई दिल्ली: दाऊद इब्राहिम से किसी भी तरह के संबंध से इनकार करते हुए अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नवाब मलिक ने कहा कि वे उन लोगों पर मुकदमा दायर करेंगे जिन्होंने उनकी छवि खराब करने के लिए उन्हें भगोड़े गैंगस्टर से जोड़ा है. मलिक 2019 में अणुशक्ति नगर से महाराष्ट्र विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे और अब वे पड़ोसी मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से मैदान में हैं.

दिप्रिंट को दिए विशेष इंटरव्यू में मलिक ने कहा कि इस बार महाराष्ट्र में किसी एक पार्टी के पक्ष में कोई लहर नहीं है और दावा किया कि उपमुख्यमंत्री अजित पवार इस चुनाव में ‘किंगमेकर’ बनकर उभरेंगे.

1993 के मुंबई बम धमाकों के मास्टरमाइंड माने जाने वाले दाऊद इब्राहिम से संबंधों के आरोपों का जवाब देते हुए मलिक ने कहा कि बदनामी राजनीति का हिस्सा है, लेकिन उन्होंने ऐसे ‘गैर-जिम्मेदार’ बयान देने वालों के खिलाफ आपराधिक और दीवानी मानहानि का मामला दर्ज करने का फैसला किया है.

मलिक पर दाऊद से संबंध होने का आरोप लगाने वालों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी शामिल हैं, जो सत्तारूढ़ महायुति का हिस्सा है, साथ ही अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना भी शामिल है. भाजपा और शिंदे सेना दोनों ही मलिक की उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं और उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से उनके लिए प्रचार नहीं करने को कहा है.

तत्कालीन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में मंत्री के रूप में मलिक के इस्तीफे की मांग करते हुए फडणवीस ने फरवरी 2022 में कहा था, “अगर यह सरकार उन्हें बर्खास्त नहीं करती है, तो क्या यह अंडरवर्ल्ड के भगोड़े दाऊद इब्राहिम के साथ खड़ी दिखाई देगी?”

ऐसी टिप्पणियों पर मलिक ने दिप्रिंट से कहा, “इस तरह के बयान मेरी छवि खराब करने के लिए मेरे नाम को दाऊद से जोड़ने के लिए दिए गए थे…कुछ लोग मुझे आतंकवादी कह रहे हैं, इसलिए हमने कानूनी सलाह लेने के बाद सभी बयानों को आगे बढ़ाने का फैसला किया है. मैं ऐसे बयान देने वालों और मेरी छवि खराब करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ आपराधिक और दीवानी मानहानि का मुकदमा दायर करूंगा.”

मलिक ने दोहराया कि उनका दाऊद से कोई संबंध नहीं है, उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ आतंकवाद से संबंधित कोई मामला नहीं है, न ही वे “देशद्रोही” हैं.

मलिक ने फरवरी 2022 में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी का ज़िक्र करते हुए कहा, “मुझ पर मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया था और मैं मामले के विवरण पर चर्चा नहीं कर सकता. आरटीआई के माध्यम से हमने मामले से संबंधित कुछ दस्तावेज रखे हैं और जब मामला सामने आएगा तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा.”

उन्हें अगस्त 2023 में मेडिकल आधार पर ज़मानत दी गई थी.

एनसीपी (अजित पवार) नेता ने आगे कहा कि “मुस्लिम नेताओं को दाऊद से जोड़कर उनकी छवि खराब करना आसान है”.

उन्होंने आगे कहा कि उनके जैसे व्यक्ति जो कई बार मंत्री रहे हैं, उन्हें “कभी भी भ्रष्टाचार के आरोप के लिए गिरफ्तार किया जा सकता है…घेरा जा सकता है, लेकिन वे मुझे मंत्री के पद से क्यों नहीं हटा सकते थे? मैं 1977 से महाराष्ट्र की राजनीति में काम कर रहा हूं. लोग जानते हैं कि मैं किस बात के लिए खड़ा हूं और मैं पांच बार जीत चुका हूं, इसलिए कोई मुझ पर उंगली उठाकर मेरी छवि खराब करने की कितनी भी कोशिश करे, लोग जानते हैं कि सच्चाई क्या है.

