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Monday, 21 July, 2025
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AIADMK के मुस्लिम चेहरा अनवर राजा DMK में हुए शामिल, बोले — ‘पुरानी पार्टी अब BJP के हाथ में’

एआईएडीएमके के पूर्व संगठन सचिव पहले भी इस बात को लेकर चिंता जता चुके हैं कि बीजेपी तमिलनाडु में सत्ता पाने के लिए पार्टी को कमज़ोर कर रही है.

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चेन्नई: भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से गठबंधन को लेकर निराश चल रहे ऑल इंडिया द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) के मुस्लिम चेहरा और पूर्व सांसद अनवर राजा ने सोमवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की मौजूदगी में प्रतिद्वंदी पार्टी डीएमके (डीएमके) का दामन थाम लिया.

डीएमके में शामिल होने से कुछ मिनट पहले ही अनवर राजा को एआईएडीएमके से बाहर कर दिया गया. एआईएडीएमके के महासचिव एडप्पाडी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) ने एक बयान में कहा कि अनवर राजा को पार्टी के “सिद्धांतों और उद्देश्यों के खिलाफ काम करने” के कारण प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित किया गया है.

बाद में अनवर राजा ने एआईएडीएमके के नेतृत्व पर आरोप लगाया कि उन्होंने पार्टी को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हवाले कर दिया है.

डीएमके मुख्यालय में उन्होंने पत्रकारों से कहा, “जिस पार्टी ने कभी एआईएडीएमके के साथ हाथ मिलाया, वहां एआईएडीएमके बड़ी पार्टी मानी जाती थी और बाकी पार्टियां उसकी बात मानती थीं, लेकिन अब एआईएडीएमके बीजेपी की बात सुन रही है. पार्टी अब बीजेपी के हाथों में है, यह देखकर बहुत दुख होता है.”

यह पहली बार नहीं है जब अनवर राजा ने एआईएडीएमके और बीजेपी के गठबंधन की आलोचना की हो. 2021 में आम चुनाव हारने के बाद उन्होंने ओ. पन्नीरसेल्वम और एडप्पाडी के. पलानीस्वामी के संयुक्त नेतृत्व की उस फैसले के लिए खुलकर आलोचना की थी, जिसमें बीजेपी से हाथ मिलाया गया था और विधानसभा चुनाव हार गए थे.

एआईएडीएमके के पूर्व संगठन सचिव के तौर पर राजा पहले भी यह चिंता जता चुके हैं कि बीजेपी तमिलनाडु में सत्ता में आने के लिए एआईएडीएमके को नुकसान पहुंचा रही है. 2021 में पार्टी की जिला सचिवों की बैठक में उन्होंने अल्पसंख्यक वोटरों के पार्टी से दूर होने को लेकर भी चिंता जताई थी.

अब डीएमके में शामिल होने के बाद अनवर राजा ने आरोप लगाया कि बीजेपी का एजेंडा एआईएडीएमके को खत्म कर देना है और विपक्ष की भूमिका खुद संभालकर स्टालिन के नेतृत्व वाली पार्टी से सीधी टक्कर लेना है.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “हमने देखा है कि पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र में क्या हुआ. तमिलनाडु में उनका एजेंडा एआईएडीएमके को तोड़ना है ताकि वे राज्य में विपक्ष की जगह ले सकें और सत्ताधारी डीएमके से लड़ सकें.”

राजा ने यह भी आरोप लगाया कि एडप्पाडी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में खुद को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर स्थापित नहीं कर पाए.

उन्होंने कहा, “अमित शाह बार-बार यही कह रहे हैं कि एनडीए के नेतृत्व में सरकार बनेगी और उसमें बीजेपी शामिल होगी, लेकिन अमित शाह ने कहीं नहीं कहा कि ईपीएस मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं. खुद एडप्पाडी के. पलानीस्वामी भी यह कहने की स्थिति में नहीं हैं कि वे एनडीए के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं. पार्टी की यही हालत है.”

दिसंबर 2021 में जब वे एआईएडीएमके के संयोजक ओ. पन्नीरसेल्वम और सह-संयोजक ईपीएस थे, अनवर राजा को पार्टी से इसलिए हटा दिया गया था क्योंकि उन्होंने एआईएडीएमके-बीजेपी गठबंधन पर नेतृत्व की आलोचना की थी. हालांकि, सितंबर 2023 में एआईएडीएमके द्वारा बीजेपी से रिश्ता तोड़ने के बाद उन्हें पार्टी में दोबारा शामिल कर लिया गया.

अनवर राजा की राजनीतिक यात्रा 1960 के दशक में शुरू हुई थी, जब वे हिंदी विरोधी आंदोलन में भाग लेने के बाद डीएमके में शामिल हुए थे. बाद में, जब पूर्व मुख्यमंत्री एम.जी. रामचंद्रन ने 1972 में एआईएडीएमके की स्थापना की, तो राजा भी उनके साथ जुड़ गए.

1986 से 2001 तक वे रामनाथपुरम जिले की मंडपम पंचायत संघ के अध्यक्ष रहे. 2001 में उन्होंने रामनाथपुरम से चुनाव लड़ा और जीते, इसके बाद वे 2001 से 2006 तक श्रम और रोज़गार मंत्री रहे. 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने रामनाथपुरम से जीत दर्ज की थी.

अनवर राजा ने कहा, “मैंने एआईएडीएमके को बचाने की पूरी कोशिश की, लेकिन मेरी बात नहीं सुनी गई. इसी मजबूरी में मैंने डीएमके का दामन थामा. मुझे पूरा भरोसा है कि स्टालिन एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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