सिरसा: हरियाणा के सिरसा शहर में मई की एक गर्म दोपहर में जब पारा 41 डिग्री सेल्सियस के करीब था, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार अशोक तंवर ने शहर से लगभग 14 किलोमीटर दूर ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र के बकरियावाली गांव में 100 से अधिक लोगों की एक सभा को संबोधित किया.
तंवर ने लोगों को याद दिलाया कि 2009 से 2014 तक सिरसा से सांसद रहते हुए अपने पहले कार्यकाल के दौरान, उन्होंने निर्वाचन क्षेत्र में 45,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं लाईं, इन उपलब्धियों में फतेहाबाद जिले के गोरखपुर गांव में उत्तर भारत के पहले आगामी परमाणु ऊर्जा प्लांट और डबवाली से दिल्ली तक राष्ट्रीय राजमार्ग को चार लेन तक का बनाना शामिल है.
उन्होंने मतदाताओं को लुभाने के लिए सिरसा जिले में भाखड़ा नहर प्रणाली के अंतिम चैनलों तक पानी सुनिश्चित करने और किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने की भी सूची दी.
“मोदी जी ने इस बार ‘400 पार’ का आह्वान किया है. मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप अपना योगदान दें और रिकॉर्ड अंतर से भाजपा को जीत दिलाएं ताकि देश के विकास में सिरसा की हिस्सेदारी हो, तंवर ने ‘अशोक तंवर ज़िंदाबाद’ के नारों के बीच अपना भाषण समाप्त किया.”
ग्रामीणों के साथ एक संक्षिप्त बातचीत के बाद, तंवर भाजपा नेता मीनू बेनीवाल की काली टोयोटा गाड़ी में बैठने की तैयारी करते हैं, जो काली एसयूवी के अपने काफिले के साथ सिरसा के उम्मीदवार के साथ शामिल हुए हैं.
जैसे ही वे एसयूवी में बैठने लगते हैं, तंवर कहते हैं कि हरियाणा के सभी 10 संसदीय क्षेत्रों में लोगों ने भाजपा को वोट देने का फैसला किया है ताकि मोदी 400 से अधिक सीटों के साथ फिर से पीएम बन सकें.
सिरसा के पूर्व सांसद ने दिप्रिंट को बताया और दावा किया कि वे जहां भी जा रहे हैं, उन्हें भारी प्रतिक्रिया मिल रही है, उन्होंने कहा, “न केवल हरियाणा में बल्कि पूरे देश में लोग मोदी जी को लगातार तीसरी बार पीएम बनते देखना चाहते हैं. लोग चाहते हैं कि उनके नेतृत्व में भारत एक विकसित देश बने, वो जानते हैं कि भारत तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन जाएगा…कुल 140 करोड़ की आबादी में से लगभग 100 करोड़ लोग इस बार मतदान करेंगे.”
वे आगे कहते हैं, “आज हमें 19 गांवों का दौरा करना है.”
यह पूछे जाने पर कि उनका मुख्य प्रतिद्वंद्वी कौन है, तंवर ने जवाब दिया कि भाजपा खुद से मुकाबला कर रही है क्योंकि लड़ाई में कोई भी उम्मीदवार उनके करीब नहीं है. उन्होंने कहा, “हम जीत के अंतर को 2019 की तुलना में दोगुना या तिगुना करने की कोशिश कर रहे हैं.”
कांग्रेस उम्मीदवार सीडब्ल्यूसी सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा हैं, जबकि इनेलो और जेजेपी ने क्रमशः संदीप लोट और रमेश खटक को मैदान में उतारा है.
तंवर ने 2019 में कांग्रेस छोड़ दी और 2022 में आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए. इसके बाद, उन्होंने अपनी पार्टी बनाई फिर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में शामिल हो गए. आखिरकार जनवरी में भाजपा में जाने से पहले वह आप में थे.
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शैलजा को तीसरे मौका का भरोसा
अभियान के दौरान रानिया शहर में उस समय हंसी की लहर दौड़ गई जब स्थानीय बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष भूपिंदर सिंह विर्क ने शैलजा का स्वागत करते हुए कहा कि वे उन्हें प्रधानमंत्री बनते देखना चाहते हैं. एसोसिएशन के सदस्यों का मानना है कि सीएम की बजाय विर्क ने अनजाने में यह बात कही है, क्योंकि राज्य में अक्टूबर में चुनाव होने वाले हैं.
बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रिंपाल बंगा ने शैलजा को बताया कि रानिया को सब-डिविजन का दर्जा देने की मांग पुरानी है और सदस्य उनके निर्वाचित होने पर उनसे मदद करने का अनुरोध करेंगे. बंगा ने कहा कि वे बीजेपी सदस्य हैं, लेकिन वो उनकी सफलता की कामना करते हैं.
शैलजा ने अपने भाषण में कहा कि आदर्श आचार संहिता के कारण वे कोई घोषणा नहीं कर सकतीं, लेकिन उन्होंने कहा कि मांग पर विचार किया जाएगा.
