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गुरूवार, 3 जुलाई, 2025
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कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री पर जांच बैठाने वाले अधिकारी को मोहन यादव सरकार ने भेजा कारण बताओ नोटिस

मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट बैठक में मध्य प्रदेश की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके ने मांग की कि उस अधिकारी पर कार्रवाई हो, जिन्होंने उनके खिलाफ जांच शुरू कराई थी.

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भोपाल: मध्य प्रदेश सरकार ने बुधवार को उस अधिकारी को कारण बताओ नोटिस भेज दिया, जिन्होंने राज्य की मंत्री संपतिया उइके के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच शुरू कराई थी. यह नोटिस जांच शुरू होने के अगले ही दिन भेजा गया.

मंगलवार को राज्य कैबिनेट की बैठक में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री और मंडला से भारतीय जनता पार्टी विधायक संपतिया उइके ने सवाल उठाया कि कोई अधिकारी उनके खिलाफ जांच कैसे शुरू कर सकता है. इसी के बाद कारण बताओ नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू हुई.

दरअसल, सोमवार को लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मुख्य अभियंता संजय अंधवान ने जल जीवन मिशन के तहत केंद्र से मिले 30,000 करोड़ रुपये के खर्च में गड़बड़ी के आरोपों की जांच के आदेश दिए थे. अपने पत्र में अंधवान ने विभाग के अधिकारियों से मंत्री संपतिया उइके और मंडला के कार्यपालन यंत्री की संपत्तियों की जांच करने को कहा था. आरोप था कि यह कार्यपालन यंत्री मंत्री के लिए ‘पैसे इकट्ठा’ कर रहा है.

मंगलवार को कैबिनेट बैठक के दौरान मंत्री उइके ने मुख्यमंत्री मोहन यादव के सामने यह मुद्दा उठाया और पूछा कि क्या किसी अधिकारी के पास उनके खिलाफ जांच शुरू करने का अधिकार है.

बीजेपी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मंत्री उइके ने मुख्यमंत्री से यह भी कहा कि संजय अंधवान के खिलाफ कार्रवाई की जाए, क्योंकि उन्होंने बिना ठोस आधार के आरोप लगाकर जांच शुरू की थी. बताया जा रहा है कि कई अन्य मंत्रियों ने भी उइके का समर्थन किया.

इसके बाद लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के प्रमुख सचिव पी. नरहरी को इस मामले में सफाई देने के निर्देश दिए गए.

दिप्रिंट से बातचीत में पी. नरहरी ने कहा, “हमने मुख्य अभियंता संजय अंधवान को कारण बताओ नोटिस भेजा है और पूछा है कि उन्होंने शिकायत पर जांच के आदेश क्यों दिए.”

उन्होंने कहा, “हमें जनप्रतिनिधियों और सरकारी अफसरों के खिलाफ कई शिकायतें मिलती हैं. ऐसे मामलों में मुख्य अभियंता को सिर्फ तथ्यों की जांच करनी चाहिए और अपनी जिम्मेदारी के तहत काम करना चाहिए, ना कि सीधे जांच शुरू कर देनी चाहिए. मुख्य अभियंता मंत्री के अधीन होता है, मंत्री उनके अधीन नहीं.”

यह पूरा मामला एक शिकायत से शुरू हुआ था, जो संयुक्त क्रांति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष किशोर समृते ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी थी. शिकायत में आरोप लगाया गया कि मध्य प्रदेश में मंत्री, अफसर और ठेकेदार मिलकर ग्रामीण इलाकों में नल कनेक्शन देने के लिए मिले सरकारी पैसे का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं.

किशोर समृते ने अपनी शिकायत में दावा किया कि अब तक केंद्र से मिले करीब 1,000 करोड़ रुपये का दुरुपयोग हो चुका है. प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने यह शिकायत मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजी थी, जिसके बाद यह मामला लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग तक पहुंचा.

मध्य प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया, “मुख्य अभियंता को भेजे गए कारण बताओ नोटिस पर उनका जवाब मिलने के बाद आगे की कार्रवाई तय होगी. तभी यह तय होगा कि उनके खिलाफ विभागीय जांच जारी रखी जाएगी या नहीं. हालांकि, इस स्तर पर बैठे अधिकारी को नियमों की पूरी जानकारी होती है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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