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Saturday, 21 December, 2024
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प्राचीन गौरव का तर्क दे अब गाजीपुर और बस्ती का नाम बदल सकती है योगी सरकार, भाजपा नेता कर रहे हैं मांग

योगी सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2018 में इलाहाबाद जिले का नाम प्रयागराज तो वहीं नवंबर 2018 में फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या रखा गया था.

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लखनऊ: फैजाबाद और इलाहाबाद का नाम बदले जाने के बाद अब बस्ती और गाजीपुर जिले के नाम बदले जाने को लेकर उत्तर प्रदेश में चर्चा हो रही है. इन दोनों जिलों के नाम बदलने की मांग भाजपा नेताओं की ओर से की गई है जिस पर योगी सरकार विचार कर रही है. यूपी बीजेपी के प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव ने हाल ही में डिप्टी सीएम केशव मौर्य को अनुरोध पत्र सौंपा है जिसमें उन्होंने गाजीपुर का नाम ‘गाधिपुरी’ नाम करने की गुजारिश की है. इसी तरह बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी और विधायक अजय कुमार सिंह ने बस्ती का नाम महर्षि वशिष्ठ के नाम पर ‘वशिष्ठ नगर’ रखने की मांग की है.

‘गाजीपुर को किया जाए गाधिपुरी’

दिप्रिंट से बातचीत में बीजेपी प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव ने कहा कि प्राचीन काल में महर्षि विश्वामित्र के पिता राजा गाधी की राजधानी गाधिपुरी थी जिसे मुगल शासन में मुस्लिम आक्रांता मुहम्मद बिन तुगलक के सिपहसालार ‘गाजी’ के नाम पर इसका नाम बदलकर गाजीपुर कर दिया गया था. तब से इसका यही नाम चला आ रहा है लेकिन अब गाजीपुर को उसका ‘प्राचीन गौरव’ लौटाने का समय आ गया है. वह कई साल से इसके लिए प्रयास कर रहे हैं.

नवीन के मुताबिक, ‘महर्षि विश्वामित्र के पिता राजा गाधि की राजधानी गाधिपुरी हुआ करती थी. ऐसे में इसका नाम फिर से बदलकर गाधिपुरी किया जाए.’

वह आगे कहते हैं, ‘योगी सरकार ने जिस तरह से प्राचीन गौरव व संस्कृति का मान बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं ऐसे में हम सबको उम्मीद है कि गाजीपुर का नाम गाधिपुरी किया जाएगा.’

बस्ती को वशिष्ठ नगर करने की मांग

गाजीपुर की तरह ही बस्ती जिले का नाम बदलने की भी चर्चा जोरों पर है.यहां के सांसद हरीश द्विवेदी और विधायक अजय कुमार सिंह ने बस्ती का नाम महर्षि वशिष्ठ के नाम पर वशिष्ठ नगर रखने की मांग की थी.

उनके मुताबिक,भगवान राम के गुरु महर्षि वशिष्ठ से ही बस्ती की पहचान है. सरकार से जुड़े एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि बस्ती जिले का नाम बदलकर वशिष्ठ नगर या वशिष्ठी करने के प्रस्ताव पर सरकार के स्तर पर मंथन अंतिम दौर में है. पिछले दिनों राजस्व परिषद की ओर से नाम बदले जाने की स्थिति में होने वाले व्यय की जानकारी मांगी गई थी जिसके बाद मंडलायुक्त अनिल कुमार सागर ने राजस्व परिषद को भेजा था लेकिन राजस्व परिषद ने खर्च पर राजस्व परिषद ने आपत्ति जताते हुए पुनर्विचार के लिए प्रस्ताव को वापस कर दिया. इसी कारण ये अभी रुका हुआ है.

बता दें कि पिछले साल योगी आदित्यनाथ ने बस्ती मेडिकल कालेज का नाम महर्षि वशिष्ठ के नाम पर रखे जाने का ऐलान किया था जिसके बाद जिले का नाम बदले जाने की मांग ने जोर पकड़ लिया.

‘इसे न माना जाए फिजूलखर्ची’

यूपी में सपा, कांग्रेस की ओर से लगातार सरकार के नाम बदलने के कदम को पैसे की बर्बादी बताया जा रहा है. यूपी बीजेपी के प्रवक्ता नवीन श्रीवास्तव इसे ‘फिजूलखर्ची’ नहीं मानते. उनका कहना है कि किसी जिले को उसका प्राचीन गौरव दोबारा से अगर हासिल हो रहा है तो इसे फिजूलखर्ची नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने बताया कि डिप्टी सीएम केशव मौर्य की ओर से आश्वासन मिला है कि इसे वह उचित फोरम पर रखेंगे.

इलाहाबाद और फैजाबाद का बदला गया था नाम

योगी सरकार बनने के बाद अक्टूबर 2018 में इलाहाबाद जिले का नाम प्रयागराज तो वहीं नवंबर 2018 में फैजाबाद जिले का नाम अयोध्या रखा गया था. वहीं जून 2018 में ही मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन रखा गया था. बीते दिनों सुलतानपुर का नाम बदल कर भगवान राम के बेटे कुश के नाम पर कुशपुर या कुशभवनपुर रखाने की मांग की गई थी. ये मांग राजपूताना शौर्य फाउंडेशन के प्रतिनिधियों की ओर से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मिल कर की गई थी. इसके अलावा बिहार के राज्यपाल व लखनऊ के पूर्व सांसद लालजी टंडन ने लखनऊ का नाम बदलकर लक्ष्मणपुर करने की बात कही थी.

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