उन्होंने कहा, “लोकतंत्र में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नागरिकों के लिए उपलब्ध सबसे बड़ा अधिकार है. जब भी सत्ता द्वारा अन्याय होता है तो लोग अपनी आवाज़ उठा सकते हैं. हालांकि, अब उस अधिकार पर अंकुश लगाया जा रहा है, जो कोई भी सरकार के खिलाफ बोलता है वो जांच के दायरे में आ जाता है और कार्रवाई शुरू हो जाती है. ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स (अफसरों) की कार्रवाई लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है. राजनीतिक लोगों को निशाना बनाया जा रहा है. चुनावी बांड पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पता चला कि कैसे भाजपा द्वारा चुनावी बांड इकट्ठा करने के लिए सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग किया जा रहा है.”
शैलजा ने दावा किया कि कांग्रेस इस साल के अंत में हरियाणा में सरकार बनाने के लिए तैयार है और उन्होंने वकीलों से अपील की कि वे उनका समर्थन करें क्योंकि अपने पेशे के कारण वे कई लोगों के संपर्क में थे.
धीरज महारुद्र, एक वकील ने दिप्रिंट को बताया, “वे एक पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस कार्य समिति की सदस्य हैं. कांग्रेस के सत्ता में आने की स्थिति में शैलजा सीएम पद की प्रबल दावेदार हैं. अगर लोग आज उन्हें चुनते हैं, तो भविष्य की कांग्रेस सरकार में उनके पास एक मजबूत आवाज़ होगी.”
बाद में कांग्रेस उम्मीदवार ने तहसील परिसर में एक वकील के कार्यालय में दिप्रिंट से बातचीत करने के लिए ब्रेक लिया.
उन्होंने कहा, “आखिरकार क्या होगा यह नतीजों के बाद ही पता चलेगा. हालांकि, मैंने लोगों और मीडिया मित्रों से जो सीखा है, इस चुनाव में कांग्रेस आगे है. 2019 में बीजेपी ने यह सीट जीती, लेकिन पार्टी ने अपनी सांसद (सुनीता दुग्गल) को टिकट नहीं दिया. अब, उनके पास एक उम्मीदवार है जो पहले कांग्रेस में था और फिर अन्य दलों में रहा है.”
पूर्व राज्य इकाई प्रमुख ने कहा कि निर्वाचन क्षेत्र में काफी समय से चर्चा थी कि अगर उन्हें यहां से मैदान में उतारा गया तो कांग्रेस बेहतर स्थिति में होगी. वे आगे कहती हैं, “जब लोग अपना मन बना लेते हैं, तो उम्मीदवार के लिए चीज़ें आसान हो जाती हैं.”
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निर्वाचन क्षेत्र की बात
गांव के चौक के पास अपने घर की बैठक (वो कमरा जहां ग्रामीण बाहरी लोगों से मिलते हैं) में बैठे, जहां तंवर ने अपनी सार्वजनिक बैठक को संबोधित किया, कृष्ण कासनिया ने कहा कि तंवर के लिए मुकाबला आसान हो सकता था, लेकिन कांग्रेस द्वारा कुमारी शैलजा को टिकट देने से यह मुश्किल हो गया है.
कासनिया ने दिप्रिंट को बताया, “शैलजा का सिरसा से पुराना नाता है. उनके पिता 1971, 1980 और 1984 में सिरसा से सांसद चुने गए थे. उनकी मृत्यु के बाद, वे अपना पहला चुनाव, 1988 में एक उपचुनाव और 1989 में दूसरा चुनाव हार गईं. हालांकि, उन्होंने 1991 और 1996 में यह सीट जीती. हारने के बाद 1998 और 1999 में इनेलो के सुशील इंदौरा के साथ, शैलजा अंबाला चली गईं, जहां वे 2004 और 2009 में सांसद बनीं, लेकिन, उन्होंने कभी भी स्थानीय लोगों के साथ अपने संबंध नहीं तोड़े.”
एक अन्य ग्रामीण आज़ाद सिंह का मानना है कि शैलजा के खिलाफ मुकाबले में तंवर को मोदी फैक्टर से बढ़ावा मिला है.
उन्होंने कहा, “लोगों के पास केंद्र में कोई दूसरा विकल्प नहीं है. उन्हें मोदी को वोट देना है. सिरसा जिले के मतदाताओं पर प्रभाव रखने वाले प्रदेश के कई बड़े नेता आज भाजपा में हैं. ऐलनाबाद में मीनू बेनीवाल का मतदाताओं पर काफी प्रभाव है. 2019 में रानिया से जीतने वाले रणजीत सिंह हिसार से भाजपा के उम्मीदवार हैं और तंवर की मदद कर रहे हैं. सिरसा में गोपाल कांडा, फतेहाबाद में दुरा राम, टोहाना में सुभाष बराला और निशान सिंह और नरवाना में जेजेपी विधायक राम निवास सभी तंवर का समर्थन कर रहे हैं.”