‘अपनी शर्तों पर बनेंगे सरकार का हिस्सा’

मलिक के अनुसार, महाराष्ट्र में ‘कांटे की टक्कर’ होने वाली है. उन्होंने कहा, “कोई भी यह नहीं कह सकता कि महाराष्ट्र में किसी पार्टी के पक्ष में लहर है. हर सीट पर अलग-अलग तरह का माहौल है. हमें लगता है कि जब नतीजे आएंगे, तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के समर्थन के बिना कोई सरकार नहीं बनेगी.”

इस बात को रेखांकित करते हुए कि लोकसभा चुनाव के बाद से राज्य में राजनीतिक हवा का रुख बदल गया है, उन्होंने अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के भाजपा के साथ गठबंधन करने के फैसले के बारे में बात की.

उन्होंने कहा, “हमारी या अजित पवार की जो भी राजनीति है, वह समाजवादी लोकतांत्रिक व्यवस्था से अलग नहीं है. हम शिव, शाहू, फुले और आंबेडकर की विचारधारा को नहीं छोड़ सकते. यह कोई वैचारिक समायोजन नहीं है, बल्कि महज राजनीतिक समायोजन है. अजित पवार भी यही कहते रहे हैं.”

उन्होंने कहा कि आने वाली सरकार ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ का पालन करेगी और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी इसका हिस्सा होगी, लेकिन ‘अपनी शर्तों और शर्तों’ पर.

यह पूछे जाने पर कि उनके अनुसार इस चुनाव में मतदाताओं को कौन से मुद्दे सबसे ज्यादा पसंद आ रहे हैं, मलिक ने तीन मुद्दे गिनाए: “बिजली के बिल माफ कर दिए गए हैं और किसानों को खेती के लिए मुफ्त बिजली दी जा रही है; दूसरा, तकनीकी और मेडिकल शिक्षा, सरकार ने सभी फीस की जिम्मेदारी ली है और तीसरा है लाडकी बहिण योजना.”

महाराष्ट्र की 288-विधानसभा सीटों के लिए चुनाव 20 नवंबर को एक ही चरण में होंगे और वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी.

‘हमेशा धर्मनिरपेक्ष राजनीति का पक्ष लिया है’

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ समेत बीजेपी नेताओं पर उनके कथित सांप्रदायिक बयानों के लिए कड़ी आलोचना करते हुए मलिक ने कहा कि धर्म आधारित राजनीति का जीवनकाल “बहुत छोटा” होता है. “हम हमेशा धर्म आधारित राजनीति के खिलाफ रहे हैं. चाहे वह अजित पवार हों या पार्टी के दूसरे नेता, हम हमेशा धर्मनिरपेक्ष राजनीति के पक्ष में रहे हैं.”

1992 में बाबरी मस्जिद के विध्वंस और उसके बाद कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के पतन की बात करते हुए मलिक ने कहा, “उत्तर प्रदेश जल गया, चार महीने के भीतर चुनाव हुए और बीजेपी का सफाया हो गया. कोर्ट के निर्देश पर राम मंदिर का निर्माण हुआ…इसलिए ऐसी टिप्पणियों से कोई फायदा नहीं होता. लोगों को इसे समझना चाहिए.”