इस साल, तंवर लगातार चौथी बार सिरसा से चुनाव लड़ रहे हैं – उन्होंने पहली बार 2009 में जीत हासिल की और फिर 2014 और 2019 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में हार गए. जब तंवर ने कदम रखा तो हरियाणा की कमान तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुडा के हाथ में थी.
उस समय, वे भारतीय युवा कांग्रेस (आईवाईसी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे और उन्हें तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कोर टीम का सदस्य माना जाता था.
2014 में तंवर इनेलो के चरणजीत सिंह रोरी से 1 लाख से अधिक वोटों से हार गए. पुलवामा हमले और बालाकोट हमलों के बाद वाली लहर पर सवार होकर, भाजपा ने 2019 में पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की.
स्थानीय निवासी राम प्रसाद शर्मा ने कहा कि बकरीवाली के 15 से 16 युवाओं को पिछले एक साल में बिना किसी सिफारिश या रिश्वत के सरकारी नौकरी मिल गई, जो पिछली सरकारों के दौरान एक आदर्श हुआ करता था.
लेकिन नाथूसरी चोपटा में पेंट की दुकान के मालिक प्रेम कुमार मेहता का आरोप है कि समाज का कोई भी वर्ग भाजपा सरकार से खुश नहीं है. मेहता ने कहा, “एक दुकानदार के रूप में, मैं कह सकता हूं कि नोटबंदी और जीएसटी ने छोटे व्यवसायों को बर्बाद कर दिया है. किसान 2021 में अपने आंदोलन के दौरान उनके साथ किए गए व्यवहार और इस साल की शुरुआत में गारंटी के रूप में एमएसपी की मांग को लेकर भाजपा सरकार से नाराज़ हैं. इसी तरह, सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के लिए विरोध कर रहे हैं.”
बिजली के सामान बेचने और मरम्मत करने वाले मान सिंह कुम्हार विरोधाभास करते हैं और कहते हैं कि लोग जानते हैं कि वे जिसे भी वोट देंगे, ‘‘आएगा तो मोदी ही’.
सिरसा के स्थानीय मुद्दे
रनिया के भगत सिंह मार्केट में दुकानदार राज कुमार चुघ बताते हैं कि लोग बीजेपी सरकार, खासकर राज्य सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं.
चुघ ने कहा, “सिरसा में लोगों की सबसे बड़ी समस्या चिट्टा (हेरोइन) है क्योंकि नशे के कारण युवाओं की मौत हो रही है, लेकिन सरकार उन्हें बचाने के लिए कुछ नहीं कर रही है.”
पिछले साल जनवरी में तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर ने ओढ़ां में एक रैली में स्वीकार किया था कि एक साल के दौरान ड्रग्स के कारण सिरसा और पड़ोसी फतेहाबाद, जो कि सिरसा लोकसभा सीट का हिस्सा है, में 40 से अधिक युवाओं की मौत हो गई है.
चुघ ने कहा, “लोग इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि भाजपा सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया है और राम मंदिर का निर्माण किया है, लेकिन जो बात उन्हें अधिक प्रभावित करती है वो है कि लोगों को हर रोज़ क्या-क्या सामना करना पड़ता है.”
दिप्रिंट द्वारा संपर्क किए जाने पर, तंवर का कहना है कि उन्हें सिरसा में चिट्टे की समस्या के बारे में पता था और पंजाब के निकट होने के कारण यह वास्तव में एक पुरानी समस्या है.
तंवर ने कहा, “सरकार ने इस खतरे को रोकने के लिए कई कदम उठाए हैं और समस्या अब उतनी गंभीर नहीं है जितनी पहले हुआ करती थी. हालांकि, सिरसा में चिट्टा सहित नशीली दवाओं पर अंकुश लगाना मेरी पहली प्राथमिकता होगी.”
एक अन्य दुकानदार अरुण गोयल ने कहा कि चिट्टे के अलावा बेरोज़गारी और महंगाई सबसे बड़ी समस्या है, जो भाजपा सरकार के दौरान और बढ़ी है. गोयल ने कहा, “हमारा एक छोटा सा शहर है. कारोबार भी कम टर्नओवर वाले छोटे दुकानदारों के हाथ में है. बीजेपी के शासन के दौरान, नोटबंदी और जीएसटी के कारण छोटे व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए हैं.”
पंजाब यूनिवर्सिटी के कानून के छात्र शाश्वत खुराना को दुख है कि शहर के कई युवा चंडीगढ़ या राज्य विश्वविद्यालयों और संस्थानों से डिग्री प्राप्त करने के बाद घर बैठे हैं. उन्होंने आगे कहा, लेकिन बहुत कम लोगों को नौकरियां मिलती हैं क्योंकि अवसर सीमित होते हैं जबकि आकांक्षी बहुत से होते हैं.
25 मई को, मतदाता अपनी पसंद तय करेंगे—चाहे तंवर या शैलजा को लोकसभा में सिरसा का प्रतिनिधित्व करना पड़े, या कोई चौंका देने वाला परिणाम हो.
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