पीएम नरेंद्र मोदी के नारे ‘एक हैं तो सेफ हैं’ और बीजेपी द्वारा अखबारों में विज्ञापनों के जरिए इस संदेश को बढ़ावा देने पर प्रतिक्रिया देते हुए मलिक ने कहा, इस मामले पर उनका नज़रिया थोड़ा अलग है. “लोग इसे अलग नज़रिए से देख सकते हैं, लेकिन हम इस बात को लेकर बिल्कुल स्पष्ट हैं कि इसका मतलब है कि सभी धर्मों, भाषाई पृष्ठभूमि और जातियों के लोगों को एकजुट रहना चाहिए, चाहे वह हिंदू हों, मुस्लिम हों, सिख हों या ईसाई हों; अगर विभिन्न जातियों के लोग एकजुट रहेंगे, तो निश्चित रूप से देश मजबूत होगा और एकजुट भी रहेगा.”

मलिक ने आगे कहा कि जब मुसलमानों की बात आती है, “चाहे वह शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), कांग्रेस हो या पवार साहब का गुट (एनसीपी-शरदचंद्र पवार), उन्होंने जानबूझकर चुप्पी साध रखी है.” उन्होंने कहा, “जहां तक ​​प्रतिनिधित्व का सवाल है, जब मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का समय आया तो वह (एमवीए) पीछे हट गए.”

इसके बाद मलिक ने कहा कि महाराष्ट्र में मुसलमान “अलग तरह से व्यवहार कर रहे हैं, वह चिंतित हैं”.

उनके अनुसार, एनसीपी संस्थापक शरद पवार के विपरीत, अजित पवार मुस्लिम समुदाय से जुड़े मुद्दे उठाते रहे हैं. “जब भी दंगों की बात होती है, तो जिस तरह से अजित पवार मुसलमानों के लिए खड़े होते हैं; उन्होंने गलत बयानों का विरोध किया और भाजपा नेताओं की विवादास्पद टिप्पणियों पर भी आपत्ति जताई. उन्होंने भाजपा को स्पष्ट रूप से अपने नेताओं को नियंत्रित करने के लिए कहा.”

‘संकट के समय में अजित पवार हमारे साथ खड़े रहे’

एनसीपी में फूट के बाद अजित पवार के नेतृत्व वाले गुट में शामिल होने के उनके फैसले को किस बात ने प्रभावित किया, इस पर मलिक ने कहा कि जब वे ईडी की हिरासत में थे, तब उनकी बेटियां संघर्ष कर रही थीं और अजित पवार ही थे जिन्होंने हरसंभव मदद की.

मलिक ने कहा, “समय-समय पर जब भी वे अजित पवार को बुलाती थीं, तो वे मौजूद रहते और संकट के समय में हमारे साथ खड़े होते थे. अब देखिए, जब चुनाव आ रहे हैं, तो भाजपा मुझे राजनीति से दूर रखना चाहती थी, लेकिन उसी हिम्मत से उन्होंने मुझे टिकट दिया और उसी हिम्मत से उन्होंने मेरे लिए प्रचार किया. अजित पवार के बारे में एक बात है कि वे जिसके साथ खड़े होते हैं, उसके साथ पूरी तरह से खड़े होते हैं. तब उन्हें नुकसान या लाभ की चिंता नहीं होती.”

उन्होंने एनसीपी को विभाजित करने और महायुति में शामिल होने के अजित पवार के फैसले की आलोचना का जवाब देते हुए पूछा कि क्या कांग्रेस और लालू प्रसाद यादव के अलावा कोई ऐसा राजनीतिक दल या नेता है, जिसने कभी भाजपा के साथ किसी तरह का राजनीतिक समझौता न किया हो.

मलिक ने कहा, “देश में राजनीतिक समायोजन हुए हैं, लेकिन विचारधारा के साथ कोई समझौता नहीं हुआ है. अजित पवार ने बार-बार इस बात को स्पष्ट किया है. उन पर उंगली उठाने वालों को खुद को देखना चाहिए क्योंकि उन्हें ऐसा बोलने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि ये पार्टियां किसी न किसी समय राजनीतिक समायोजन के तहत भाजपा के साथ थीं.”

(इस इंटरव्यू को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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